Baital Rani Ghati, Chhattisgarh: खूबसूरत नज़ारों के बीच खतरनाक मोड़ों से गुज़रने का हो शौक तो घूम आइए बैताल रानी घाटी, एक पुरानी खौफ़नाक लव स्टोरी भी वहां सुनने को मिलेगी
इन दिनों यू ट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 'बैताल रानी घाटी' के वीडियो भरे पड़े हैं। हेयरपिन जैसे खतरनाक मोड़ों से दोस्तों के साथ बाइक पर गुजरते,सेल्फी लेते युवा इस रोमांचकारी सफ़र को खूब इंजाॅय करते नज़र आते हैं। वहीं कारों में परिवार के साथ घूमने निकले लोगों की भी कमी नहीं है। इन रोमांचकारी वीडियोज़ को देखकर बाहर के लोग भी बैताल रानी घाटी की ओर रुख करने लगे हैं और आम दिनों में भी यहां का नज़ारा किसी फेमस टूरिस्ट स्पाॅट से कम नहीं होता। सफ़र के दौरान एक ओर जहां चौतरफा हरियाली और बादलों को छू लेने को बेताब पहाड़ देखकर दिल एकदम हल्का हो जाता है ,वहीं अंधे मोड़ों पर अचानक सामने आती गाड़ियों और खाइयों को देखकर मन सिहर भी जाता है। लेकिन इसी थ्रिल की तलाश ही तो पर्यटकों को यहां खींच लाती है। तो आइए छत्तीसगढ़ के खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में आने वाली इस रोमांचक और खतरनाक घाटी और इससे जुड़ी एक खौफनाक ऐतिहासिक कहानी के बारे में जानते हैं।
यहाँ है बेताल रानी घाटी
बैताल रानी घाटी छुईखदान से लगभग 25 कि.मी. दूर देवरचा-कुम्हरवाड़ा मार्ग पर स्थित है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस घाटी में करीब तीन किलोमीटर की बेहद खतरनाक 16-17 मोड़ों वाली सड़क है। हरे भरे पेड़-पौधों से लदे पहाड़ों, घने जंगल और खाइयों के बीच से होकर बेताल रानी घाटी की यात्रा करना एक रोमांचक अनुभव है। अंधे मोड़ों के कारण ये खतरनाक भी है इसलिए राइडिंग और ड्राइविंग के दौरान बहुत सचेत रहना भी ज़रूरी है। लेकिन हाँ, एक यादगार यात्रा और मन बदलाव के लिए ये एक शानदार ट्रिप है।
ये है बैताल रानी की खौफनाक कहानी
जितनी रोमांचक यह घाटी है उतनी ही खौफनाक बैताल रानी की कहानी है। जिनके नाम पर घाटी ने अपना यह नाम पाया है। स्थानीय बुजुर्गों की ज़ुबान पर जो कहानी है, उसके अनुसार बैताल रानी लांजी राज्य की राजकुमारी थी। रूपवती राजकुमारी का विवाह धमधा के राजा से हुआ था। तब वहां गोंड शासन चलता था। धमधा के राजा अपनी रानी के साथ वन भ्रमण के लिए जाया करते थे।
ऐसी ही एक यात्रा के दौरान एक पड़ाव पर सुबह- सवेरे टहलते हुए बैताल रानी का एक चरवाहे से परिचय हुआ। चरवाहा जानवरों को चराते हुए बांसुरी पर सुरीली धुन बजा रहा था। बैताल रानी चरवाहे की बांसुरी की धुन सुन कर बेहद खुश हुईं। उन्होंने चरवाहे से बातें की। जल्द ही उन दोनों के बीच प्रेम पनप गया। बाद में रानी उससे मिलने अक्सर जाने लगीं। एक दिन इस बात की जानकारी राजा के गुप्तचरों ने राजा को दे दी। जब राजा ने एकबार स्वयं घाटी में जाकर प्रत्यक्षतः इस बात की सत्यता पकड़ ली तो उन्होंने आव देखा न ताव, तत्क्षण तलवार निकालकर बैताल रानी के शरीर के तीन टुकड़े कर दिए। चरवाहे को भी उन्होंने मौत के घाट उतार दिया। घाटी चीखों से गूंज गई और खून से नहा गई।
कहते हैं बैताल रानी का शरीर उसी समय पत्थर के तीन टुकड़ों में बदल गया। घाटी में बैताल रानी का एक छोटा सा कुटीनुमा मंदिर बना हुआ है जिसमें उनके शरीर के पत्थरनुमा तीन टुकड़े एक के ऊपर एक रखे गए हैं। घाटी की यात्रा पर आने वाले इस मंदिर में भी जाते हैं और इस जनश्रुति के बारे में पूछते हैं।
कैसे पहुँचे, कहाँ ठहरें
छुईखदान पहुंचने के लिए आप रायपुर के विवेकानंद एयरपोर्ट पर आकर कैब कर सकते हैं, यहां से छुईखदान करीब 112 किमी की दूरी पर है। राजनांदगांव रेलवे स्टेशन निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो 52 किमी दूर है। रायपुर से फोर व्हीलर या बाइक से छुईखदान पहुंचने में करीब तीन घंटे का समय लगता है।
यहाँ पीडब्ल्यूडी और पीएचई के रेस्ट हाउस और निजी होटल भी हैं। जहां आप ठहर सकते हैं।