OPS News: पुरानी पेंशन मामले में शिक्षाकर्मियों को बड़ी राहत...संविलियन डेट से ही देनी होगी अंशदान राशि, पढ़िए ये कैसे संभव हुआ

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Update: 2024-06-25 05:41 GMT

रायपुर. पुरानी पेंशन मामले में पेंशन लागू होने के बाद से लगातार स्पष्ट निर्देश न होने के अभाव में कर्मचारी परेशान है. खास तौर पर मृत कर्मचारियों के परिजन का मामला काफी फंसा हुआ था क्योंकि पेंशन शाखा की तरफ से कोई स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किया गया था कि आखिरकार शिक्षाकर्मियों के मामले में अंशदान वापसी की स्थिति में उनसे कब से राशि की गणना करके राशि वापस लेनी है। क्योंकि वर्तमान में सरकार शिक्षा कर्मियों की सेवा की गणना उनके संविलियन दिनांक से कर रही है इसलिए राशि उस तिथि से ही ली जानी थी लेकिन स्पष्ट निर्देश के अभाव में न तो प्रकरणों का निराकरण ढंग से हो रहा था और न ही राशि की गणना , ऐसे में इस मामले की जिम्मेदारी सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने ली और उन्होंने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात कर पूरे प्रकरण से अवगत कराया इसके बाद फाइल में तेजी आई और अब छत्तीसगढ़ शासन के वित्त विभाग द्वारा संचालक पेंशन एवं भविष्य निधि को पत्र लिखकर स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया गया है कि शिक्षाकर्मियों के मामले में फिलहाल सरकार के निर्देश के मुताबिक उनके सविलियन दिनांक से ही उनकी सेवा की गणना स्कूल शिक्षा विभाग में की जा रही है इसलिए मृत्यु प्रकरण में राशि भी उसी दिनांक के बाद जमा अंशदान के हिसाब से गणना करके ली जाएगी । यानी यदि किसी शिक्षाकर्मी का संविलियन 1 जुलाई 2018 को हुआ है और उसकी मृत्यु 1 जुलाई 2020 को हुई है तो भले ही उसकी प्रथम नियुक्ति 1998 से हो और एनपीएस की राशि 2012 से कटौती की गई हो लेकिन उसके परिजन को 2018 से 2020 के बीच जो अंशदान राशि जमा की गई है केवल वही वापिस करना होगा । इस स्पष्ट निर्देश के बाद जहां शिक्षाकर्मी मामले में पेंशन भुगतान में तेजी आएगी वही मृत कर्मचारियों के परिजनों को भी इस आदेश से राहत मिलेगी ।

इस मुद्दे पर पहल करने वाले सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे का कहना है

" जिन शिक्षकों की मृत्यु हो गई उनके परिजनों के लिए यह आदेश लाभदायक है क्योंकि विभाग द्वारा उनकी राशि की गलत गणना करके जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था और उसके अभाव में पेंशन प्रकरण को लंबित कर दिया गया था अब उसका निराकरण होगा । छत्तीसगढ़ में 2018 में जब संविलियन किया गया तो पूर्व सेवा अवधि की गणना नहीं की गई जबकि मातृ राज्य मध्यप्रदेश में किया गया है जिसका छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को बड़ा नुकसान हो रहा है और इसका नुकसान पेंशन में भी साफ दिखाई देता है । हमारी सरकार से मांग है की शिक्षकों की पूर्व सेवा की गणना करते हुए समस्त लाभ दिया जाए तभी शिक्षाकर्मियों के साथ सही न्याय हो पाएगा । "




 

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