Biran mala controversy: सोने की नहीं बल्कि सोने-सी है 'बिरन माला', घास से बनी माला कांग्रेस महाधिवेशन के दौरान आई सुर्खियों में

Update: 2023-02-28 13:27 GMT

Biran Mala Controversy

"बिरन माला' को जो पहचान कांग्रेस महाधिवेशन में मिली, वह उसे देश भर में ख्याति दिला गई। विवादित "सोने की माला' तो वह नहीं निकली लेकिन उसके कारण विशेष पिछड़ी 'बैगा जनजाति' के हुनर की चमक देशभर में फैल गई। बड़े जतन और करीने से घास से बनाई यह माला कांग्रेस के विशेष अतिथियों को भी बहुत पसंद आई और वे इसे सहेज कर साथ भी ले गए। बैगा आदिवासियों की मानें तो इस माला को पहनने से आने वाला संकट भी टल जाता है तो क्या मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में कांग्रेस 'मोदी संकट' से पार पा जाएगी? ये तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल मीडिया में छाई बिरन माला की खासियत हम आपको बताते हैं।

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इन घासों से बनती है बिरन माला

सोने की नहीं वरन सोने-सी यह माला वस्तुतः घास से बनती है। यह बैगा आदिवासियों का एक प्रिय गहना है। जिसे खिरसाली नाम के पेड़ के तने और सुताखंड और मुंजा घास के रेशों से बनाया जाता है। आमतौर पर माला को गूंथने के लिए मुंजा घास का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है, क्योंकि यह बहुतायत में होती है। यह अक्टूबर-नवंबर माह में उगती है। पहले खिरसाली के तने को छीलकर समान आकार के छल्ले बनाए जाते हैं। फिर उन्हें गूंथा जाता है फिर हल्दी के घोल में डुबा कर सुखाया जाता है। अन्य प्राकृतिक रंगों में भी इन्हें रंगा जा सकता है। ऐसी एक माला को बनाने में कम से कम तीन दिन लग जाते हैं। पूरा काम बड़े जतन से हाथ से किया जाता है। बैगा आदिवासी मानते हैं कि इसे धारण करने से आसन्न संकट भी टल जाता है। उनकी धार्मिक आस्था भी इससे जुड़ी हुई है।

हर खास अवसर पर पहनी जाती है बिरन माला

कोई धार्मिक कार्यक्रम हो या फिर मेला-मड़ई या फिर उत्सव या विवाह,अपने अतिथियों का स्वागत बैगा आदिवासी इसी बिरन माला से करते हैं। नृत्य के अवसर पर बैगा महिलाएं इसे सिर पर भी धारण करती हैं।

विश्व आदिवासी महोत्सव में भी देखी गई थी

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आयोजित विश्व आदिवासी महोत्सव में भी यह माला आकर्षण का केंद्र बनी थी। महोत्सव में भाग लेने उतरे बैगा समूह के सदस्यों ने यही माला पहनी थी।

तब सीएम को भाई थी बिरन माला

कुछ समय पहले सीएम भूपेश बघेल पंडरिया विधायक ममता चंद्राकर की बेटी के विवाह में पहुंचे थे। वहां उनका स्वागत इसी बिरन माला को पहनाकर किया गया था। सीएम को यह माला बहुत पसंद आई और तभी उनके मन में यह विचार आया कि महाधिवेशन में अगर अतिथियों का स्वागत इस माला से किया जाए यह विशेष प्रयोग तो होगा ही, छत्तीसगढ़ की पिछड़ी बैगा जनजाति का यह खास हुनर दुनिया की नजर में भी आएगा। तब सीएम की इच्छा जानकर विधायक ममता चंद्राकर ने कबीरधाम जिले के पंडरिया निवासरत बैगा आदिवासियों से इस तरह की 200 मालाएं बनवाईं और उन्हीं से महाधिवेशन में विशेष अतिथियों का स्वागत किया गया।

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