Arrest of IAS officers : गिरफ्तार होने वाली रानू साहू छत्‍तीसगढ़ की तीसरी आईएएस अफसर, एक गिरफ्तार अफसर की जा चुकी है नौकरी

Arrest of IAS officers : ईडी ने आज छत्‍तीसगढ़ की आईएएस अफसर रानू साहू को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले ईडी एक और आईएएस अफसर को गिरफ्तार कर चुकी है।

Update: 2023-07-22 12:46 GMT

Arrest of IAS officers रायपुर। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गिरफ्त में आने वाली रानू साहू (IAS Ranu Sahu arrested) छत्‍तीसगढ़ की तीसरी आईएएस अफसर हैं। इनसे पहले दो आईएएस और गिरफ्तार किए जा चुके हैं। उन दोनों आईएएस अफसरों को भी ईडी ने ही गिरफ्तार किया था। इनमें से एक अफसर को नौकरी से बाहर किया जा चुका है, जबकि दूसरे अभी जेल में हैं।

Arrest of IAS officers कोयला घोटाला में ही धरे गए हैं आईएएस विश्नोई


आईएएस रानू साहू से पहले ईडी आईएएस समीर विश्नोई (IAS Sameer Vishnoi) को गिरफ्तार कर चुकी है। विश्नोई को 13 अक्‍टूबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था। चिप्‍स के सीईओ रहे विश्नोई के यहां छापे में 47 लाख रुपये कैश और लगभग दो करोड़ रुपये से अधिक के गहने मिले थे। 2016 बैच के आईएएस विश्नोई पर ईडी ने कोयला घोटला में शामिल होने का आरोप लगाया है। ईडी ने कोर्ट को बताया है कि खनिज साधन विभाग के संचालक के पद पर रहते विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को एक अधिसूचना जारी की। इसके तहत खनिज परिवहन की ऑनलाइन व्‍यवस्‍था को समाप्‍त कर दिया गया। इसके बाद फिर 10 अगस्‍त 2020 को विश्नोई के हस्‍ताक्षर से एक और अधिसूचना जारी की गई। इसमें खनिज परिवहन के लिए मैन्‍युअल पध्‍दति को अनिवार्य कर दिया गया। ईडी का आरोप है कि इन अधिसूचनाओं के जरिये खनिज परिवहन की ऑनलाइन प्रक्रिया को समाप्‍त कर दिया गया जो पूरी तरह पारदर्शी थी। इससे भष्‍टचार का बढ़ावा मिला। विश्नोई अभी जेल में हैं। उन्‍हें जमानत नहीं मिल पा रही है।

Arrest of IAS officers भ्रष्‍टाचार के मामले में ही निपटे थे 1988 बैच के अग्रवाल

इन दोनों आईएएस अफसरों से पहले आईएएस बाबूलाल अग्रवाल (IAS Babulal Agarwal) की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। 1988 बैच के आईएएस रहे अग्रवाल को भ्रष्‍टाचार के ममाले में 


पहले सीबीआई और फिर ईडी ने गिरफ्तार किया था। अग्रवाल की गिरफ्तारी 9 नवंबर 2020 को हई थी। अग्रवाल पर फर्जी कंपनियों जरिये अनुपातहिन संपत्ति एकत्र करने का आरोप लगा था। प्रमुख सचिव रैंक पर रहे बाद में सरकार ने उन्‍हें बर्खास्‍त कर दिया। अग्रवाल से 36 करोड़ की संपत्ति जब्‍त हुई थी।

अग्रवाल व उनके भाइयों के खिलाफ राज्‍य में एसीबी- ईओडब्‍ल्‍यू ने फरवरी 2020 में एफआईआर दर्ज किया था। इसके बाद आयकर विभाग ने उनके यहां छापा मारा। इसके आधार पहले सीबीआई और फिर ईडी ने केस दर्ज किया। बाद में अग्रवाल के परिवार पर सीबीआई ने तीन और मामला दर्ज कर लिया। ईडी ने कोर्ट को बताया कि बाबू लाल अग्रवाल और उनके परिवार के लोगों ने मिलकर खरोरा और उसके आसपा के गांव के चार सौ लोगों के बैंक खाते उनकी जानकारी के बिना ही खुलवा लिए। इन खातों के जरिये 13 शेल कंपनियां भी संचालित की जा रही थी।

Arrest of IAS officers एक आईपीएस अफसर की भी हो चुकी है गिरफ्तारी


आईएएस ही नहीं छत्‍तीसगढ़ के एक आईपीएस भी गिरफ्तार हो चुके हैं। गिरफ्तार होने वाले इस आईपीएस का नाम जीपी सिंह (IPS GP Singh) है। एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने उन्‍हें नौकरी से बाहर कर दिया है। जीपी सिंह 1994 बैच के आईपीएस थे और 2022 में गिरफ्तारी से पहले एडीजी रैंक पर थे। जीपी सिंह पर राजद्रोह के साथ ही भ्रष्‍टाचार का मामला दर्ज है।

Arrest of IAS officers जीपी से पहले इन आईपीएस अफसरों को किया जा चुका है नौकरी से बाहर

जीपी सिंह से पहले छत्‍तीसगढ़ के तीन और अफसरों को नौकरी से बाहर किया जा चुका है। हालांकि इनमें से दो कैट के जरिये नौकरी फिर से हासिल करने में 


सफल रहे, लेकिन एक नौकरी से बाहर ही हो गए। जबरन सेवा निवृत्‍त किए गए इन आईपीएस अफसरों का नाम राजकुमार देवांगन और एएम जूरी (IPS AM Juri) है। 1992 बैच के आईपीएस राजकुमार देवांगन (IPS Rajkumar Dewangan) को 2017 में जबरन सेवानिवृत्‍त किया गया। जांजगीर एसपी रहते देवांगन के घर से डकैती का पैसा बरामद हुआ था। इसी मामले में उनके खिलाफ कार्यवाही हुई। 2000 बैच के आईपीएस जूरी को भी 2017 में ही जबरन सेवानिवृत्‍त किया गया था। जूरी पर एक पत्‍नी के रहते दूसरी शादी करने का आरोप था। जूरी के साथ ही 2002 बैच के आईपीएस केसी अग्रवाल (IPS KC Agarwal) को भी कोयला चोरी के एक मामले में नौकरी से बाहर कर दिया गया था। जूरी और अग्रवाल ने इस फैसले को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) जबलपुर में चुनौती दी। कैट का फैसला उनके पक्ष में आया और वे नौकरी में वापस आ गए।

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