NSG Commando: क्या है NSG? जानिए NSG कमांडो क्या होता है? कब हुआ नेशनल सिक्योरिटी गार्ड का गठन, कैसे चुने जाते हैं ब्लैक कैट कमांडो?
National Security Guard Explained: जानिए NSG Commando क्या होता है, इसका गठन कब हुआ, कैसे चुने जाते हैं ब्लैक कैट कमांडो और भारत की सुरक्षा में इसकी भूमिका।
National Security Guard: नेशनल सिक्योरिटी गार्डन (NSG) भारत का प्रमुख आतंकवाद-रोधी विशेष बल है जिसे देश की सबसे संवेदनशील और हाई-रिस्क सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया गया है। इन्हे आम तौर पर इसे “ब्लैक कैट कमांडो” के नाम से जाना जाता है। एनएसजी का मुख्य काम आतंकवादी हमलों, बंधक संकट, वीआईपी सुरक्षा से जुड़े खतरों और बड़े स्तर की आंतरिक सुरक्षा घटनाओं में तेज और निर्णायक कार्रवाई करना है। यह बल सामान्य कानून-व्यवस्था के मामलों में तैनात नहीं किया जाता बल्कि केवल उन स्थितियों में बुलाया जाता है जहां खतरा असाधारण और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा होता है।
NSG किसके अधीन काम करता है?
एनएसजी प्रशासनिक रूप से गृह मंत्रालय के अधीन आता है और रणनीतिक नियंत्रण राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के माध्यम से होता है। यह एक संघीय प्रतिक्रिया बल है, यानी जब किसी राज्य की स्थिति उसकी पुलिस या अर्धसैनिक क्षमता से बाहर हो जाती है, तब एनएसजी को हस्तक्षेप के लिए बुलाया जाता है। इसकी तैनाती दुर्लभ होती है, लेकिन जब होती है तो उसका सीधा मतलब होता है कि खतरा बेहद गंभीर है।
NSG का गठन कब और क्यों हुआ?
भारत में 1980 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद और हाईजैकिंग जैसी घटनाओं के बढ़ते खतरे ने एक समर्पित counter-terror force की जरूरत को सामने रखा। इसी पृष्ठभूमि में 1984 में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड का गठन NSG Act, 1986 के तहत किया गया। इसका उद्देश्य था ऐसा बल तैयार करना जो सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच की खाई को भर सके और आतंकी हमलों पर तुरंत कार्रवाई कर सके। समय के साथ इसकी संरचना, ट्रेनिंग और टेक्नोलॉजी को लगातार अपग्रेड किया गया।
‘ब्लैक कैट’ नाम कैसे पड़ा?
एनएसजी कमांडो आमतौर पर काले रंग की यूनिफॉर्म पहनते हैं और ऑपरेशन के दौरान उनकी पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है। इसी वजह से मीडिया और आम लोगों के बीच इन्हें “ब्लैक कैट” कहा जाने लगा। धीरे-धीरे यह नाम एनएसजी की पहचान और उसके खौफ दोनों का प्रतीक बन गया।
NSG की मुख्य जिम्मेदारियां?
एनएसजी की प्राथमिक जिम्मेदारी आतंकवाद-रोधी अभियान चलाना है। इसमें बंधक बचाव, विमान या इमारत पर कब्जे की स्थिति, आत्मघाती हमले और हाई-प्रोफाइल आतंकी घटनाएं शामिल होती हैं। इसके अलावा यह बल प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य अति-विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा में भी तैनात किया जाता है। विदेशी दौरों के दौरान भारतीय नेतृत्व की सुरक्षा और विशेष परिस्थितियों में विदेशी गणमान्य व्यक्तियों की सुरक्षा भी एनएसजी के दायरे में आती है।
बड़े आतंकी हमलों में NSG की भूमिका?
एनएसजी ने भारत के कई बड़े आतंकी हमलों के दौरान निर्णायक भूमिका निभाई है। 26/11 मुंबई आतंकी हमले के दौरान एनएसजी की कार्रवाई ने पूरे देश और दुनिया का ध्यान खींचा। इसके अलावा दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु और अन्य शहरों में हुए बड़े आतंकी मामलों के बाद भी एनएसजी को तैनात किया गया। इन अभियानों ने एनएसजी को भारत की “last line of defence” के रूप में स्थापित किया।
NSG Commando कैसे बनते हैं?
एनएसजी में सीधी भर्ती नहीं होती। इसके लिए भारतीय सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से बेहद सख्त चयन प्रक्रिया के जरिए जवानों को चुना जाता है। चयन के बाद उन्हें लंबा और अत्यंत कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें क्लोज-क्वार्टर बैटल, शहरी युद्ध, बंधक बचाव, विस्फोटक निष्क्रियकरण और हाई-प्रिसिजन शूटिंग शामिल होती है। ट्रेनिंग के दौरान बड़ी संख्या में उम्मीदवार बाहर हो जाते हैं, जिससे केवल सबसे सक्षम जवान ही एनएसजी का हिस्सा बन पाते हैं।
भारत की सुरक्षा व्यवस्था में NSG का महत्व?
बदलते आतंकी तरीकों और शहरी हमलों के दौर में एनएसजी भारत की आंतरिक सुरक्षा का एक अहम स्तंभ बन चुका है। इसकी सीमित लेकिन निर्णायक तैनाती न केवल तत्काल खतरे को खत्म करती है, बल्कि एक साफ संदेश भी देती है कि भारत किसी भी आतंकी चुनौती के सामने झुकने वाला नहीं है। जब हालात सबसे ज्यादा गंभीर होते हैं, तब एनएसजी को ही अंतिम विकल्प के तौर पर मैदान में उतारा जाता है।