Exclusive-शैलेंद्र शुक्ला पर बिजली मुख्यालय में आग लगने की गाज गिरी? ACS सुब्रत साहू ने सीएस को सौंपी जांच रिपोर्ट….आगजनी की घटना संदेह से परे नहीं

Update: 2020-03-16 12:45 GMT

NPG.NEWS
रायपुर, 16 मार्च 2020। एसीएस सुब्रत साहू ने बिजली मुख्यालय में पिछले साल नवंबर में लगी भीषण आग की जांच रिपोर्ट चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल को सौंप दी है। मंडल ने उसे सीएम भूपेश बघेल को भेज दिया है। जांच में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं।
ज्ञातव्य है, 13 नवंबर 2019 की रात राजधानी के डंगनिया स्थित बिजली मुख्यालय में भीषण आग लग गई थी। दमकलों को आग पर काबू पाने में पूरी रात मशक्कत करनी पड़ी थी। सरकार ने आगजनी की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी। इसमें एसीएस गृह और जेल सुब्रत साहू, एडीजी अशोक जुनेजा और पावर डिस्ट्रीब्यूशन कपंनी के एमडी कैसर हक शामिल थे। सुब्रत जांच टीम के प्रमुख थे।
सुब्रत ने आज जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। उन्होंने लिखा है कि स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी की रिपोर्ट में न कोई नुकसान माना गया है और न किसी की गलती। लेकिन, रायपुर के एसएसपी और फॉरेंसिक लेब रिपोर्ट में घटना को संदेह से परे नहीं माना गया है।
जांच समिति ने रिपोर्ट में इस गंभीर चूक की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है कि पावर कंपनी के प्रतिवेदन में कहा गया कि आगजनी के बाद सुरक्षा की दृष्टि से कुछ सामानों और दस्तावेजों को हटाया गया था। जिसे बाद में वहीं पर लाकर रख दिया गया। इसमें किसी भी दस्तावेज का नुकसान नहीं हुआ। कमेटी ने कहा है कि बिजली कंपनी के अफसरों को ध्यान नहीं रहा कि इस घटना की फॉरेंसिक जांच होगी। फॉरेंसिक जांच में पाया गया है कि दस्तावेजों में गोलमाल किया गया है।
जांच समिति ने चार बिंदुओं में बताया है कि किस तरह आगजनी की यह वारदात संदेह के दायरे में आ गई है। इसमें स्वीच बोर्ड की तार काटना सबसे प्रमुख है। जांच कमेटी ने निरीक्षण के दौरान देखा कि जिस जगह आग लगी वहां चार स्वीच बोर्ड की जगह थी लेकिन स्वीच बोर्ड गायब थे। उसकी जगह तार लटक रही थी। फॉल सिलिंग की कुछ वायरें भी झूल रही थीं। जले हुए या अधजले सामान भी मौके से गायब कर दिए गए थे। ताकि, इसकी जांच नहीं की जा सके कि आग कैसे लगी।
सुब्रत साहू कमेटी ने आज जांच रिपोर्ट सौंपी और इसके कुछ देर बाद सरकार ने स्टेट पावर कंपनीज के चेयरमैन शैलेंद्र शुक्ला ने इस्तीफा दे दिया। इसका तार जांच रिपोर्ट से जोडकर देखी जा रही है। लगता है, शैलेंद्र को या तो परिस्थितियांं का आभास हो गया था।

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