CG में एक और बांध का पानी अफसरों ने किया बर्बाद : चांपी जलाशय से 80 करोड़ लीटर पानी बहा दिया गया, अब डेड स्टेज में बांध
चपोरा सहित आधा दर्जन गांव के लोग और मवेशी निस्तारी के लिए चांपी जलाशय पर निर्भर हैं. अब उनके सामने मुश्किलें आ गई हैं.
बिलासपुर/रायपुर. डेढ़ लाख के मोबाइल के लिए 21 लाख लीटर पानी व्यर्थ बहाने के मामले में राज्य सरकार ने आनन-फानन में दो अधिकारियों को सस्पेंड करने के साथ तीन के खिलाफ एफआईआर कर दिया, लेकिन चांपी जलाशय से भरी गर्मी में 80 हजार लाख लीटर यानी करीब 80 करोड़ लीटर पानी बहाने के मामले में अफसरों ने खामोशी ओढ़ ली है. इस मामले में कार्रवाई तो दूर किसी अधिकारी से जवाब-तलब भी नहीं किया जा रहा है. मैदानी अधिकारियों से लेकर मंत्रालय तक के अफसर इस विषय पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. अफसरों की खामोशी का खामियाजा आधा दर्जन गांव के लोग भुगत रहे हैं. ग्रामीणों के लिए निस्तारी की समस्या खड़ी हो गई है. अब ये स्थिति है कि बांध डेड स्टेज में है. यानी जरूरत पड़ने पर अब पानी भी नहीं छोड़ सकते.
चांपी जलाशय में जिस समय पानी छोड़ने की शुरुआत की गई थी, तब 100 प्रतिशत पानी भरा था. उस समय जब ग्रामीणों ने पूछताछ की, तब पता चला कि मेंटनेंस व निर्माण कार्य के लिए पानी छोड़ा जा रहा है. धीरे-धीरे इतना पानी खाली कर दिया गया कि अब बांध डेड स्टेज में है. यानी इससे पानी छोड़ने की जरूरत पड़ी तो भी नहर में नहीं जाएगा, क्योंकि पानी का लेवल उससे नीचे है. जब ग्रामीणों की समस्या शुरू हुई, तब कुछ जनप्रतिनिधियों ने जानकारी जुटानी शुरू की. इसमें यह पता चला कि कुछ निर्माण कार्य व मेंटेनेंस के लिए पानी खाली कराया गया है. जब लोगों ने जाकर देखा तो अब तक न तो वहां कोई निर्माण कार्य हुआ है, न ही रेत-गिट्टी या अन्य निर्माण सामग्री वहां पर है. इस पूरे मामले में वरिष्ठ अफसर भी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. लोगों के मुताबिक चीफ इंजीनियर अजय सोमावार के निर्देश पर पानी खाली कराया गया है. जब उनसे बात की गई तो उन्होंने यह कहकर फोन काट दिया कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को जानकारी होगी. इतनी छोटी जानकारी वे नहीं रखते.
कलेक्टर ने नहीं दिया जवाब
किसी भी बांध से पानी छोड़ने के लिए जिला व संभागीय स्तर पर जल उपयोगिता समिति होती है. कलेक्टर और संभाग कमिश्नर इसके प्रमुख होते हैं. इस संबंध में बिलासपुर कलेक्टर सौरभ कुमार को जब कॉल किया गया तो उन्हें कॉल रिसीव नहीं किया. उन्हें वाट्सएप पर यह जानकारी भेजी गई, फिर भी उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है. इसी तरह जल संसाधन सचिव अन्बलगन पी. की कोई से कोई जवाब नहीं आया, जबकि विशेष सचिव अनुराग पांडेय ने बताया कि वे लोक आयोग में है. उनके वाट्सएप पर भी जानकारी भेजी गई, लेकिन उनकी तरफ से जवाब नहीं आया.
रतनपुर के तालाब भर जाते
चांपी जलाशय से इतना पानी व्यर्थ बहा दिया गया कि रतनपुर के कई तालाब भर जाते. इनमें दुलहरा तालाब सबसे बड़ा है. इस तालाब से सिंचाई की भी व्यवस्था है. इस तालाब में पानी भरते को किसानों के लिए सिंचाई के काम आता. चांपी जलाशय का पानी खूंटाघाट में भी पहुंचाया जा सकता था. इन विकल्पों के बजाय पानी व्यर्थ बहा दिया गया. NPG.News के पास यह पुख्ता जानकारी है कि कुछ जनप्रतिनिधियों की ओर से मैदानी अधिकारियों से लेकर मंत्रालय स्तर पर व्यर्थ पानी बहाने की सूचना भेजी गई है, लेकिन उनकी तरफ से कोई कार्रवाई तो दूर जिम्मेदारों से जवाब-तलब भी नहीं किया गया.
पूर्व जिला पंचायत सदस्य दीपक रजक के पास चांपी जलाशय में 100 प्रतिशत पानी भरे होने से लेकर व्यर्थ बहाए जाने और वर्तमान में जो हालात हैं, उसकी तस्वीरें और वीडियो भी हैं. रजक के मुताबिक किसके आदेश पर पानी बहाया गया और क्यों बहाया गया, यह जानकारी भी नहीं दी जा रही है.
चपोरा के सरपंच गोवर्धन सिंह आर्मो का कहना है कि विभाग के आदेश से एक-डेढ़ महीने पहले पानी खाली किया गया है. इससे गांव के लोगों को निस्तारी की समस्या आ रही है. मवेशियों को परेशानी हो रही है.
ईई का कहना, चीफ इंजीनियर ने दिया आदेश
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मधु चंद्रा का कहना है कि चीफ इंजीनियर के लिखित आदेश पर पानी खाली किया गया है. बांध में पानी लीकेज की शिकायत थी. एक्सपर्ट ने जैकेटिंग करने का सुझाव दिया था. इसके लिए एक-डेढ़ महीने पहले पानी बहाया गया. इसके लिए टेंडर भी किया गया था. इस साल काम नहीं हो पाया है, इसलिए अब अगले साल नवंबर-दिसंबर में काम शुरू कर दिया जाएगा. वहीं, जानकारों का कहना है कि यह अफसरों की लापरवाही है, क्योंकि बिना किसी प्लानिंग के पानी नहीं बहाया जाता, बल्कि कॉफर डैम बनाकर काम किया जाता है.
परलकोट जलाशय मामले में एफआईआर
कांकेर जिले के पखांजूर में परलकोट जलाशय में एक फूड इंस्पेक्टर का डेढ़ लाख कीमत का मोबाइल गिरने के बाद डीजल पंप से 21 लाख लीटर पानी बहाने का मामला गरमाया हुआ है. इस मामले में फूड इंस्पेक्टर, जल संसाधन विभाग के एसडीओ को सस्पेंड किया जा चुका है. इन दोनों के अलावा सब इंस्पेक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. दूसरी ओर चांपी जलाशय के मामले में अफसर या राज्य सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किया जाना कई सवाल खड़े करता है.