26/11 Mumbai Terror Attack: वह काला दिन जब 160 से ज्यादा निर्दोष मारे गए, इन 14 बिंदुओं में समझें क्या हुआ था उस रात

Update: 2022-11-25 18:21 GMT

NPG Desk। तारीख 26 नवंबर 2008। समय - रात 8 बजे। मायानगरी रंगीन रौशनी जगमगा रही थी। लोग किसी अनजाने खतरे या दहशत से अंजान थे। एक बोट कोलाबा के पास समुद्र किनारे रुकती है। उसमें से 10 अनजाने चेहरे उतरते हैं। ये ऐसे चेहरे थे, जिनकी आंखों में वहशीपन सवार था। ऐसे आतंकी जिनके लिए दूसरों की जान लेना जैसे कोई सामान्य सी बात थी। समुद्र से बाहर आकर सभी सड़क पर पहुंचते हैं और अलग-अलग ग्रुप में बंट जाते हैं।

समय – रात 9.30 बजे। स्थान छत्रपति शिवाजी टर्मिनल। अचानक गोलीबारी होती है। पुलिस कंट्रोल रूम में खबर आती है। पुलिस टीमें तैयार होतीं कि एक-एक कर लियोपोल्ड कैफे, ओबेरॉय होटल, होटल ताज, कामा अस्पताल और नरीमन हाउस में भी ऐसी वारदातें होती हैं। 26/11 यानी 26 नवंबर की वह रात मुंबई शहर पर भारी पड़ी थी। यह सिर्फ मुंबई के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश और पूरी मानवता के लिए बड़ी त्रासदी थी। लश्कर-ए-तैयबा के दस चरमपंथियों के इस हमले में 160 से भी ज्यादा लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हो गए। जो मारे गए उनमें 15 देशों के लोग थे। इन दहशतगर्दों का मुकाबला करने उतरे मुंबई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे सहित मुंबई पुलिस के कई अधिकारी-कर्मचारी शहीद हो गए थे। 26 नवंबर 2008 को घटी उस घटना को 14 साल हो चुके हैं। इन 14 बिंदुओं में समझें क्या हुआ था उस दिन...

1. मुंबई के मशहूर लियोपोल्ड कैफे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से मौत का तांडव शुरू हुआ, जो मुंबई की शान होटल ताज में जाकर खत्म हुआ था। 60 घंटे के ऑपरेशन के बाद हालात काबू में आया। इस बीच 160 लोगों की जान जा चुकी थी।

2. हमलावर दो-दो की संख्या में अलग-अलग ग्रुप में बंट गए। इनमें एक ग्रुप मशहूर लियोपोल्ड कैफे पहुंचा। कैफे में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक थे। वहां दोनों दहशतगर्दों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इसमें 10 लोगों की मौत हो गई।

3. लियोपोल्ड कैफे में जब गोलियां चल रही थीं, उसी समय छत्रपति शिवाजी टर्मिनल में भी गोलीबारी हुई। अंधाधुंध गोलीबारी करने वाला और कोई नहीं, बल्कि अजमल आमिर कसाब था। उसके साथ इस्माइल खान था। दोनों काफी देर तक गोलियां चलाते रहे।

4. मुंबई पुलिस ने बाद में अजमल आमिर कसाब को पकड़ लिया था, जबकि इस्माइल खान मारा गया था। 21 नवंबर 2012 को कसाब का पुणे के यरवडा जेल में फांसी दी गई थी।

5. आतंकियों ने सबसे ज्यादा छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर मौत का तांडव मचाया। देश के सबसे व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक छत्रपति शिवाजी टर्मिनल में 58 लोग मारे गए थे।

6. मौत का तांडव अभी थमा नहीं था। कारोबारी वर्ग के बीच लोकप्रिय ओबेरॉय होटल में भी आतंकी घुसे। होटल में 350 से ज्यादा लोग मौजूद थे। इन लोगों को आतंकियों ने बंधक बना लिया। हालांकि बाद में एनएसजी के जवानों ने उन्हें मार डाला।

7. मुंबई की शान होटल ताज में रात के भोजन का वक्त था। बड़ी संख्या में लोग जमा थे। तभी आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू की। चार आतंकवादियों ने यहां 31 लोगों को मार डाला। बाद में सुरक्षा बल के जवानों ने चारों आतंकवादियों को मार गिराया।

8. होटल ताज की इमारत 106 साल पुरानी है। यह गेटवे ऑफ इंडिया के पास है। साथ ही, विदेशी पर्यटकों में लोकप्रिय है। इसे ध्यान में रखकर ही दहशतगर्दों ने इसे निशाना बनाया था, ताकि पूरे विश्व में इस हमले की गूंज हो।

9. मुंबई के मशहूर कामा अस्पताल में चार आतंकवादी घुसे थे। यही वो जगह है, जहां आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एटीएस चीफ हेमंत करकरे, अशोक कामटे और विजय सालस्कर शहीद हुए थे।

10. आतंकवादियों ने नरीमन हाउस को भी निशाना बनाया। यहां कई लोगों को बंधक बना लिया गया था। नरीमन हाउस यहुदियों को बनाया गया सेंटर था, जहां यहूदी पर्यटक ठहरते थे। यहां बंधक बनाए गए लोगों को बचाने के लिए एनएसजी के कमांडो हे लकॉप्टर की मदद से बगल की इमारत में उतरे थे। हालांकि बंधक बनाए गए लोगों को बचाया नहीं जा सका। नरीमन हाउस में 7 लोग और दो आतंकवादी मारे गए थे।

11. नरीमन हाउस का संचालन करने वाले गेवरील और उनकी पत्नी रिवका को भी आतंकवादियों ने मार दिया। हालांकि उनका दो साल का बेटा मोशे बच गया था।

12. मोशे अब 16 साल का है और इजराइल के शहर औफला में एक स्कूल में पढ़ रहा है। वह अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ रहता है। हाल ही में मोशे के चाचा हॉल्जबर्ग ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मोशे भारत आना चाहता है।

13. 26/11 का हमले में मीडिया की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए थे, क्योंकि 27 नवंबर को सुबह खबर आई कि होटल ताज से सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है, लेकिन बाद में पता चला कि विदेशी पर्यटकों सहित कुछ लोग आतंकवादियों के कब्जे में हैं। टीवी चैनल पर लाइव कवरेज चल रहा था, जिसे देखकर आतंकवादियों को सारी गतिविधियों के बारे में पता चल रहा था।

14. 26/11 के हमले के बाद देश के सभी राज्यों में एटीएस का गठन किया गया। समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए बंदोबस्त किए गए। मुंबई में फोर्स वन का गठन किया गया।

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