CG Congress का बदलेगा चेहरा: चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ पीसीसी की नई टीम बनेगी, 50% आरक्षण का नियम लागू होगा
रायपुर. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी का चेहरा बदल जाएगा. यह तय माना जा रहा है कि मोहन मरकाम चुनाव तक प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे, लेकिन कुछ नए नाम भी दावेदारों में जुड़ गए हैं. हालांकि पीसीसी अध्यक्ष को छोड़ दें तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी में नए चेहरे शामिल किए जाएंगे. इसमें एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं की 50 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. कुछ नॉन परफॉर्मर जिलाध्यक्ष और जिनकी शिकायतें हैं, उन्हें भी बदला जाएगा. इसकी कवायद शुरू हो चुकी है. पार्टी में जो बातें हो रही हैं, उसके मुताबिक कुछ दिनों में ही पीसीसी अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो जाएगा.
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही अखिल भारतीय स्तर की सारी कमेटियां भंग कर दी गई हैं. कांग्रेस के रायपुर महाधिवेशन में सीडब्ल्यूसी का चुनाव होना था, लेकिन स्टीयरिंग कमेटी ने चयन का पूरा अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को दे दिया है. एक दिन पहले सीएम भूपेश बघेल ने खरगे से मुलाकात की. उन्होंने सीडब्ल्यूसी के चुनाव के संबंध में उनसे बातचीत की. सीएम ने मीडिया को बताया है कि सीडब्ल्यूसी के साथ ही एआईसीसी की नई कमेटी, महामंत्रियों की नियुक्तियां होनी हैं. इसके बाद प्रदेशों में नियुक्तियां होंगी.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जो बातें हो रही हैं, उसके मुताबिक मरकाम को ही फिर से मौका दिया जाएगा. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि राष्ट्रीय महाधिवेशन के सफल आयोजन के लिए सीएम बघेल के साथ-साथ संगठन ने मरकाम को भी पूरा श्रेय दिया है. मरकाम का प्रभाव बढ़ा है. 6 महीने बाद चुनाव होने हैं, इसलिए अध्यक्ष बदलने की स्थिति से अधिकांश पदाधिकारी इंकार कर रहे हैं. हालांकि यह कहा जा रहा है कि मरकाम नए सिरे से अपनी टीम बनाएंगे. इसमें परफॉर्मेंस के आधार पर कुछ लोगों को हटाया जाएगा. पीसीसी के साथ-साथ जिले व ब्लॉक तक भी कुछ लोग हटाए जा सकते हैं.
वैसे, मरकाम के रीप्लेसमेंट को लेकर भी कई दावेदारों के कयास लगाए जा रहे हैं. इनमें बस्तर सांसद दीपक बैज, संसदीय सचिव व पूर्व आईएएस शिशुपाल सोरी जैसे नाम शामिल हैं. बैज आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. मोदी लहर में जीतने लोकसभा चुनाव जीतने के कारण केंद्रीय नेतृत्व की नजर में भी हैं. पूर्व आईएएस सोरी को सीएम बघेल का करीबी माना जाता है. वे अखिल भारतीय गोंडवाना महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. हालांकि यह भी तर्क दिया जा रहा है कि आलाकमान सरकार और संगठन में बैलेंस बनाकर चलेगा.
मंत्रिमंडल में फेरबदल अब नहीं
छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल में फेरबदल की बातें भी होती रही हैं, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों और 6 महीने बाद चुनाव की स्थिति को देखते हुए अब फेरबदल जैसी बातों को नकारा जा रहा है. क्षेत्रीय संतुलन के आधार पर मंत्रिमंडल का गठन किया गया है. सरगुजा संभाग की 14 सीटों में से तीन मंत्री हैं, जबकि बस्तर की 12 सीटों के आधार पर एक ही मंत्री है. कवासी लखमा पांच बार के विधायक हैं. छत्तीसगढ़ के सबसे अंतिम छोर के सुकमा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. सरपंच से उन्होंने राजनीतिक जीवन शुरू किया था. बस्तर से पीसीसी अध्यक्ष भी दिया गया है.
छत्तीसगढ़ से सबसे ज्यादा आस
देश में अभी तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. इनमें छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश शामिल है. छत्तीसगढ़ के साथ राजस्थान और मध्यप्रदेश में चुनाव होने हैं. राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड है. वहां अंदरूनी उठापटक की भी खबरें आती रहती हैं. मध्यप्रदेश में भी संगठन में कई खेमे हैं. छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस सबसे मजबूत स्थिति में है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की विचारधारा और नीतियों को ध्यान में रखकर यहां योजनाएं शुरू की जा रही हैं. इसका असर भी दिख रहा है. ऐसे में पार्टी को सबसे ज्यादा आस छत्तीसगढ़ से है.