Bangles Benefits in Hindi : हाथों में खनकती चूड़ियों जुड़ी बातें जानेंगे तो सावन में ही नहीं, हमेशा इसकी खनक से सइया को लुभायेंगे
NPG DESK
तीज त्योहारों पर हिंदू धर्म मे नारी के लिए साज श्रृंगार बताया है। जिसका हर नारी पालन करती है और उसी पर उसके वैवाहिक वजूद की पहचान होती है। महिलाओं का जीवन शादी के बाद बदल जाता है। उन्हें शादी के बाद कई नियमों का पालन करना पड़ता है । खासकर हिंदू महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार कहा गया है। इसके पीछे धार्मिक वजह ये माना जाता है कि इससे पति की उम्र लंबी और जीवन में प्यार और सुख का साथ हमेशा रहता है। वैसे हर धार्मिक मान्यता के पीछे एक वैज्ञानिक सच भी होता है। इन्ही सोलह श्रृंगार में एक है हाथों में भरी चूड़ियां, और उसकी खनक । चूड़ियों की खनक भला किसका मन नही मोह लें। चूड़ियां सौभाग्य की प्रतीक है। जानते हैं क्या कहती है आपके हाथों के चूड़ी-कंगन....
बदलते फैशन ने चूड़ियों के महत्व और अधिक बढ़ा दिया है। अब तो कुंवारी लड़कियां भी चूड़ियां पहनना पंसद करती है। प्राचीन समय की इस परंपरा को आज भी मानते है। किसी भी तीज त्योहार या फिर सावन में चूड़ियों का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। जहां नव-विवाहितों के हाथ हरी-हरी चूड़ियों से भर जाते है। वहीं कॉलेज गोइंग गर्ल भी फैशनेबल दिखने के लिए एक दो-चूड़िया डाल ही लेती है।
सृष्टि के प्रारंभ से ही चूड़ियों का चलन है। ऐसा इसलिए कह सकते हैं कि देवी-देवताओं की फोटोज में उनको चूड़ी पहने देखा जा सकता है। हमारे देश में चाहे जिस क्षेत्र के लोग हो, चूड़ियां पहनने का रिवाज है। पंजाब में शादी के समय दुल्हन लाल रंग का चूड़ा पहनती है, वहां चूड़ी को ही चूड़ा कहा जाता है। ये चूड़ा पंजाब में सुहाग की निशानी है। जो अब हर शादी में दुल्हने पहनने लगी है। बंगाल में शाखा और पौला पहना जाता हैं। शाखा का रंग सफेद होता है और पौला का लाल। ये दोनों शीप और लाख से बनी चूड़ियां होती हैं, जिन्हें यहां किसी सोने के कंगन से भी अधिक महत्व दिया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार महिलाओं की चूड़ी पहनने का संबंध उसके पति और बच्चे से होता है। कहते है कि इससे उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। चूड़ियों के संबंध में इतनी गहरी आस्था है कि महिलाएं चूड़ी बदलने में भी सावधानी बरतती है। बस प्लास्टिक की चूड़ी पहनने की मनाही है इससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
चूड़ियों में रंगों का महत्व
चूड़ी चाहे जिस रंग की हो कलाई की शोभा बढ़ाती है, लेकिन फिर भी इसमें कुछ खास रंगों का महत्व है। नववधु को हरी-लाल चूड़ी पहनना चाहिए। कहते हैं हरे रंग की चूड़ी खुशहाली और सौभाग्य के साथ नई शुरुआत करती है। लाल रंग को नारी शक्ति से जोड़ा जाता है। चूड़ियों के लाल रंग में भी कई रंग होते हैं जैसे कि गहरा लाल, हल्का लाल, खूनी लाल, आदि। इन सभी रंगों का अपना महत्व है। सावन में खासकर महिलाएं हरे रंग की चूड़ी पहनती है । कहते हैं हरा रंग सकारात्मकता के साथ खुशहाली और नवजीवन का प्रतीक है।
आजकल फैशन में लोग 2-3 चूड़ी पहनते है, लेकिन चूड़ियों की जितनी संख्या होगी, उतनी ही अच्छी होती है। आमतौर पर 2-3 चूड़ियां एक कुंवारी लड़की पहने तो वो मानसिक और शारीरिक रूप से ताकतवर बनती हैं। लेकिन जब ये चूड़ियां संख्या में हों तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
चूड़ी का टूटना अशुभ
चूड़ियों से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इन्हें पहनने का कितना फायदा है ये तो आपने जाना, लेकिन यही चूड़ियां समय आने पर गलत परिणाम भी देती हैं। इसलिए इन्हें संभालकर पहनना चाहिए। ये बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसा तब होता है जब चूड़ियां टूटती हैं या फिर उनमें दरार आ जाती है। ऐसी मान्यता है कि चूड़ियों का टूटना उस महिला या उससे जुड़े लोगों के लिए एक अशुभ संकेत है। साइंस के अनुसार चूड़ियों के टूटने का मतलब नकारात्मक ऊर्जा से है। ये ऊर्जा उसकी चूड़ियों के भीतर जगह बनाती है और उन्हें धीरे-धीरे नष्ट करती है। स्वास्थ्य पर असर डालती हैं।