बड़ी खबर: आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण के विवाद के बीच आरएसएस प्रमुख आ रहे छत्तीसगढ़, जशपुर और सरगुजा में...
सितंबर महीने में ही आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के अलावा अखिल भारतीय स्तर के कई पदाधिकारी हफ्तेभर तक राजधानी में थे।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण के मसले पर छिड़ी राजनीति और विवाद के बीच आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत दो दिन के छत्तीसगढ़ दौरे पर आ रहे हैं। यह दौरा 14 और 15 नवंबर को होना है। आरएसएस पदाधिकारियों के मुताबिक वनवासी कल्याण आश्रम और सरगुजा संभाग के कार्यक्रम में सीएम हिस्सा लेंगे, लेकिन राजनीतिक रूप से इस दौरे के मायने निकाले जा रहे हैं। सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर सीधा असर पड़ेगा। इन सभी सीटों पर फिलहाल कांग्रेस के विधायक हैं।
राजधानी रायपुर में आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक के दो महीने बाद सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत के छत्तीसगढ़ प्रवास को लेकर राजनीति गरमाने के आसार हैं। इस बार भागवत जशपुर और अंबिकापुर में अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। जशपुर में वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से 14 नवंबर को आयोजन है।
इसके बाद 15 नवंबर को आरएसएस के सरगुजा संभाग का आयोजन है। इसमें सरगुजा संभाग के सभी स्वयंसेवक हिस्सा लेंगे। पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवकों के संचलन के बाद भागवत का उद्बोधन भी होगा। दोनों ही कार्यक्रम सार्वजनिक होंगे और स्वयंसेवकों के अलावा अन्य लोग भी उद्बोधन को सुन सकेंगे। जशपुर में पूर्व सांसद दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण करेंगे।
(अखिल भारतीय समन्वय बैठक के समापन के बाद डॉ. मोहन भागवत चंदखुरी में कौशल्या माता मंदिर भी गए थे। )
भागवत का यह प्रवास इसलिए अहम
आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के इस प्रवास को लेकर राजनीतिक पंडितों के साथ-साथ खुफिया विभाग की नजर है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक बताया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद आदिवासियों का 32 प्रतिशत आरक्षण अब 20 प्रतिशत हो गया है। इसे लेकर आदिवासी समाज में नाराजगी है।
कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रही हैं, जिससे राजनीति गरमाई हुई है। सर्व आदिवासी समाज ने 15 नवंबर को ही आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान किया है, जबकि 9 नवंबर को भाजपा जिलों में चक्काजाम करने वाली है। जशपुर क्षेत्र में धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा है। दिलीप सिंह जूदेव ऑपरेशन घर वापसी का प्रमुख चेहरा रहे हैं।
इन क्षेत्रों में डी-लिस्टिंग भी एक बड़ा मुद्दा है, जिसमें धर्मांतरण करने वाले आदिवासी परिवारों को आरक्षण का लाभ नहीं देने की मांग की जा रही है। कुल मिलाकर आरएसएस प्रमुख के दौरे से इन विषयों को लेकर व्यापक संदेश जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।