CG में ढाई करोड़ का धान खरीदी घोटाला: इस तरह से केंद्र प्रभारी ने दिया घोटाले को अंजाम, पढ़ें
जांजगीर- चाम्पा। ढाई करोड़ से अधिक के धान खरीदी घोटाले मामले में कई बड़े खुलासे हुए है। इस मामले में मुख्य आरोपी केंद्र प्रभारी रामनारायण कश्यप को गिरफ्तार करने के बाद रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ की गई। शुरू में लग रहा था कि आरोपी ने किसानों की जमीन का रकबा बढ़ा कर समर्थन मूल्य में धान खरीदी कर रकम अपने खातों में मंगवा शासन को ढाई करोड़ से अधिक का चूना लगाया है। एफआईआर के बाद से ही आरोपी फरार चल रहा था। जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिसके बाद पुलिस रिमांड में उसने सारी कहानी बताई है।
मिली जानकारी के अनुसार मामला नवागढ़ थाना क्षेत्र का है। यहां जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी अश्वनी पांडेय ने ग्राम तुलसी व ग्राम किरीत के धान खरीदी केंद्र प्रभारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। आरोपियों ने फर्जी पंजीयन नवीनीकरण व किसानों की जमीन का रकबा बढा कर 1294.71 क्विंटल धान की खरीदी किया था। जिसका समर्थन मूल्य के हिसाब से कीमत 2 करोड़ 51 लाख 4 हजार 9 सौ 82 रुपये कीमत है। इस अवैध खरीदी से लाभ प्राप्त कर कुछ किसानों की धान बिक्री की राशि उन किसानों के बैंक खाता के स्थान पर अपने साथियों के खाते में मंगवा कर संस्था प्रबंधकों ने अवैध लाभ प्राप्त किया था।
दोनो संस्था प्रबंधकों ने लोक सेवा केंद्र के कम्प्यूटर ऑपरेटर के साथ मिलकर किसानों की भूमि रकबा में अतिरिक्त रकबा जोड़कर घोटाले को अंजाम दिया था। जिस पर थाना नवागढ़ में 8 फरवरी को अपराध क्रमांक 45/22 धारा 420,34 कायम किया गया था। जिसमे विवेचना में धारा 467,468,471,120 बी ,408,409 भादवि जोड़ी गई। ग्राम किरीत के धान खरीदी केंद्र प्रभारी रामनारायण कश्यप को पूर्व में ही गिरफ्तार किया जा चुका है। जबकि ग्राम तुलसी का धान खरीदी केंद्र प्रभारी 32 वर्षीय अजय प्रकाश नागेश फरार चल रहा था। जिसे पुलिस ने कोरबा से गिरफ्तार किया है। उससे दस्तावेज, गबन की राशि व अन्य साक्ष्य प्राप्त करने के लिए पुलिस ने न्यायलय से उसका पुलिस रिमांड मांगा था।
रिमांड में आरोपी ने बताया कि उसने सरकारी जमीनों को किसानों के नाम की निजी भूमि बता उसके रकबे में धान की खरीदी कर ली। जिसकी रकम उक्त किसानों के खाते में गयी। जिनसे केंद्र प्रभारी नागेश की पूर्व से ही मिलीभगत थी। उनके खाते में धान बिक्री की रकम आने के बाद उसका आहरण करवा खुद ही रख लिया और रिश्तेदारों को भी बांट दिया। कुल मिला कर सरकारी जमीनों को निजी जमीन बता धान खरीदी कर घोटाला किया गया। आरोपी को पुलिस रिमांड पूरी होने पर दो दिन पहले ही जेल दाखिल किया गया है।