cabinet reshuffle जोगी कैबिनेट में 23 और रमन के मंत्रिमंडल में थे 18 मंत्री, फिर मरकाम के लिए टेकाम को क्‍यों देनी पड़ी कुर्बानी? जानिए क्‍या थी सरकार की मजबूरी

cabinet reshuffle भूपेश मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद एक प्रश्‍न लगातार उठ रहा है कि क्‍या डॉ. प्रेमसाय सिंह या किसी अन्‍य मंत्री को हटाए बिना मरकाम को मंत्री नहीं बनाया जा सकता था।

Update: 2023-07-15 07:27 GMT

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष के पद से हटाए गए कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम अब सरकार में मंत्री बन गए हैं। राजभवन में आज आयोजित कार्यक्रम में मरकाम ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। मरकाम को मंत्री बनाने के लिए डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम को मंत्री पद छोड़ना पड़ा है। 2018 में कांग्रेस के सत्‍ता में आने के बाद से शिक्षा और आदिमजाति कल्‍याण सहित अन्‍य विभागों की जिम्‍मेदारी संभाल रहे डॉ. टेकाम से इस्‍तीफा ले लिया गया है।

अब सवाल यह उठ रहा है कि क्‍या मरकाम को मंत्री बनाने के लिए डॉ. टेकाम की कुर्बानी जरुरी थी? क्‍या मंत्रिमंडल में से किसी को हटाए बिना मरकाम को मंत्री नहीं बनाया जा सकता था? यही प्रश्‍न NPG News ने छत्‍तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रमख सचिव चंद्रशेखर गंगराड़े से किया। उन्‍होंने बताया कि संवैधानिक बाध्‍यता के कारण छत्‍तीसगढ़ की सरकार में मुख्‍यमंत्री सहित 13 से ज्‍यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते। ऐसे में बिना किसी को हटाए कैबिनेट में किसी नए मंत्री की इंट्री नहीं हो सकती थी।

24 के साथ जोगी और 18 मंत्रियों के साथ डॉ. रमन बैठे थे सीएम की कुर्सी पर

छत्‍तीसगढ़ राज्‍य निर्माण के बाद नवंबर 2000 में अजीत जोगी के नेतृत्‍व में जो सरकार बनी उसमें सीएम को छोड़कर 23 मंत्री थे। इनमें डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के अलावा खुद मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल, रविंद्र चौबे, मोहम्‍मद अबकर और ताम्रध्‍वज साहू भी शामिल थे। बाद में तरुण चटर्जी के नेतृत्‍व में भाजपा के 12 विधायकों के कांग्रेस प्रवेश के बाद मंत्रियों की संख्‍या और बढ़ गई थी। इसी तरह 2003 में जब भाजपा की पहली बार सरकार बनी तब रमन मंत्रिमंडल में 18 मंत्री थे। इसमें अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल, गणेशराम भगत, हेमचंद यादव, मेघाराम साहू, ननकी राम कंवर, राम विचार नेताम और विक्रम उसेंडी कैबिनेट मंत्री थे। वहीं, केदार कश्यप, डॉ. कृष्णा मूर्ति बांधी, महेश बघेल, पूनम चंद्राकर, राजेश मूणत, राजेन्द्र पाल सिंह भाटिया, रेणुका सिंह और सत्‍यानंद राठिया राज्‍य मंत्री थे। इसमें से पांच जिनमें विक्रम उसेंडी, पुनम चंद्राकर, राजेंद्र पाल सिंह सहित दो अन्‍य को छह महीने बाद हटा दिया गया था।

जानिए मंत्रिमंडल को लेकर क्‍या है संविधान में व्‍यवस्‍था

एक वक्‍त था जब इसी राज्‍य में मंत्रियों की संख्‍या 24 तक हुआ करती थी, लेकिन 2003 में केंद्र सरकार ने एक ऐसा कानून बनाया जिसकी वजह से न केवल छत्‍तीसगढ़ बल्कि देश के बाकी राज्‍यों में भी मंत्रियों की संख्‍या घट गई। छत्‍तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव गंगराड़े के अनुसार 2003 में संविधान एक संशोधन किया गया। संविधान 91वां संशोधन अधिनियम 2003 के अनुच्‍छेद 164 में खंड 1ए को शामिल किया गया। इसके अनुसार किसी राज्‍य के मंत्रिमंडल में मुख्‍यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्‍या राज्‍य विधानसभा के सदस्‍यों की कुल संख्‍या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

छत्‍तीसगढ़ में नहीं बन सकते 13 से ज्‍यादा मंत्री

राज्‍य विधानसभा में सदस्‍यों की कुल संख्‍या 90 हैं। संविधान की व्‍यवस्‍था के तहत कुल सदस्‍य संख्‍या के 15 प्रतिशत से अधिक मंत्री नहीं बन सकते। ऐसे में 90 का 15 प्रतिशत यानी 13.5 विधायक ही मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं। यही वजह है कि राज्‍य में मुख्‍यमंत्री सहित 13 ही मंत्री हैं।

मंत्रिमंडल को लेकर बघेल प्रधानमंत्री को लिख चुके हैं पत्र

मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल राज्‍य में सीएम सहित 13 मंत्रियों की व्‍यवस्‍था से संतुष्‍ट नहीं है। कई मौकों पर बघेल यह बात सार्वजनिक मंचों से भी कह चुके हैं। मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद ही बघेल ने 2018 में इस संबंध मे प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था। इसमें बघेल ने मंत्रिमंडल में सदस्‍यों की संख्‍या का मापदंड 15 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का आग्रह किया था।

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