हिंदी विषय की काउंसलिंग हुई निरस्त, जेडी ने जारी किया आदेश, लेकिन खड़ा हुआ यह बड़ा सवाल !
दुर्ग। दुर्ग संभाग के जेडी ने हिंदी शिक्षक पद के लिए आयोजित की गई काउंसलिंग को आगामी आदेश पर्यंत तक के लिए स्थगित कर दिया है और उन्होंने इसके लिए जिस कारण का उल्लेख किया है उसमें हाईकोर्ट की याचिका का उल्लेख है। आज से 2 दिन पहले हाईकोर्ट के वकील अजय श्रीवास्तव के अवमानना कि नोटिस भी वायरल हुई थी।
जिसमें उन्होंने संस्कृत के साथ हिंदी पर पदोन्नति रोकने के संबंध में जेडी को पत्राचार किया था और उसके बाद आज जेडी ने हिंदी के पदोन्नति पर खुद ही रोक लगा दी लेकिन बड़ा सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि न्यायालय ने याचिका क्रमांक 1483 में सुनवाई करते हुए केवल और केवल संस्कृत पद के पदोन्नति पर रोक लगाई है ऐसे में महज एक नोटिस से जेडी का इस प्रकार पैर पीछे खींच लेना।सोशल मीडिया में अब चर्चा का विषय बन रहा है क्योंकि यह बात भी किसी से छिपी नहीं है की प्रधान पाठक प्रमोशन पर किसी भी प्रकार की कोई रोक नहीं थी लेकिन अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश की गलत व्याख्या कर कई महीनों तक प्रधान पाठक प्राथमिक शाला पद पर पदोन्नति ही नहीं की और बाद में जब स्थिति स्पष्ट हुई तब जाकर यह अधिकारियों को स्पष्ट हुआ की प्रधान पाठक प्राथमिक शाला पद पर तो हाई कोर्ट में स्टे है ही नहीं , उसके बाद आनन-फानन में प्रधान पाठक प्राथमिक शाला पद पर पदोन्नति की गई और अब हिंदी पदोन्नति का मामला भी कुछ वैसा ही होता जा रहा है । न्यायालय में शिक्षकों ने कैविएट भी दायर कर दिया है इसके बाद भी जेडी का खुद पैर पीछे खींच समझ से परे है।
हिंदी वालो की काउंसलिंग रोकना गलत - विवेक दुबे
दुर्ग जेडी का इस प्रकार हिंदी के पदों पर शिक्षक काउंसलिंग को रोकना हिंदी के शिक्षकों के साथ अन्याय हैं । न्यायालय के याचिका क्रमांक WPS/1483/2023 में भी केवल और केवल संस्कृत के पदों पर न्यायालय ने रोक लगाई है , हिंदी पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है । 2008 के सेटअप पर पदोन्नति हो रही है , जिसमें हिंदी और संस्कृत पृथक पृथक पद है ही नहीं , वरिष्ठता के आधार पर शिक्षकों को पदोन्नति मिलनी है अतः पद पृथक किए ही नहीं जा सकते ऐसे में हिंदी के शिक्षकों को पदोन्नति से बाधित करना सरासर गलत है और इसके संबंध में हम अधिकारियों को अवगत कराएंगे ।