SC का बड़ा फैसला: वेश्यावृत्ति को माना पेशा, अदालत का आदेश-बेवजह सेक्स वर्कर्स को परेशान न करे...
नयी दिल्ली 26 मई 2022. सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा- वेश्यावृत्ति में लिप्त लोगों को भी है सम्मान के साथ जीने का अधिकार। पुलिस उन्हें किसी रूप में परेशान न करे। न ही उन्हें किसी यौन गतिविधि के लिए मजबूर किया जाये. शीर्ष कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को पेशा मानते हुए पुलिस और राज्यों को कई निर्देश दिये हैं. शीर्ष अदालत ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से भी पत्रकारों के लिए कुछ जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और एएस बोपन्ना की खंडपीठ ने कहा कि जब यह स्पष्ट हो जाता है कि यौनकर्मी अपनी मर्जी से काम कर रही है, तो पुलिस उसके मामले में हस्तक्षेप न करे. उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई से भी पुलिस को बचना चाहिए.
शीर्ष कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सेक्स वर्कर भी कानून के समक्ष सम्मान व बराबरी के हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह अहम फैसला दिया। पीठ ने सेक्स वर्करों के अधिकारों की रक्षा के लिए छह सूत्रीय दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने इन सिफारिशों पर सुनवाई की अगली तारीख 27 जुलाई तय की है। केंद्र को इन पर जवाब देने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि स्वैच्छिक वेश्यावृत्ति अवैध नहीं है। केवल वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत दर्ज कराने वाली सेक्स वर्करों के साथ पुलिस भेदभाव न करे। यदि उसके खिलाफ किया गया अपराध यौन प्रकृति का हो तो तत्काल चिकित्सा और कानूनी मदद समेत हर सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्करों के प्रति पुलिस का रवैया अक्सर क्रूर और हिंसक होता है। ये ऐसे वर्ग के होते हैं, जिनके अधिकारों को मान्यता नहीं है, इसलिए उनके मामलों में संवदेनशील रवैया अपनाने की जरूरत है।
महिला सेक्स वर्कर है, सिर्फ इसलिए उसके बच्चे को मां से अलग नहीं किया जा सकता। अगर बच्चा वेश्यालय या सेक्स वर्कर के साथ रहता है इससे यह साबित नहीं होता कि वह बच्चा तस्करी कर लाया गया है। अगर सेक्स वर्कर के साथ कोई भी अपराध होता है तो तुरंत उसे मदद उपलब्ध कराएं, उसके साथ यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे कानून के तहत तुरंत मेडिकल सहायता सहित वो सभी सुविधाएं मिलें जो यौन पीड़ित किसी भी महिला को मिलती हैं। कई मामलों में यह देखा गया है कि पुलिस सेक्स वर्कर्स के प्रति क्रूर और हिंसक रवैया अपनाती है। ऐसे में पुलिस और एजेंसियों को भी सेक्स वर्कर के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
पुलिस को प्रॉस्टिट्यूट के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए, पुलिस को उनके साथ मौखिक या शारीरिक रूप से बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए।