19 अफसरों को जबरन किया गया रिटायर: रेलवे की बड़ी कार्रवाई, ठीक से काम नहीं करने वाले अफसरों को सेवानिवृत किया गया...
नईदिल्ली 12 मई 2022. रेलवे बोर्ड ने 19 वरिष्ठ अधिकारियों का जबरन रिटायर कर दिया है. कामकाज की समीक्षा के बाद इनमें से कई अफसरों को कार्य में अक्षम पाया गया था और उन्हें बार-बार चेतावनी दी जा रही थी, जिसके बाद उन्हें जबरन रिटायर किया गया है.
रेलवे ने बुधवार को प्रतिकूल सतर्कता रिपोर्ट वाले अपने 19 अधिकारियों को सेवानिवृत कर दिया. रेलवे ने इस नियम को लागू किया कि किसी सरकारी कर्मी को न्यूनतम तीन महीने का नोटिस देकर या इस अवधि का वेतन देकर सेवानिवृत के लिए बाध्य किया जा सकता है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 19 अधिकारियों के अलावा पिछले 11 महीने में 75 अन्य अधिकारियों को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृति) लेने के लिए बाध्य किया गया जिनमें महाप्रबंधक एवं सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.
यह कदम ठीक से काम नहीं करने वालों से निजात पाने के केंद्र सरकार के प्रयासों के तहत उठाया गया है. उन्होंने बताया कि जिन 19 लोगों को सेवानिवृत किया गया है उनमें इलेक्ट्रिकल एवं सिग्नल सेवाओं के चार-चार अधिकारी, मेडिकल एवं सिविल से तीन-तीन अधिकारी, कार्मिक से दो, स्टोर, यातायात एवं मेकेनिकल से एक-एक अधिकारी शामिल हैं.
सेवानिवृत किये गये ये सभी रेलवे के उपक्रमों जैसे पश्चिम रेलवे, मध्य रेलवे, पूर्व रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, सैंडकोच फैक्टरी कपूरथला, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली आदि से हैं. मूलभूत नियमावली (एफआर) और सीसीएस (पेंशन) नियमावली, 1972 में समयपूर्व सेवानिवृति से जुड़े प्रावधानों के तहत उपयुक्त प्राधिकार को किसी सरकारी कर्मी को सेवानिवृत करने का पूर्ण अधिकार है यदि ऐसा करना जन हित में जरूरी है.
फंडामेंटल रूट (एफआर) के सेक्शन-56 (जे) के तहत सरकार किसी भी अधिकारी को नौकरी से निकाल सकती है. इस प्रक्रिया के तहत रिटायर किए गए अधिकारी को दो से तीन महीने का वेतन दिया जाता है. पेंशन व अन्य देय का लाभ भी दिया जाता है. दूसरी ओर वीआरएस योजना में कर्मचारी को नौकरी के बचे हुए साल के हिसाब से प्रति वर्ष दो माह के हिसाब से वेतन दिया जाता है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति में यह लाभ नहीं मिलता है. आगे भी वीआरएस देने के लिए अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा की जा रही है.