सीएम भूपेश बोले...पुलिस ने दिखाई छत्तीसगढ़िया संस्कृति, वरना भाजपाई कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने अमादा थे, जब मैं पीसीसी अध्यक्ष था तब भी मेरे घर पर पत्थर फेकें, कालिख पोते और आज...

Update: 2022-08-25 14:08 GMT

रायपुर। भाजयुमो के कल के उग्र प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि भाजपा को बेरोजगारी से कोई वास्ता नहीं। वे प्रदर्शन के जरिये सूबे का माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहे थे...पुलिस को उकसा रहे थे कि ताकि छत्तीसगढ़ की शांति भंग हो। मगर काबिले तारीफ है कि गालियां खाने, धक्कामुक्की के बाद भी पुलिस संयम बरतते हुए कर्तव्य पर डटी रही। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की ऐसी संस्कृति नहीं है। यहां के लोग बेहद शांत प्रवृति के लोग हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ''छत्तीसगढ़ के राजनैतिक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी पार्टी के कार्यकर्ता गालियां दे दे कर पुलिस को लाठीचार्ज के लिए उकसाते रहे और हमारे जवान मुस्कुरा कर विनती करते रहे। यह हैं हमारे छत्तीगढ़िया संस्कार।

ये कांग्रेस पार्टी है साहब, हम गांधीवादी लोग है। गांधीगिरी का इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है।

एक छत्तीसगढ़िया नागरिक होने की हैसियत से मुझे कल बहुत शार्मिंदगी हुई जब मैंने देखा कि भाजपा के कार्यकर्ता पुलिस पर लाठी भांज रहे थे। हमारी महिला पुलिस की बच्चियां लाठी खाते रहीं, गालियां सुनी लेकिन अपने कर्तव्य पर डटी रहीं। मैं उन्हें बधाई देता हूं कि इस बर्बर व्यवहार के बाद भी उन्होंने संयम रखा। मैं आपसे पूछता हूं, क्या पुलिस जवानों को गाली देना, मारना छत्तीसगढ़ी की संस्कृति है।

ये पहली बार नहीं हुआ है, भाजपा के लोग पिछले एक साल से लगातार प्रयासरत हैं कि कैसे भी ये पुलिस को उकसाएं, जनता को उकसाए और प्रदेश में हिंसा हो, शांति भंग हो। वो तो साधुवाद है हमारी पुलिस को, जिन्होंने संयम का अनूठा उदाहरण पेश किया है।

वैसे मुझे हंसी भी आती है, जब मैं पीसीसी अध्यक्ष था तब भी ये लोग मेरे घर में पत्थर फेंकते थे, कालिख पोतते थे। और आज मैं मुख्यमंत्री हूं तब भी ये यही कर रहे हैं। कारण सरल है, ये अंतर है उनकी उत्तेजक मानसिकता और हमारी छत्तीसगढ़िया संस्कृति में।

मैंने विपक्ष में रहते हुए इनके दमन को सहा है, मेरी आवाज दबाने का भरसक प्रयास किया गया था। मैंने उसी समय प्रण किया था कि मैं छत्तीसगढ़ में लोकतंत्र की सदैव रक्षा करूंगा। आज मैं इनके कार्यकर्ताओं का भी मुख्यमंत्री हूं, मैं हमेशा इनके विरोध करने के संवैधानिक अधिकार का भी संरक्षण करूंगा।

उस समय को याद करिए जब बिलासपुर में कैसे इन्होंने कांग्रेस भवन के अंदर जाकर हमारे कार्यकर्ताओं के सासथ अकारण हिंसा की थी। उस समय, उनके राज में विरोध करने का अधिकार बचा कहां था। भाजपा की तो मानसिकता कहें या मास्टर प्लान कहें, वह यहीं है कि जब तक लाठीचार्ज नहीं होगा, आंसू गैस के गोले नहीं फोडे जाएंगे, वाॅटर कैनन नहीं चलेगा, परिवर्तान नहीं होगा। इनका मुद्दा बेरोजगारी तो कभी था ही नहीं, इनका मुद्दा था इसके बहाने पुलिस को उकसाएं, लाठी खाएं, माहौल बनाएं और फिर लाठीचार्ज ही मुद्दा बन जाए।

ये भूल गए कि यहां छत्तीसगढ़िया सरकार है, लोकतंत्र अभी जिंदा है। मैंने अपनी पुलिस से यही कहा था, हमें दिखाना है। छत्तीसगढ़िया संस्कार क्या होते हैं। विपक्ष को बोलने दीजिए। मुझे पता है कि कल जनता को इस प्रदर्शन से कितनी असुविधा हुई, नन्हें बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हुआ। इसके लिए मैं मेरी जनता से क्षमाप्रार्थी हूं।''

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