CG BJP को मथेंगे माथुर: छत्तीसगढ़ प्रभारी बनने के दो महीने बाद आ रहे ओम माथुर, जानें कौन सी 6 चुनौतियां हैं उनके सामने

भाजपा ने डी. पुरंदेश्वरी को हटाकर 9 सितंबर को ओमप्रकाश माथुर को छत्तीसगढ़ प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी थी।

Update: 2022-11-15 20:17 GMT

ओम माथुर

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रभारी बनने के दो महीने बाद भाजपा के दिग्गज नेता छत्तीसगढ़ प्रवास पर आ रहे हैं। तीन दिन का यह प्रवास काफी अहम होगा, क्योंकि इस दौरान वे कोर ग्रुप, प्रदेश पदाधिकारी, सांसद-विधायक, मोर्चा प्रकोष्ठ सभी की बैठक लेंगे। यह परिचयात्मक बैठक होगी, लेकिन बातचीत के दौरान वे थाह लेने की कोशिश करेंगे। भानुप्रतापपुर में उपचुनाव भी हैं, इसलिए अब माथुर के चुनाव कौशल से भी कार्यकर्ता परिचित होंगे। बता दें कि माथुर को चुनावी रणनीति का मास्टर माना जाता है। गुजरात, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में उनकी रणनीति से भाजपा जीती थी, इसलिए छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ताओं के मन में यह उम्मीद जगी है कि वे 2023 में फिर सत्ता में वापसी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। आइए जानें कौन सी छह चुनौतियां हैं उनके सामने...

माथुर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबी हैं। पिछले दिनों शाह उनसे मिलने के लिए गए थे।

1. अलसाए कार्यकर्ताओं में जोश भरना

छत्तीसगढ़ में भाजपा के कार्यकर्ता अलसाए हुए हैं। आंदोलनों में तो जैसे-तैसे भीड़ नजर आती है, लेकिन बाकी समय कार्यकर्ताओं के भीतर जीत का उत्साह नहीं है। युवा कार्यकर्ता ही यह आशंका जताते रहते हैं कि सरकार बना पाएंगे या नहीं? इन्हें जगाना होगा, जिससे चुनावी तैयारियों में अभी से जुट जाएं। इनमें उन कार्यकर्ताओं को भी जोड़ना होगा, जो पद नहीं मिलने या उपेक्षा के कारण घर बैठ गए हैं।

2. चेहरे के बजाय कमल निशान पर जोर

भाजपा में फिलहाल चेहरे को लेकर असमंजस है। डॉ. रमन सिंह 15 साल तक चेहरा बने रहे। हार के बाद एक तरह से सर्वमान्य कोई चेहरा नेतृत्व करता नहीं दिख रहा। डी. पुरंदेश्वरी कह चुकी हैं कि किसी चेहरे पर नहीं, बल्कि कमल निशान और मोदी सरकार के काम को आगे कर लड़ेंगे। माथुर को सारे गुटों को आपसी खींचतान से दूर कर एक झंडे के नीचे लाना होगा।

3. आदिवासी नेताओं को एकजुट करना होगा

छत्तीसगढ़ में भाजपा के आदिवासी नेता खुद को हाशिये पर देख रहे हैं। विष्णुदेव साय को ऐन आदिवासी दिवस के दिन हटा दिया गया। वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय, आदिवासी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविचार नेताम जैसे नेताओं के पास कोई दायित्व नहीं है। इन्हें एकजुट करना होगा, जिससे पार्टी को बस्तर, सरगुजा और जशपुर में लाभ मिले।

4. एक साल के लिए कार्ययोजना लेकर काम

अब विधानसभा चुनाव के लिए एक साल बच गए हैं। ऐसे में भाजपा को एक साल की कार्ययोजना बनाकर काम करना होगा, जिससे लगातार सभी मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरकर जनहित के मुद्दे उठाएं और खोई हुई जमीन वापस करें, क्योंकि युवाओं के आंदोलन के बाद महतारी हुंकार रैली के बीच लंबा अंतर रहा। इसके बाद फिर पार्टी में खामोशी छा गई है।

5. छत्तीसगढ़ियावाद से पार्टी को जोड़ना

भाजपा ने अपने 15 साल के शासन में विकास को दिशा दी। इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया। शासन-प्रशासन के कामकाज को सुचारू बनाया, लेकिन छत्तीसगढ़िया संस्कृति या स्थानीय भाव से दूर हो गए। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया। अब भाजपा के सामने यह बड़ी चुनौती है कि वे लोगों से जुड़े मुद्दों, उनकी भावनाओं को समझकर उनके बीच लौटें।

6. अभी से विकल्प की तलाश करना

भाजपा ने कई राज्यों में बड़े पैमाने पर चेहरे बदलने का दुस्साहस किया। यह रणनीति सफल रही। अब छत्तीसगढ़ में भी 90 में से अधिकांश चेहरों को बदलने की चर्चा है, क्योंकि यहां भी पिछले 20 सालों से कुछ चेहरे परमानेंट बने हुए हैं। ऐसे में अभी से ही विकल्प की तलाश करनी होगी, जिससे चुनाव में नए चेहरों की स्वीकार्यता बने और आशातीत परिणाम भी आए।

भाजपा ने भव्य स्वागत की तैयारी शुरू की

ओम माथुर 21 नवंबर को दोपहर पौने दो बजे आएंगे। भाजपा ने उनके भव्य स्वागत की तैयारी की है। 22 नवंबर को वे कोर कमेटी, प्रदेश पदाधिकारी, मोर्चा अध्यक्ष, संभाग प्रभारी, जिला प्रभारी, जिला अध्यक्ष और सांसद-विधायकों की बैठक लेंगे। 23 नवंबर को वे मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी और सभी प्रकोष्ठ के संयोजक और सह संयोजकों से मिलेंगे। इसके बाद 24 नवंबर को दोपहर तक व्यक्तिगत रूप से भी लोगों व कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। इसके बाद शाम को एक शादी समारेाह में शामिल होंगे। इसके बाद वे लौट जाएंगे।

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