CG बड़ा फैसला: प्रायवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में SP, CEO, कमिश्नर समेत 9 सदस्यों की बनेगी जिला स्तरीय कमेटी, देखिए GAD का आदेश...

प्रायवेट स्कूलों के प्रताड़ना की वजह से छत्तीसगढ़ में हर साल 50 परसेंट बच्चों के स्कूल छोड़ देने के एनपीजी न्यूज की खबर के बाद सरकार हरकत में आई है। विष्णुदेव सरकार ने आज बड़ा आदेश जारी किया है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद आरटीई को लेकर राज्य सरकार ने पहली बार इतनी बड़ी पहल की है कि कलेक्टर, एसपी समेत जिले के आला अफसरों की कमेटी बना दी है।

Update: 2024-06-14 06:39 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार ने आज प्रायवेट स्कूलों पर शिकंजा कसते हुए एक बड़ा आदेश जारी किया है। सामान्य प्रशासन विभाग से जारी आदेश के अनुसार कलेक्टर की अध्यक्षता में हर जिले में नौ सदस्यीय जिला स्तरीय कमेटी बनाई जाएगी। इनमें जिला पंचायत के सीईओ, नगर निगमों के कमिश्नर, डीईओ समेत एक स्कूल के प्राचार्य और पालक शामिल होंगे।

इससे पहले स्कूल शिक्षा विभाग के सिकरेट्री सिद्धार्थ परदेशी ने कलेक्टरों से प्रायवेट स्कूलों में आरटीई पर रिपोर्ट मांगी थी। कलेक्टरों ने प्रायवेट स्कूलों की मीटिंग कर जो रिपोर्ट सरकार को भेजी हैं, वो काफी चौंकाने वाली हैं। छत्तीसगढ़ में हर साल 50 परसेंट बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। ये पिछले तीन शैक्षणिक सत्रों से हो रहा है। पिछले सत्र 2023-24 में 48 हजार गरीब बच्चों ने आरटीई के तहत प्रायवेट स्कूलों में दाखिला लिया था। इनमें से 24 हजार बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया।


कमेटी में नौ सदस्य

जिला स्तरीय निगरानी कमेटी में कलेक्टर के साथ एसपी, जिला पंचायत सीईओ, नगर निगम या नगर पालिकाओं के कमिश्नर या सीएमओ, असिस्टेंट कमिश्नर ट्राईबल, समग्र शिक्षा समन्वयक, डीईओ, एक प्राचार्य, एक पालक सदस्य होंगे।

छह बिंदुओं पर फोकस

जिला स्तरीय कमेटी में एसपी को इसलिए रखा गया है कि प्रायवेट स्कूल मनमानी न कर सकें। फर्जीवाड़ा करने वाले स्कूलों के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा सके।

RTE की हालत नाजुक 

सरकार के पास ऐसे फीडबैक आए थे कि आरटीई में सबसे अधिक बच्चे छत्तीसगढ़ के ड्रॉप आउट ले रहे हैं। इसके बाद स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कलेक्टरों को पत्र लिखकर इसकी जांच करने कहा था। उन्होंने 15 दिन के भीतर प्रायवेट स्कूलों के साथ मीटिंग कर ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या का पता लगाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रायवेट स्कूलों में महंगे यूनिफार्म, पुस्तकों की वजह से तो बच्चे स्कूल नहीं छोड़ रहे, इसकी भी जांच की जाए। कलेक्टरों ने सरकार को ड्रॉप आउट बच्चों की रिपोर्ट भेज दी है।

तीन साल की रिपोर्ट से सरकार सकते में

छत्तीसगढ़ जैसे गरीब राज्य के लिए सुप्रीम कोर्ट का आरटीई वरदान बन सकता था। मगर छत्तीसगढ़ में प्रायवेट स्कूलों द्वारा गरीब बच्चों को प्रोटेक्शन न दिए जाने की वजह से आधे से अधिक बच्चे स्कूल छोड़ दे रहे। खबर के नीचे पिछले तीन सत्रों में ड्रॉप आउट लेने वाले बच्चों की संख्या वाली कलेक्टररों की रिपोर्ट लगी है, इसे आप देखेंगे तो आपका भी माथा ठनकेगा कि छत्तीसगढ़ के प्रायवेट स्कूलों में हो क्या रहा है। 2020-21 में 10 हजार, 2021-22 में 18 हजार और 2023-24 में 24 हजार गरीब बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। पिछले सत्र याने 2023-24 में छत्तीसगढ के प्रायवेट स्कूलों में 48 हजार गरीब बच्चों के दाखिले हुए थे, इनमें से 24 हजार ड्रॉप आउट ले लिया।

बड़े शहरों की स्थिति चिंताजनक

चूकि बड़े शहरों में सबसे अधिक बड़े और पॉश प्रायवेट स्कूल हैं, इसलिए ड्रॉप आउट होने वाले बच्चांं में रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और जांजगीर शामिल हैं। रायपुर में सबसे अधिक 2496 गरीब बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। राज्य सरकार का भी मुख्य फोकस इन बड़े शहरों के बड़े स्कूलों पर है। 60 से 70 परसेंट आरटीई वाले बच्चे इन्हीं शहरों के प्रायवेट स्कूलों में पढ़ते हैं।

संख्या और बढ़ सकती है

स्कूल शिक्षा विभाग के पत्र के बाद कलेक्टरों ने प्रायवेट स्कूलों को तलब कर ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या कलेक्ट कराया। सरकार अगर स्कूलों में जाकर सत्यापन कराए तो ये आंकड़ा काफी बढ़ सकता है। क्योंकि...खासकर बड़े और पॉश प्रायवेट स्कूल बिल्कुल नहीं चाहते कि उनके यहां गरीब बच्चे पढ़े।

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