CG में एक और जिला! उपचुनाव के ऐलान के साथ भानुप्रतापपुर के लोगों के मन में जागी ललक, लंबे समय से है जिले की मांग

सीएम भूपेश बघेल ने खैरागढ़ उपचुनाव के दौरान खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिला बनाने का ऐलान किया था। अब भानुप्रतापपुर अंतागढ़ पखांजूर जिला बनाने के लिए चौक-चौराहों में छिड़ी चर्चा।

Update: 2022-11-06 13:10 GMT

रायपुर/कांकेर। भानुप्रतापपुर जिला बनेगा। क्या भानुप्रतापपुर भी जिला बनेगा। क्या भानुप्रतापपुर अंतागढ़ और पखांजूर को मिलाकर जिले का ऐलान किया जा सकता है। ये ऐसे सवाल हैं जो उपचुनाव के ऐलान के साथ लोगों के मन में हैं। या कहें कि लोगों के मन से बाहर आकर चौक-चौराहों, ठेले-गुमटियों में चर्चा में आ गए हैं। भानुप्रतापपुर, अंतागढ़ और पखांजूर के लोगों की जिला बनाने की पुरानी मांग रही है, इसलिए कह सकते हैं कि उनकी यह ललक भी जाग गई है। इसके पीछे जो कारण है, वह आप जानते हैं कि खैरागढ़ उपचुनाव के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने खैरागढ़ छुईखदान गंडई को जिला बनाने का ऐलान किया था, इसलिए लोग इस उम्मीद से हैं कि चुनाव के दौरान सरकार जिला बनाने का ऐलान कर सकती है। NPG.News ने इस संबंध में लोगों से बातचीत की कि किस आधार पर जिला बनाया जाए। जो जवाब मिले हैं, उस पर आधारित यह रिपोर्ट पढ़िए...

भानुप्रतापपुर ही रह गया जिला बनने से

जानकारी के मुताबिक अविभाजित बस्तर जिले में आठ तहसीलें थीं। यह छत्तीसगढ़ राज्य बनने से भी 15-20 साल पहले 80 के दशक की बात है। इनमें भानुप्रतापपुर के अलावा कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कोंटा और बीजापुर शामिल हैं। नाम पढ़कर ही आपको यह पता चल गया होगा कि ये सभी अब जिले हैं। (कोंटा सुकमा जिले में आता है।) भौगोलिक की दृष्टि से भी भानुप्रतापपुर बड़ा है। यह भी तर्क है कि कई जिले ऐसे हैं, जहां सिर्फ 2-3 ब्लॉक हैं। भानुप्रतापपुर को जिला बनाने की स्थिति में या संयुक्त जिला बनाने की स्थिति में भी भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, दुर्गकोंदल के अलावा पखांजूर यानी पांच ब्लॉक हो सकते हैं।

एडीएम और एएसपी की भी नियुक्ति

भानुप्रतापपुर और अंतागढ़ में एडिशनल एसपी की नियुक्ति है। वहीं, अंतागढ़ में एडिशनल एसपी के साथ एडिशनल कलेक्टर की भी नियुक्ति की जा चुकी है। भानुप्रतापपुर फॉरेस्ट के लिहाज से ईस्ट और वेस्ट डीएफओ का मुख्यालय है। एडीजे कोर्ट है। कई और विभागों के बड़े दफ्तर संचालित हो रहे हैं। इनमें बिजली, कृषि, जेल, पीडब्यूडी, सिंचाई, पीएचई आदि शामिल हैं।

वन व खनिज संपदा की प्रचुर

भानुप्रतापपुर भौगोलिक ही नहीं, बल्कि खनिज और वन संपदा के हिसाब से भी समृद्ध है। जानकारी के मुताबिक यहां के तेंदूपत्ता की क्वालिटी काफी अच्छी है, इसलिए कई राज्यों में मांग रहती है। अमचूर, चिरौंजी की भी काफी मांग रहती है। इसके अलावा लौह अयस्क खदानें हैं। सीएमडीसी भैंसाकन्हार, हाहालद्दी, चेमल, मेटाबोदली माइंस संचालित हो रहे हैं। इस तरीह से देखा जाए तो यह कमाई जिला हो सकता है।

सड़क के साथ रेल सेवा भी उपलब्ध

बस्तर संभाग का यह क्षेत्र सड़क और रेल नेटवर्क से जुड़ा है। इसके विपरीत दूसरे पक्ष पर ध्यान दें तो कांकेर जिला मुख्यालय के हिसाब से कोयलीबेड़ा के अलावा बांदे क्षेत्र के लोग 150 किलोमीटर दूर हैं। भानुप्रतापपुर को जिला मुख्यालय मानकर यदि अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, दुर्गकोंदल या पखांजूर की दूरी देखें तो सभी 35 से 80 किलोमीटर के दायरे में है। राजनीतिक रूप से भी भानुप्रतापपुर का महत्व रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अजीत जोगी सरकार में मनोज मंडावी सबसे पॉवर फुल मंत्री थे, जिनके पास कई विभाग थे। भाजपा के देवलाल दुग्गा एसटी आयोग के अध्यक्ष थे। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होमल हुपेंडी भी इसी क्षेत्र के हैं।

यह चुनाव दोनों दलों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण

भानुप्रतापपुर का उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही काफी महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ में अब तक हुए उपचुनावों में (कोटा छोड़ दें तो) सत्ता पक्ष की ही जीत हुई है। ऐसे में कांग्रेस के लिए किसी तरह चिंता की बात नहीं है। फिर भी भानुप्रतापपुर के उपचुनाव पर राजनीतिक पंडितों की नजर है। ऐसा इसलिए क्योंकि उपचुनाव का परिणाम सालभर बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी असर डालेगा। भाजपा में रणनीतिकार यह जानते हैं कि उपचुनावों में जीत आसान नहीं है, इसलिए हार से विधानसभा चुनाव की तैयारी पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन जीत होने पर संजीवनी साबित होगी। कार्यकर्ता रीचार्ज हो जाएंगे। यही वजह है कि सीएम भूपेश बघेल ने जिस तरीके से खैरागढ़ को जिला बनाने का ऐलान कर मास्टर स्ट्रोक खेला था, उसी तरह भानुप्रतापपुर को भी जिला बनाने का ऐलान किया जा सकता है।

256 मतदान केंद्र, जिनमें सिर्फ 17 शहरी, बाकी ग्रामीण

भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट में 256 मतदान केंद्र हैं। इनमें 17 शहरी और 239 ग्रामीण हैं। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के मुताबिक हर केंद्र में अधिकतम 1500 मतदाता रहेंगे। यहां मतदाताओं की संख्या 197535 है। इनमें 96007 पुरुष और 101528 महिला मतदाता हैं।

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