आभार सम्मेलन: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने कहा- हमारा मानदेय 5000 था, घर चलाना सम्भव नहीं था...मानदेय बढ़ने से हम लोग बहुत खुश

Update: 2023-05-02 08:34 GMT

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सम्मेलन स्थल में लगे विभिन्न स्टालों का अवलोकन कर रहे हैं। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया शामिल हुए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मितानिन बहनों ने गजमाला एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर मुख्यमंत्री बघेल को सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री बघेल ने उत्कृष्ट कार्य के लिए छह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और पांच मितानिनों को सम्मानित किया। मान बढ़ाया आपने आपका आभार, छत्तीसगढ़ सरकार भरोसे की सरकार। इस नारे के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं मितानिनों ने मुख्यमंत्री का किया सम्मान। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित सामानों की प्रदर्शनी और स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं से संबंधित स्टॉल का निरीक्षण किया।

प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आई महिला स्व-सहायता समूह की सदस्यों, मितानिनों, आंगनबाड़ी सहायिकाओं ने गजमाला से मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया। धरसींवा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नंदिनी ने मुख्यमंत्री बघेल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा मानदेय सिर्फ 5000 रुपये था, जिससे घर चला पाना सम्भव नहीं था। मुख्यमंत्री ने मानदेय बढ़ाकर 10 हजार रुपए किया।

लक्ष्मी साहू भाठागांव रायपुर से आई हैं। अपने संबोधन में बताया कि हम लोग घर घर जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में एडमिट कराते हैं। छोटी छोटी बातों को बताते हैं जो गर्भवती माताओं के लिए उपयोगी होती हैं। टीकाकरण का ध्यान रखती हूं। बीपी की दवा कई लोग बीच में बंद कर देते हैं। उन्हें कहते हैं कि बीच में दवा मत छोड़ो, नहीं तो खतरा हो जाएगा। एक एक बारीकी का ध्यान रखते हैं।

लक्ष्मी ने कहा, अब मानदेय के निर्णय से हम लोग बहुत खुश हैं। मुझे यकीन नहीं हुआ था कि यह हो सकता है। बहुत खुशी का क्षण था यह मेरे लिए। इसलिए हम सभी बहनें आभार के लिए जुटी हैं। नानगुर, जिला बस्तर की मितानिन देववती बघेल ने हल्बी बोली में मुख्यमंत्री के प्रति वेतन बढ़ाए जाने पर आभार व्यक्त किया।

मितानिन प्रेम ज्योति बघेल ने अपने संस्मरण साझा किए। वे बस्तर से हैं। हल्बी में अपना संबोधन देते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में कड़ी मेहनत करती हूं। उन्होंने बताया कि उनके गांव में साढ़े 3 सौ लोग हैं। यहां गर्भवती माताओं को देखती हूँ। साथ ही सामान्य बीमारियों में जरूरत पड़ने वाली दवाई देती हूँ।

अब 2200 मानदेय दिया है तो 7 हजार रुपये तक महीना कमा लुंगी। अपने बच्चों को पढ़ाऊंगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने संबोधन में कहा,हमारी बहनें जहां भी मिलती थीं कहती थीं कि एक कार्यक्रम कराइए, हम सब आपको धन्यवाद देना चाहते हैं। आज साइंस कालेज मैदान में हजारों की तादाद में आई हैं, मैं आज आपका आभार व्यक्त करता हूं।

आप इतनी अधिक संख्या में आई हैं, उसके लिए मैं आपका आभारी हूं। आपने बिना कोई संकोच के जिन परिस्थितियों में काम किया है, उसके लिए मैं आपका अभिनंदन करता हूं।

आपने सरकार के प्रति जो आभार प्रकट किया, ये आभार हमारा नहीं बल्कि मैं आप सभी को पौने तीन करोड़ जनता की ओर से मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता हूं। आपका काम मानवता की सेवा है और इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है।

पूरे देश में अकेला छत्तीसगढ़ है जहां सरकार ने निर्णय लिया कि मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हाथ में कोरोना किट में पहुंचाया।

आठ दिन के भीतर ही कोरोना नियंत्रित होना शुरू हो गया। कोरोना काल में ऐसा कोई वर्ग नहीं है जिससे मैने बात नहीं की है, आप लोगों ने साहस व धैर्य के साथ जो काम किया है उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं।

हमारी बहनें जहां भी मिलती थीं कहती थीं कि एक कार्यक्रम कराइए, हम सब आपको धन्यवाद देना चाहते हैं। आज साइंस कालेज मैदान में हजारों की तादाद में आई हैं, मैं आज आपका आभार व्यक्त करता हूं।

आप इतनी अधिक संख्या में आई हैं, उसके लिए मैं आपका आभारी हूं। आपने बिना कोई संकोच के जिन परिस्थितियों में काम किया है, उसके लिए मैं आपका अभिनंदन करता हूं।

आपने सरकार के प्रति जो आभार प्रकट किया, ये आभार हमारा नहीं बल्कि मैं आप सभी को पौने तीन करोड़ जनता की ओर से मितानित और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता हूं। आपका काम मानवता की सेवा है और इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है।

पूरे देश में अकेला छत्तीसगढ़ है जहां सरकार ने निर्णय लिया कि मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हाथ में कोरोना किट में पहुंचाया। आठ दिन के भीतर ही कोरोना नियंत्रित होना शुरू हो गया। कोरोना काल में ऐसा कोई वर्ग नहीं है जिससे मैने बात नहीं की है, आप लोगों ने साहस व धैर्य के साथ जो काम किया है उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं।

हमारी बहनों की वजह से कुपोषण 37 फीसदी से घटकर 31 फीसदी हो गया है। प्रारंक्षिक शिक्षा और प्रारंभिक स्वास्थ्य एक बड़ी चुनौती है जिसमें आप बहनों के सहयोग की अपेक्षा होगी।

जिस प्रकार से कुपोषण के खिलाफ आपने लड़ाई लड़ी उसी प्रकार से हमने मलेरिया के खिलाफ संघर्ष किया है। छत्तीसगढ़ में कभी लिंग भेद नहीं रहा और केरल के बाद हमारा प्रदेश दूसरे स्थान पर है। यहां कभी भी बेटियों को बोझ नहीं समझा गया, आज महिलाएं घर की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में लगी हुई हैं।

हमने शासकीय कर्मियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किया है, श्रमिकों को भी 7000 सालाना देने की शुरूआत की है। बेरोजगार साथियों को हम 2500 रूपए प्रतिमाह दे रहे हैं, मई दिवस पर हमने श्रमिकों के लिए बड़े फैसले लिए हैं। श्रमिक, शासकीय कर्मचारी, किसान व बहनों के सम्मान में हमने कोई कसर नहीं छोड़ा है।

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