Bemetara Violence News IG बाल-बाल बचे : बिरनपुर के घर में लगी आग बुझाने के दौरान फटा सिलेंडर, वहां पुलिस टीम के साथ थे आईजी छाबड़ा

Update: 2023-04-10 15:13 GMT

बेमेतरा / रायपुर. बेमेतरा के बिरनपुर में जिस घर में उपद्रवियों ने आग लगाई थी, उसे बुझाने के दौरान सिलेंडर ब्लास्ट हो गया. आगजनी का पता लगने के दौरान आईजी डॉ. आनंद छाबड़ा भी पुलिस टीम के साथ मौके के लिए दौड़े. वे मकान के सामने ही खड़े थे कि मीडियाकर्मियों ने उन्हें वहां से हटने के लिए कहा और तभी ब्लास्ट हुआ. इसमें छत पर लगी टिन की चादर हवा में उछल गई. इससे गंभीर हादसा हो सकता था.

बिरनपुर में सांप्रदायिक हिंसा के बाद आईजी छाबड़ा भी तीन दिन से डटे हुए हैं. आज छत्तीसगढ़ बंद के आह्वान के साथ-साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव दल-बल के साथ बिरनपुर पहुंचे थे. पुलिस के लिए उन्हें रोकना बड़ी चुनौती थी. इससे पहले खबर मिली कि गांव के मकान में किसी ने आग लगा दी है. दूर से आग की लपटें नजर आ रही थी. खबर मिली तो आईजी छाबड़ा उस ओर दौड़े. उनके साथ अन्य पुलिसकर्मी भी दौड़े. छाबड़ा मकान के करीब जाकर देखने की कोशिश कर रहे थे कि वहां भीतर कोई फंसा तो नहीं है, तभी पीछे से उन्हें आवाज आई और हटने के लिए कहा गया. आईजी पीछे हटे और तभी घर के भीतर रखे सिलेंडर में ब्लास्ट हुआ. आईजी से कुछ दूरी पर वहां पर पुलिस के अन्य अधिकारी-कर्मचारी भी थे. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक वहां पर टिन की चादर यदि पुलिसकर्मियों की ओर आती तो बड़ा हादसा हो सकता था. बता दें कि आज पथराव में कुछ मीडियाकर्मी व लोग घायल हो गए. उन्हें तत्काल हॉस्पिटल ले जाया गया. हालांकि उनकी स्थिति अब बेहतर है.


कार को बनाया घर

बिरनपुर घटना की सूचना मिलने के बाद आईजी छाबड़ा तत्काल गांव के लिए निकले. रेंज के बाकी जिलों के एसपी भी वहां पहुंचे. पहले दिन तो पुलिस ने मामला शांत करा लिया, लेकिन तनाव की स्थिति बनी हुई थी. इस वजह से बाकी अधिकारी-कर्मचारियों के साथ छाबड़ा ने भी गांव में कैम्प किया. तीन दिन से कार को ही घर बना लिया है. 10 अप्रैल को बंद के ऐलान के कारण बाकी एसपी को भेज दिया गया. आईजी व बेमेतरा एसपी कल्याण एलेसेला ही मौके पर रहे.

दोहरे मोर्च पर लड़ाई

पुलिस को सोमवार को दोहरे मोर्चे पर लड़ाई लड़नी पड़ी. एक ओर गांव के भीतर से पथराव व आगजनी की घटनाएं हो रही थीं तो दूसरी ओर से भाजपा के बड़े नेता व कार्यकर्ता गांव के भीतर जाना चाह रहे थे. ऐसे में उन्हें रोकना भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी, क्योंकि गांव में पथराव के कारण उन्हें भी चोट लग सकती थी. सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि गांव के भीतर जाने वाली सड़क के अलावा चारों तरफ खेत है, जहां से कार्यकर्ता भीतर घुसने की कोशिश कर रहे थे.

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