Chhattisgarh: CG प्रायवेट स्कूलों से हर साल 50 फीसदी गरीब बच्चे स्कूल छोड़ दे रहे, बड़े शहरों में सबसे अधिक, कलेक्टरों ने भेजी सरकार को रिपोर्ट

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ सरकार ने कलेक्टरों से राइट टू एजुकेशन के तहत प्रायवेट स्कूलों से ड्रॉप आउट बच्चों के आंकड़े निकलवाएं, वो चौंकाने वाले हैं। छत्तीसगढ़ में हर साल जितने बच्चे एडमिशन लेते हैं, उसके आधे स्कूल छोड़ देते हैं। ये फीगर तो स्कूलों ने दिया है, सत्यापन कराया जाए तो यह संख्या और बढ़ सकती है।

Update: 2024-06-13 08:18 GMT

Chhattisgarh: रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने स्कूल शिक्षा में सुधार का काम गरीब बच्चों के आरटीई में दाखिले से प्रारंभ किया है। सरकार के पास ऐसे फीडबैक आए थे कि आरटीई में सबसे अधिक बच्चे छत्तीसगढ़ के ड्रॉप आउट ले रहे हैं। इसके बाद स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कलेक्टरों को पत्र लिखकर इसकी जांच करने कहा था। उन्होंने 15 दिन के भीतर प्रायवेट स्कूलों के साथ मीटिंग कर ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या का पता लगाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रायवेट स्कूलों में महंगे यूनिफार्म, पुस्तकों की वजह से तो बच्चे स्कूल नहीं छोड़ रहे, इसकी भी जांच की जाए। कलेक्टरों ने सरकार को ड्रॉप आउट बच्चों की रिपोर्ट भेज दी है।

तीन साल की रिपोर्ट से सरकार सकते में

छत्तीसगढ़ जैसे गरीब राज्य के लिए सुप्रीम कोर्ट का आरटीई वरदान बन सकता था। मगर छत्तीसगढ़ में प्रायवेट स्कूलों द्वारा गरीब बच्चों को प्रोटेक्शन न दिए जाने की वजह से आधे से अधिक बच्चे स्कूल छोड़ दे रहे। खबर के नीचे पिछले तीन सत्रों में ड्रॉप आउट लेने वाले बच्चों की संख्या वाली कलेक्टररों की रिपोर्ट लगी है, इसे आप देखेंगे तो आपका भी माथा ठनकेगा कि छत्तीसगढ़ के प्रायवेट स्कूलों में हो क्या रहा है। 2020-21 में 10 हजार, 2021-22 में 18 हजार और 2023-24 में 24 हजार गरीब बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। पिछले सत्र याने 2023-24 में छत्तीसगढ के प्रायवेट स्कूलों में 48 हजार गरीब बच्चों के दाखिले हुए थे, इनमें से 24 हजार ड्रॉप आउट ले लिया।

बड़े शहरों की स्थिति चिंताजनक

चूकि बड़े शहरों में सबसे अधिक बड़े और पॉश प्रायवेट स्कूल हैं, इसलिए ड्रॉप आउट होने वाले बच्चांं में रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और जांजगीर शामिल हैं। रायपुर में सबसे अधिक 2496 गरीब बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। राज्य सरकार का भी मुख्य फोकस इन बड़े शहरों के बड़े स्कूलों पर है। 60 से 70 परसेंट आरटीई वाले बच्चे इन्हीं शहरों के प्रायवेट स्कूलों में पढ़ते हैं।

संख्या और बढ़ सकती है

स्कूल शिक्षा विभाग के पत्र के बाद कलेक्टरों ने प्रायवेट स्कूलों को तलब कर ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या कलेक्ट कराया। सरकार अगर स्कूलों में जाकर सत्यापन कराए तो ये आंकड़ा काफी बढ़ सकता है। क्योंकि...खासकर बड़े और पॉश प्रायवेट स्कूल बिल्कुल नहीं चाहते कि उनके यहां गरीब बच्चे पढ़े।

देखिये तीन सत्रों में ड्राप आउट गरीब बच्चो की संख्या...



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