Chhattisgarh Liquor Scam ब्रेकिंग न्यूज: अनवर ढेबर को मिली जमानत, शराब घोटाला में बंद हैं जेल में
Anwar Dhebar
Chhattisgarh Liquor Scam बिलासपुर। अनवर ढेबर को हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। ढेबर शराब घोटला मामले में जेल में बंद हैं। बताया जा रहा है कि अनवर ढेबर ने बीमारी का हवाला देत हुए हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दिया था। इस जमानत आवेदन पर आज जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने उनका अंतरिम जमानत मंजूर कर लिया है।
अनवर ढेबर की तरफ से कोर्ट में पैरवी कर रहे मतीन सिद्धिकी और पुनीत बाली के अनुसार उन्हें किडनी और गॉलब्लैडर स्टोन की दिक्कत थी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में इससे जुड़े आरोपियों को राहत दी थी। अधिवक्ता सिध्दिकी ने बताया कि मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।
बता दें कि अनवर ढेबर (Anwar Dhebar) शराब घोटला के आरोप में जेल में बंद हैं। इस मामले की जांच ईडी कर रही है। ईडी ने करीब 20 दिन पहले इस मामले में रायपुर की विशेष अदालत में करीब 13 हजार पन्नों का चालान पेश किया है। ईडी के अनुसार पूरा मामला करीब दो हजार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का है। इस मामलें में अनवर के साथ राज्य के आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति (एपी) त्रिपाठी, नितेश पिरोहित, पप्पू ढिल्लन भी इस वक्त जेल में बंद है।
जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला Chhattisgarh Liquor Scam
ईडी के सूत्रों के अनुसार दो हजार करोड़ का यह कथित घोटला 2019 से 2022 के बीच हुआ है। इस घोटला को सिंडिकेट बनाकर अंजाम दिया गया। सिंडिटेकट ने शराब के प्रकार के हिसाब से 75 से लेकर 150 रुपये तक कमीशन लिया। यह पैसा छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन (सीएसएमसीएल) की हर खरीदी पर वसूल किया गया। ईडी सूत्रों के अनुसार अनवर ने दूसरों के साथ मिलकर बेहिसाब देसी शराब बनवानी शुरू कर दी और उसे सरकारी दुकानों के माध्यम से इसे बेचा गया। इस तरह से वे सरकारी खजाने में एक रुपया भी जमा किए बिना बिक्री की पूरी आय रख रहे थे।
Chhattisgarh Liquor Scam 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से मिली थी राहत
छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला (Chhattisgarh Liquor Scam) में राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को मामले से जुड़े आरोपियों को बड़ी राहत दी थी। कोर्ट ने ईडी को अगले आदेश तक इस मामले में किसी भी तरह की कठोर कार्यवाही करने से मना किया है। राज्य सरकार की तरफ से दखिल याचिका में ईडी पर राज्य के अफसरों को परेशान करने का आरोप लगाया गया था। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने सुनाई के बाद यह आदेश जारी किया था।