Teacher Attachment News: शिक्षा विभाग में थम नहीं रहा अटैचमेंट का खेला: स्कूल जाने के बजाय कोई रेरा में तो काई जल स्वच्छता मिशन में करा लिया अटैच, मलाईदार पदों पर शिक्षक
Teacher Attachment News: ई संवर्ग के 1478 शिक्षकों का प्राचार्य के पद पर पोस्टिंग होनी है। इसके पहले शिकायतों का दौर-दौरा शुरू हो गया है। दस्तावेजी प्रमाण के साथ शिक्षक शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। इन शिकायतों पर आगे क्या कार्रवाई होगी, होगी भी या नहीं इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है। असमंजस इसलिए, ट्रांसफर पॉलिसी बनाने के साथ ही राज्य शासन ने अटैचमेंट को समाप्त करने निर्देश जारी किया था। इसके बाद भी शिक्षा विभाग में अटैचमेंट का खेल चल रहा है। या पहले से अटैच शिक्षकों को अब तक हटाया ही नहीं गया है।
Teacher Attachment News: रायपुर। ई संवर्ग के 1478 शिक्षकों का प्राचार्य के पद पर पोस्टिंग होनी है। इसके पहले शिकायतों का दौर-दौरा शुरू हो गया है। दस्तावेजी प्रमाण के साथ शिक्षक शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। इन शिकायतों पर आगे क्या कार्रवाई होगी, होगी भी या नहीं इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है। असमंजस इसलिए, ट्रांसफर पॉलिसी बनाने के साथ ही राज्य शासन ने अटैचमेंट को समाप्त करने निर्देश जारी किया था। इसके बाद भी शिक्षा विभाग में अटैचमेंट का खेल चल रहा है। या पहले से अटैच शिक्षकों को अब तक हटाया ही नहीं गया है।
राज्य सरकार ने में संलग्नीकरण पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने का निर्देश जारी किया है। राज्य सरकार का यह फरमान केवल कागजों तक की सीमित है। शिक्षा विभाग में तो यह कहा जा सकता है कि राज्य सरकार के निर्देशों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। सरकार के आदेश को खटराल अफसरों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। अटैचमेंट का जुगाड़ देखकर तो यही कहा जा सकता है कि शिक्षक ऐसी-ऐसी जगहों पर पदस्थ हैं जिसकी कल्पना कोई कर भी नहीं सकता । पिछली सरकार में हुए पीएससी घोटाले को ही ले लीजिए , NPG.NEWS ने ही सबके सामने इस सच्चाई को लाया था कि ललित कुमार गणवीर जिनका मूल पद प्राचार्य का था, वह पीएससी जैसी महत्वपूर्ण संस्था में डिप्टी कंट्रोलर एक्जाम जैसे पद पर प्रतिनियुक्ति पर वहां जमकर खेला किया और इस मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हुई । वर्तमान में प्राचार्य पद पर पदोन्नति होनी है और स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी सूची पर यदि एक नजर डालें तो शिक्षा विभाग के व्याख्याता रेरा से लेकर जल मिशन योजना तक में पहुंचकर मलाई खा रहे हैं।
रेरा और जल मिशन में व्याख्याता का क्या काम
रेरा , जिसका मूल काम बिल्डरों के अवैध प्रोजेक्ट्स पर नकेल कसना है और सबसे मलाईदार विभाग माना जाता है वहां पर प्रतिनियुक्ति में शिक्षा विभाग के यदुनंदन वर्मा जिनका मूल पद प्रधान पाठक है पदस्थ हैं । अब सोच कर देखिए कि आखिरकार विभाग ऐसी मेहरबानी करता क्यों है और वह भी तब जब पूरे प्रदेश में इस बात का हंगामा मचा हुआ है कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी है । यही नहीं बिलासपुर के एक व्याख्याता लंबे समय से जल मिशन में अपनी सेवाएं दे रहे हैं , कागजों के हिसाब से तो वह अपनी सेवाएं जल मिशन में दे रहे हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर मिली जानकारी के मुताबिक वह रेडक्रॉस में अपनी सेवाएं देते है । पिछली सरकार में महापौर ने उन्हें लेकर मोर्चा भी खोला था पर वह टस से मत नहीं हुए। सरकारी आयोजनों में उन्हें मंच संचालन करने की जिम्मेदारी मिल जाती है और ऐसे ही किसी कार्यक्रम में नाम छुटने को लेकर महापौर भड़क गए थे और फिर लगातार स्थानीय मीडिया में सौरभ सक्सेना जिनका मूल पद व्याख्याता है के खिलाफ खबरें आती रही लेकिन सत्ता में रहते हुए भी महापौर उन्हें नहीं हटा नहीं पाए।
संलग्नीकरण पर रोक सिर्फ कागजों में
कैबिनेट ने ट्रांसफर नीति जारी करने के साथ ही संलग्नीकरण पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। खाना पूर्ति के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक संलग्नीकरण समाप्त करने के पत्र जारी करते रहे, पर सच्चाई यह है कि स्वयं अधिकारियों ने ही अपने कार्यालय में शिक्षकों को संलग्न करके रखा हुआ है। ऐसे में से संलग्नीकरण न खत्म होना था न हुआ । स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राचार्य पदोन्नति में काउंसलिंग की जो सूची जारी की है उसमे स्वयं कई शिक्षकों के नाम के साथ उनके संलग्न संस्था का नाम लिखा हुआ है जो बताता है कि इस प्रकार की सेटिंग व्यवस्था की जड़े कितनी मजबूत है।
क्या प्राचार्य पदोन्नति में भी होगा खेला
संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय ने अपनी कार्यशैली से शिक्षकों में एक विश्वास तो जगाया है कि काउंसलिंग में गड़बड़ी नहीं होगी। जिस प्रकार उनके द्वारा तकनीक का प्रयोग करते हुए सारी जानकारियां सार्वजनिक कर दी जाती हैं और कोई भी व्यक्ति घर बैठे रिक्त पदों समेत अन्य जानकारी हासिल कर सकता है। इस तकनीक का प्रयोग टी संवर्ग के प्राचार्य और व्याख्याता पदोन्नति में सफलतापूर्वक हो भी चुका है।
साख लगी दांव पर
विभाग द्वारा जारी किए गए नियमावली को पढ़ें तो प्राचार्य पद पर केवल उन्हीं व्याख्याताओं को राहत मिलना है जो डाईट एससीईआरटी जैसे शैक्षणिक संस्थानों में है या फिर विकासखंड शिक्षा अधिकारी जैसे पद पर प्रभारी के रूप में कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त समग्र शिक्षा , जिला शिक्षा अधिकारी और राज्य कार्यालय में पदस्थ व्याख्याताओ को ऐसी संस्था से हटाकर स्कूलों में पदस्थ करने का नियम है। इसी बात को लेकर बवाल मचा हुआ है। लिहाजा शिकायतों का दौर जारी है। शिक्षक इस बात पर नजर गड़ाए हुए हैं कि बीते लंबे समय से मलाईदार पदों पर बैठे इन व्याख्याताओं को विभाग द्वारा हटाया जाता है या नहीं। कुल मिलाकर प्राचार्य पदोन्नति के नाम पर विभाग और मंत्री की साख दांव पर है और एक-एक पद को लेकर लड़ाई है। कोर्ट से प्रकरण जीत कर आने वाले शिक्षक कब किस मामले को लेकर फिर न्यायालय लेकर पहुंच जाएंगे इसे कोई नहीं जानता है ।