बिजनेस और लोकसभा चुनाव, 200 करोड़ से ज्यादा की ठगी… महाठग सुकेश और जैकलीन में हुए कई बड़े खुलासे...जानिए पूरा मामला
मुंबई I तिहाड़ की मंडोली जेल में बंद देश के सबसे बड़े ठग सुकेश चंद्रशेखर को हमेशा सुर्खियों में बने रहने की आदत सी हो गई है. उसने एक बार फिर से सभी को चौंका दिया है. 200 करोड़ से ज्यादा की ठगी के आरोपी सुकेश ने जेल में बैठकर फर्राटेदार अंग्रेजी में तीन पन्नों का एक खत लिखा. इसके बाद उसने वो खत अपने वकील अनंत मलिक को भेजा. साथ ही संदेशा भेजा कि उस खत को मीडिया और सोशल मीडिया से जुड़े लोगों को भेज दिया जाए और फिर ऐसा ही हुआ भी. इस खत में सुकेश ने मन की बात लिख डाली.
खत का मजमून देखकर अंदाजा हो जाता है कि सुकेश ने ये खत बड़ी तसल्ली से लिखा है. खत में सुकेश खुद ही लिखता है कि बहुत से लोग उसके केस के बारे में उससे सवाल पूछते हैं. इसीलिए उसने तय किया कि वो इस खत के ज़रिए खुद के, खुद के केस के, और खासतौर पर जैकलीन फर्नांडिस के साथ खुद की मोहब्बत के बारे में प्वाइंट टू प्वाइंट सारी बातें रखेगा. हालांकि इस खत को पढ़ने के बाद ऐसा लगता है कि जैसे ये खत उसने सिर्फ और सिर्फ जैकलीन फर्नांडिस को जेल जाने से बचाने के लिए लिखा है. खत की शुरुआत मीडिया के साथियों के नाम से होती है. कुछ इस अंदाज में-
सुकेश ने यूं किया खत का आगाज़:- डियर मीडिया फ्रेंड, पिछले कई दिनों से मीडिया के हमारे कई दोस्त हमारे उस केस के सिलसिले में जानकारी हासिल करना चाहते हैं. हमसे लगातार इस बारे में पूछ भी रहे हैं कि हमारा केस कहां तक पहुंचा और उसमें अब क्या क्या हो रहा है. असल में उन सभी का मतलब ये है कि जब भी मुझे कोर्ट में पेश किया जाता है, तो मुझसे क्या क्या और कैसी कैसी बातें पूछी जाती हैं, इसी सिलसिले में हमने ये नोट तैयार करने का फैसला किया है ताकि सारी बातें प्वाइंट टू प्वाइंट आपको पता चल सके. सुकेश ने तीन पन्नों के अपने इस खत में प्वाइंट टू प्वाइंट कुल पांच प्वाइंट रखे हैं. पहले प्वाइंट में वो खुद पर लगे इल्जामों पर कुछ इस तरह सफाई देता है-
खत का प्वाइंट – 1
"सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहता हूं कि पिछले कुछ दिनों से मैं ये पढ़ रहा हूं कि वो लोग एक ऐसी तस्वीर बनाने की कोशिश में हैं, जिसके तहत ये साबित किया जा सके कि उन सभी को ठगा गया है और उनके साथ फरेब हुआ है. मगर इसमें गौर करने वाली जो बात है वो ये कि वो सारे लोग जो ये सब कह रहे हैं वो स्कूल जाने वाले बच्चे नहीं हैं या भोले भाले लोग नहीं हैं. अलबत्ता ये कहा जा सकता है कि वो सब के सब अच्छे खासे पढ़े लिखे और समझदार होने के साथ साथ अच्छी पहुंच वाले लोग हैं.
बल्कि ये भी कहा जा सकता है कि उनमें से ज़्यादातर लोगों की पहुंच बहुत ऊपर तक भी है. यानी हरेक प्लेटफॉर्म तक उनकी पहुंच हो सकती है. ऐसे में इतने रुतबे वाले लोगों के बारे में क्या ये कहना सही होगा कि ये सारे लोग आंख बंद करके किसी फरेब या झांसे में आ गए. आपकी स्थिति और परिस्थिति को देखते हुए मेरा एक आग्रह है कि उन तमाम लोगों की सच्ची कहानी सामने लाने की कोशिश कीजिए, जिन्हें तथाकथित शिकार बताया जा रहा है. जहां तक अदालत का सवाल है तो उसे तो सबूत चाहिए, ना कि किसी शिकार की मासूम सी तस्वीर. हम उस दौर में जी रहे हैं जहां सच्ची कहानियों की अहमियत है."