चैतुरगढ़ में टाइगर: कैमरा ट्रैप में नजर आया टाइगर, छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कर रहा मूवमेंट; इन तीन टाइगर रिजर्व को बनाया कॉरिडोर
रायपुर। कोयला खनन को लेकर देश-दुनिया में चर्चा में आए हसदेव अरण्य क्षेत्र में टाइगर की मौजूदगी की पुष्टि हो गई है। वन विभाग द्वारा लगाए गए कैमरा ट्रैप में मेल टाइगर की तस्वीर आई है। इसके अलावा पगमार्क्स भी मिले हैं। इसके आधार पर एक्सपर्ट्स का यह दावा है कि यह टाइगर अचानकमार के जंगल का नहीं, बल्कि नया है, जो संजय गांधी टाइगर रिजर्व, झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व और अचानकमार टाइगर रिजर्व के बीच मूवमेंट का पता चला है।
हसदेव अरण्य क्षेत्र में टाइगर की मौजूदगी को लेकर काफी समय से बहस चल रही है। वन विभाग के अफसर भी इसे नकारते रहे हैं, लेकिन कैमरा ट्रैप में आई तस्वीरों, शिकार और पंजे के निशान से अब पुष्टि हो गई है। एनटीसीए के मेंबर और WWF के टाइगर एक्सपर्ट उपेंद्र दुबे ने जो तस्वीरें उपलब्ध कराई हैं, वह 9 सितंबर की हैं। यह तस्वीर कटघोरा वन मंडल के लाफा बीट की है। यह क्षेत्र चैतुरगढ़ के पास है। फिलहाल टाइगर का मूवमेंट इससे ऊपरी हिस्से की ओर है। पसान जटगा होते हुए टाइगर सूरजपुर वन मंडल की ओर बढ़ गया है।
टाइगर के पंजे के निशान जिससे आसपास मौजूदगी की पुष्टि हुई।
मवेशियों के शिकार के बाद हुआ खुलासा
हसदेव अरण्य और आसपास के ग्रामीण लगातार टाइगर के मूवमेंट की बात उठाते रहे हैं। हालांकि, वन विभाग द्वारा तेंदुआ बताया जाता था। अगस्त की शुरुआत में कुछ मवेशियों पर टाइगर ने हमला किया तो फिर ग्रामीणों ने सूचना दी। इसके बाद एनटीसीए द्वारा तारागांव, घाटबर्रा क्षेत्र के वन अमले को ट्रेनिंग दी गई। इसी बीच कटघोरा वन मंडल से टाइगर की मौजूदगी की खबर आई। तत्काल ग्रामीणों द्वारा बताए क्षेत्र के हिसाब से कैमरे लगाए गए। इसमें 9 सितंबर को ये तस्वीरें आई हैं। इससे एक दिन पहले ही टाइगर ने एक बड़े बैल को मार गिराया था।
टाइगर ने एक बड़े बैल का शिकार किया था, जिसकी खबर किसानों ने वन विभाग को दी थी।