बड़ी खबर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की खरी-खरी, शासन से कहा – शपथ पत्र के साथ बताएं कि प्रवेश परीक्षाएं कराएंगे या नहीं?

Update: 2023-04-25 15:49 GMT

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में आरक्षण की स्थिति शून्य होने के कारण प्रोफेशनल कोर्स में एडमिशन के लिए भी संकट की स्थिति निर्मित हो सकती है. इंजीनियरिंग, पॉलीटेक्नीक, वेटरनरी, नर्सिंग, बीएड-डीएड जैसे कोर्स में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा होती है. इसके बाद आरक्षण के आधार पर सीटें तय होती हैं. ये परीक्षाएं व्यापमं आयोजित करता है. इस संबंध में एसोसिएशन आफ प्राइवेट प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट की याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के जस्टिस पी. सैम कोशी ने शासन से दो टूक पूछा है कि शपथ पत्र देकर बताएं कि प्रवेश परीक्षा कराएंगे या नहीं? इस मामले में 8 मई का अगली सुनवाई होगी, जिसमें राज्य शासन की ओर से स्थिति स्पष्ट की जाएगी.

राज्य में आरक्षण को लेकर विवाद के कारण भर्ती परीक्षाओं के साथ ही कॉलेजों में होने वाली प्रवेश परीक्षाओं पर भी रोक लग गई है. अप्रैल माह आधा बीत जाने के बावजूद भी अब तक के व्यावसायिक कॉलेजों में प्रवेश के लिए ली जाने वाली प्रवेश परीक्षाओं के प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. इस कारण प्रदेश के निजी व्यवसायिक संस्थानों ने एसोसिएशन बनाकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. हाईकोर्ट ने उक्त याचिका पर सुनवाई कर शासन से परीक्षा आयोजित करने या नहीं करने को लेकर जवाब मांगा है.

छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्व सम्मति से 76 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संशोधन विधेयक पारित किया जा चुका है, लेकिन इसे राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है. वहीं, 2012 से प्रदेश में लागू 58% आरक्षण को भी हाईकोर्ट ने अवैधानिक घोषित कर दिया है. 19 सितंबर 2022 को जारी आदेश में प्रदेश में लागू 50% से अधिक आरक्षण को असंवैधानिक माना है. आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज, वेटरनरी कॉलेज, आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, बीएड-डीएड कॉलेज, कृषि महाविद्यालय, नर्सिंग महाविद्यालय, पॉलिटेक्निक कॉलेजों में प्रवेश के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाओं के लिए अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है. इस कारण से प्राइवेट कालेजों ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट बनाकर राज्य सरकार को पार्टी बनाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में व्यावसायिक परीक्षा मंडल को भी पार्टी बनाया गया है.

मामले में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने बताया कि प्रदेश के प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा होती है पर अप्रैल माह शुरू हो जाने के बावजूद भी राज्य सरकार व परीक्षा लेने वाली एजेंसी व्यवसायिक परीक्षा मंडल ने अब तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है, जबकि आगामी शिक्षा सत्र नजदीक है. प्रवेश परीक्षाओं की तिथि घोषित करने से लेकर इसके लिए फार्म भराने व परीक्षाएं आयोजित करने के बाद काउंसिलिंग कर कॉलेज एलॉटमेंट तक की जवाबदारी व्यापमं निभाता है. इसके बाद आवंटित सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया संबंधित संस्थान पूरा करते हैं. अभी तक प्रवेश प्रक्रिया की शुरुआत नहीं होने पर पूरी प्रक्रिया अधर में लटक गई है.

ऐसी स्थिति में ना तो आगामी शिक्षा सत्र में समय पर पढ़ाई की शुरुआत हो पाएगी और ना ही कोर्स कंप्लीट हो पाएगा. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने बताया कि इस बार की प्रवेश प्रक्रिया में देर होने का प्रभाव आगे आने वाली बैच पर भी पड़ेगा. साथ ही, कॉलेजों में तय समय में प्रवेश नहीं होने पर उन्हें भी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा. जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई के बाद अदालत ने छत्तीसगढ़ शासन व व्यवसायिक परीक्षा मंडल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 8 मई को होगी. अदालत ने संबंधितों को 8 मई को परीक्षा आयोजित करने या नहीं करने को लेकर शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत होने के निर्देश दिए हैं.

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