CG में 4400 करोड़ का शराब घोटाला : कांग्रेस का आरोप - दिल्ली सरकार की तर्ज पर रमन सरकार ने नीति बदलकर किया 4400 करोड़ का घोटाला, सोशल मीडिया ट्रेंड कर रहा

Update: 2023-05-15 13:20 GMT

रायपुर. छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ के कथित शराब घोटाले की ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा की जा रही जांच के जवाब में कांग्रेस ने रमन सरकार के कार्यकाल में 4400 करोड़ के शराब घोटाले का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दिल्ली की आप सरकार की तर्ज पर तत्कालीन रमन सरकार ने आबकारी नीति में संशोधन कर यह घोटाला किया. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया इसी मामले में जेल में हैं. कांग्रेस ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है. कांग्रेस की इस प्रेस कांफ्रेंस के बाद सोशल मीडिया पर भाजपा शराब घोटाला ट्रेंड कर रहा है. ट्विटर पर इस हैश टैग से 7000 ट्वीट हो चुके हैं.

पीसीसी मुख्यालय राजीव भवन में प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि डॉ. रमन सिंह की सरकार ने वर्ष 2012-17 के बीच शराब ठेकेदारों से मिलीभगत कर लगभग 4400 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया. रमन सरकार ने भी अपने कार्यकाल में दशकों से चली आ रही आबकारी नीति को परिवर्तित कर दिया था. वैसे ही जैसे दिल्ली की आप सरकार ने किया है.

आबकारी विभाग में वर्ष 2012 से 2017 के बीच शासन के उच्च स्तरीय संरक्षण में प्रदेश में मौजूद शराब उत्पादकों को फायदा पहुंचाने और करोड़ों रुपए की कमीशनखोरी करने के उद्देश्य से बिना मापदंडों का पालन किए उनके उत्पाद को IMFL (इंडियन मेड फॉरेन लीकर) की कैटेगरी में शामिल किया गया. इस तरह शराब बिक्री में ठेकेदारों को अधिक मुनाफा दिया गया. इन अवैधानिक तरीके से IMFL श्रेणी की कैटेगरी में रखी गयी शराब को प्रदेश में ऊंची दरों पर बेचकर कई सौ करोड़ की कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है.


50-60 प्रतिशत तक दिया मुनाफा

शुक्ला ने कहा कि रमन सरकार द्वारा शराब के सेल प्राइज फिक्सेशन में देसी शराब के निविदाकर्ता/लाइसेंसी को वर्ष 2012-13 और 2013-14 में 60 प्रतिशत व वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक 50 प्रतिशत का मुनाफा दिया गया. यह अन्य राज्यों से ढाई गुना अधिक था. सीएजी ने भी इस पर आपत्ति जताई थी. रमन सरकार द्वारा देसी/विदेशी शराब के निविदाकर्ताओं को अत्यधिक मुनाफा दिए जाने के कारण वर्ष 2012-13 से 2016-17 के बीच विदेशी शराब के रिटेलर्स को 946.79 करोड़ और इसी अवधि में देसी शराब के रिटेलर्स को 567.13 करोड़ का अवैध लाभ पहुंचाया गया. तत्कालीन आबकारी विभाग ने विभिन्न निविदाकर्ताओं/लाइसेंसी शराब ठेकेदारों के साथ आपराधिक षड़यंत्र करते हुए विक्रय कर निर्धारण में कुछ शराब निर्माताओं को फायदा पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के शराब की फुटकर बिक्री अनुज्ञापनों के व्यवस्थापन नियमों में दर्शित लाइसेंसी शर्तों में गलत परिवर्तन कर अवैध रूप से देसी/विदेशी शराब के फुटकर बिक्री मूल्य निर्धारण करने के दौरान वर्ष 2012-13 से 2016-17 के बीच देसी/विदेशी शराब के फुटकर निविदाकर्ताओं को अधिक मुनाफा प्रतिशत प्रदान कर अनुचित लाभ प्रदान किया गया, जिससे राज्य शासन का लगभग 4400 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति की गई.

संचार विभाग के प्रमुख शुक्ला ने बताया कि भाजपा की तत्कालीन सरकार ने इस महाघोटाले को अंजाम देने के लिए सीएम के खास अधिकारी समुंद राम सिंह को रिटायरमेंट के बाद नियमों के खिलाफ जाते हुए 9 साल लगातार सेवा वृद्धि देते हुए आबकारी विभाग में ओएसडी के पद पर कार्यरत रखा. शासन के इशारे पर उक्त अधिकारी ने इस हजारों करोड़ के आबकारी घोटाले को अंजाम दिया. संविदा पर पदस्थ अधिकारी को नियमानुसार वित्तीय अधिकार नहीं होते, लेकिन तत्कालीन सरकार के संरक्षण में उक्त अधिकारी ने नियमों की अवहेलना करते हुये वित्तीय अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए आबकारी नीति बनाते हुये इस महाघोटाले में सरकार का साथ दिया था.

2018 में संविदा पर पदस्थ ओएसडी समुंद सिंह प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के दूसरे दिन इस्तीफा देकर फरार हो गए थे. उक्त भ्रष्टाचार की शिकायत दस्तावेजों के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से करने पर उन्होंने भ्रष्टाचार की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी. इस पर ईओडब्ल्यू ने जांच कर इस महाघोटाले पर मुहर लगाते हुए 26 अप्रैल 2019 को समुंद सिंह के आठ ठिकानों पर छापामार कार्यवाही की थी. 10 माह तक फरार रहने के बाद ईओडब्ल्यू ने समुंद सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश करते हुए जेल भेजा, जिसमें समुंद सिंह की जमानत एक बार सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के 2 वर्ष बाद हुई थी. वर्तमान यह प्रकरण अदालत में जारी है.

प्रेस कांफ्रेंस में प्रभारी महामंत्री प्रशासन रवि घोष, महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी, धनंजय सिंह ठाकुर, अजय साहू, नितिन भंसाली, मणि प्रकाश वैष्णव उपस्थित थे.

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