CG के दूसरे माटी पुत्र IFS संजय शुक्ला बने हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स, आरकेसी से स्कूलिंग... एनआईटी से सिविल इंजीनियरिंग, ये हैं नए PCCF की प्राथमिकताएं

संजय शुक्ला ऐसे पहले आईएफएस हैं, जो मंत्रालय में प्रमुख सचिव रह चुके हैं। नया रायपुर की जब परिकल्पना हुई, तब पहले सीईओ थे।

Update: 2022-09-30 15:17 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ के दूसरे माटी पुत्र संजय शुक्ला वन बल के प्रमुख बनाए गए हैं। शुक्ला 1987 बैच के आईएफएस हैं। वे राकेश चतुर्वेदी की जगह लेंगे। दोनों ही रायपुर के हैं। साथ ही, दोनों ने एनआईटी से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वैसे, शुक्ला की स्कूलिंग राजकुमार कॉलेज से हुई। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की, फिर आईएफएस सलेक्ट हुए।

राज्य के नए पीसीसीएफ और वन बल प्रमुख के रूप में शुक्ला का कार्यकाल आठ महीने का होगा। वे पहले ऐसे आईएफएस हैं, जो आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव रह चुके हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग के सचिव रहे हैं। 6 साल तक छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन रहे। नया रायपुर की जब परिकल्पना हुई, तब काडा (अब नवा रायपुर डेवलपमेंट अथारिटी) के वे सीईओ थे।

NPG.News ने उनसे बातचीत की और उनकी प्राथमिकताएं पूछीं, तब उन्होंने चार प्राथमिकताएं बताई हैं।

1. मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना को गति देना, जिससे जंगल के बाहर भी पौधरोपण हो।

2. आवर्ति चराई योजना को रोजगार से जोड़ना, जिससे इससे जुड़े लोगों को लाभ मिल सके।

3. नरवा योजना के तहत जो काम हुए हैं, उसे लोगों तक पहुंचाना, जिससे वे जान सकें कि योजना से क्या लाभ हुआ।

4. प्लांटेशन की क्वालिटी को इंप्रूव करना।


यह तस्वीर जुलाई महीने की है, जब सिंगापुर में आयोजित GRIT अवार्ड में बेस्ट SDG इम्पैक्ट के लिए सम्मानित किया गया था।

लघु वनोपज की खरीदी में बड़ी भूमिका

राज्य सरकार ने जब बस्तर और सरगुजा सहित वनवासी क्षेत्र के लोगों को ध्यान में रखकर लघु वनोपजों की खरीदी का काम शुरू किया, तब संजय शुक्ला को ही यह जिम्मेदारी दी गई। लघु वनोपज संघ के एमडी के रूप में उन्होंने काम किया। इसका लाभ लोगों को मिला। फिलहाल छत्तीसगढ़ में देश के 74 प्रतिशत लघु वनोपजों की खरीदी की जा रही है। यहां 65 प्रकार के लघु वनोपजों की खरीदी की जा रही है। लघु वनोपज खरीदी में छत्तीसगढ़ का देश में पहला स्थान है। यहां लगभग 13 लाख 50 हजार से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहक हैं। इसके अलावा लघु वनोपज के संग्रहण के लिए लगभग 4 लाख 50 हजार महिला समूह कार्यरत हैं। वनोपज की खरीदी कर इसका वैल्यू एडिशन किया जाता है और वैल्यू एडिशन से प्राप्त राशि समूहों को दी जाती है। तेंदूपत्ता का समर्थन मूल्य ढाई हजार प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार प्रति मानक बोरा किया है।

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