Astrology Tips: क्यों नहीं पढ़ना चाहता आपका बच्चा, जानिए कारण और इन उपायों में करें समाधान

Update: 2022-08-04 00:30 GMT

Astrology Tips रायपुर I  माता-पिता की सबसे बड़ी पूंजी उसकी संतान होती है और संतान संस्कारी हो तो फिर क्या कहने। इसके लिए सबसे पहले माता-पिता बच्चों की पढ़ाई पर जोर देते हैं। ज्यादातर पैरेंट्स अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए खूब क्लास भी लगाते हैं, लेकिन कभी भी उनकी मन: स्थिति को नहीं समझते है।

बच्चों का मन नहीं लगता पढ़ाई में

सभी माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए त्याग करने को तैयार रहते हैं। कुछ बच्चे सरलता से शिक्षा पूर्ण कर लेते हैं लेकिन कुछ को मेहनत के बाद भी शिक्षा में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा बच्चे की जन्मपत्री मे ग्रह-योग के कारण होता है और कुछ वास्तु दोष के कारण।

अगर बच्चे की जन्मपत्री में पंचम भाव उसकी शिक्षा -ज्ञान व उसकी सवाल याद करने की क्षमता का निर्धारण करता है। पंचम भाव का स्वामी गृह पंचमेश निर्बल, दुष्ट ग्रहों से पीडि़त, या पंचमेश पंचम भाव से अष्टम अर्थात लग्न से द्वादश भाव में, या अस्त हो या नीच राशि में हो, तो बच्चे को एग्जाम के दिनों मे परेशानी व शिक्षा प्राप्ति में रुकावटें आती हैं। कुछ सरल उपाय से आप अपने बच्चे की पढ़ाई संबंधी बाधा को दूर कर सकते है।

ये सरल उपाय करें आपका बच्चा बनेगा बुद्धिमान

सबसे पहले बच्चे जिस टेबल पर पढ़ते हैं उसकी दिशा सही होनी चहिए। टेबल की दिशा उत्तर की ओर होनी चाहिए, उत्तर से सकारात्मक उर्जा आती है। साथ ही बच्चे का चेहरा भी पढ़ते समय उत्तर दिशा की ओर ही होना चाहिए।

अगर कुंडली में पंचमेश शुभ, लेकिन साथ में निर्बल है तो उससे सम्बंधित ग्रह का रत्न धारण करवा कर उसकी शक्ति बढ़ाए। यदि पंचमेश नीच का है तो उससे सम्बंधित खाने की वस्तु मंदिर मे दान दे।

बच्चे के पढ़ते समय पीठ पीछे खिड़की है तो वह उर्जा देती है, जिससे बच्चे का ध्यान भंग नहीं होता है। जो भी काम आपके बच्चे कर रहे हैं उस पर ध्यान अच्छे से लगता है।पढ़ाई वाली टेबल को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। पढ़ने वाले कमरे को व्यवस्थित रखें।

कुछ घरों में पढाई की जगह नेगेटिव किरणें आती है जो बच्चे की एकाग्रता भंग करती है। उसके लिए बच्चे को रुद्राक्ष माला धारण करवाएं। ज्ञान की देवी माता सरस्वती की फोटो बच्चों के पढाई स्थान पर लगा दें, उनकी किताब में मोर पंख रखें।

पढ़ाई के लिए मंत्र?

पढ़ाई करते समय बच्चे का मुंह पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए और पढ़ने से पहले ' ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नम:। ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नम:, इस मंत्र का 11 बार जाप करें।

साथ ही अगर अगर आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा हो, तो टेबल पर एजुकेशन टावर लगा दें। इससे बच्चे की पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ती है और जो भी पढ़ते हैं वह याद रहता है। इन उपायों को न‍ियम‍ित रूप से करने से बच्‍चों की पढ़ाई के प्रत‍ि रूच‍ि बढ़ती है।

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