Bureaucrat in Politics: छत्‍तीसगढ़ में सियासत की पिच पर नौकरशाह, जानिये... क्‍या रहा चुनावी राजनीति में सफलता का ग्राफ

Bureaucrat in Politics: छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव जैसे- जैसे करीब आ रहा है राजनीति सरगर्मी तेज हो गई है। चुनावी अभियानों के बीच दलबदल और पार्टी प्रवेश का सिलसिला लगातार चल रहा है।

Update: 2023-08-12 15:21 GMT

Bureaucrat in Politics: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ की सेवानिवृत्‍त आईएएस जिनेविवा किंडो ने आज से अपनी राजनीति पारी की शुरुआत कर दी है। प्रमोटी आईएएस किंडो ने रायपुर में मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस प्रवेश किया। चर्चा है किंडो सरगुजा संभाग से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी है।

छत्‍तीसगढ़ की राजनीति में यह कोई पहला मौका नहीं है जब कोई पूर्व नौकरशाह राजनीति में प्रवेश किया है। इससे पहले करीब दर्जनभर अफसर सियासी पिज पर अपना भाग्‍य आजमा चुके हैं या आजमा रहे हैं। हालांकि चुनावी राजनीति में इनकी सफलता का ग्राफ बेहद कमजोर है। पीआर खुंटे और शिशुपाल सोरी जैसे चंद नाम हैं जो चुनाव जीते हैं।

आज के दौर के आईएएस अफसरों में सबसे बड़ा नाम ओपी चौधरी का है। 2005 बैच के आईएएस रहे चौधरी ने 2013 के चुनाव के पहले नौकरी छोड़कर भाजपा के साथ सियासी पारी की शुरुआत की। पार्टी ने उन्‍हें कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ खरसिया सीट से मैदान में उतारा। चौधरी हर गए।

सियासत में सबसे सफल पूर्व नौकरशाह में अजीत जोगी का नाम सबसे ऊपर आता है। जोगी पहले आईपीएस और फिर आईएएस रहे। उन्‍होंने भी कलेक्‍टरी छोड़कर कर राजनीति में प्रवेश किया। कांग्रेस की राष्‍ट्रीय राजनीति में जोगी बड़ा नाम बन गए थे। जोगी छत्‍तीसगढ़ के पहले मुख्‍यमंत्री रहे। राज्‍यसभा और लोकसभा सदस्‍य भी रहे हैं।

Bureaucrat in Politics: चुनावी रण में भाग्‍य आजमाने के इंतजार में बैठे पूर्व नौकर शाह

2018 के चुनाव में पूर्व आईएएस शिशुपाल सोरी ने कांग्रेस की टिकट पर भाग्‍य आजमाया था, आज वे विधायक हैं। सोरी और चौधरी के साथ ही अभी कई और पूर्व आईएएस और आईपीएस चुनावी रण में भाग्‍य आजमाने की तैयारी में हैं। इनमें एसीएस के पद से सेवानिवृत्‍त और अब कांग्रेस नेता सरजियस मिंज भी शामिल हैं। मिंज अभी राज्‍य वित्‍त आयोग के अध्‍यक्ष हैं। सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए पूर्व आईएएस आरपी त्‍यागी तो दलबदल भी कर चुके हैं। पहले वे कांग्रेस में थे अब भाजपा में पहुंच गए हैं। 2023 में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे पूर्व नौकरशाहों में गणेश शंकर मिश्रा और नीलकंठ टेकाम का नाम भी शामिल हैं। दोनों भाजपा से टिकट के दावेदार हैं।

Bureaucrat in Politics: आईएएस और आईपीएस ही नहीं राज्‍य सेवा के अफसर भी

2013 में कांग्रेस की टिकट पर गुंडरदेही विधानसभा से चुने गए आरके राय ने डीएसपी पद से नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया था। हालांकि 2018 में वे जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ की टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए। आहिवारा से विधायक रहे सांवलाराम डहरे वाणिज्यककर अधिकारी थे। इसी तरह पुलिस से सेवानिवृत हुए रामलाल चौहान भाजपा की टिकट पर सरायपाली से विधायक चुने गए थे। सेवानिवृत्‍त पुलिस अफसर श्यामलाल कंवर भी कांग्रेस की टिकट पर रामपुर सीट विधायक चुने गए थे। 2018 के चुनाव में जकांछ ने सेवानिवृत आईएएस एमएस पैकरा और सेवानिवृत एसडीओ अर्जुन हिरवानी को प्रत्याशी बनाया था। इसी तरह रिटायर डीएसपी विभोर सिंह को कांग्रेस ने कोटा से टिकट दिया था।

Bureaucrat in Politics: कांग्रेस- भाजपा ही नहीं सर्व आदिवासी समाज से भी नौकरशाह

पूर्व नौकरशाहों के लिए कांग्रेस और भाजपा ही नहीं सर्व आदिवासी समाज भी एक विकल्‍प है। सेवानिवृत्‍त आईपीएस अकबर राम कोर्राम ने सर्व आदिवासी समाज की तरफ से भानुप्रातपपुर सीट पर हुए उप चुनाव में अपना भाग्‍य आजमाया था। कोर्राम तीसरे स्‍थान पर रहे।

Bureaucrat in Politics: अफसर पत्‍नी बनी मंत्री

प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडि़या दिवंगत रविंद्र भेंडि़या की पत्‍नी हैं। भेंडि़या आईपीएस अफसर थे। उनके सेवा में रहते ही उनकी पत्‍नी ने चुनावी राजनीति में कदम रख दिया था।

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