CG Yuktiyuktkaran: अतिशेष शिक्षक किसे माना जाएगा? शिक्षकों की भ्रांतियों का स्कूल शिक्षा विभाग ने दिया बिंदुवार जवाब, पढ़िये सवाल-जवाब की शक्ल में

CG Yuktiyuktkaran: छत्तीसगढ़ सरकार स्कूलों और शिक्षकों का युक्यियुक्तकरण कर शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति करने जा रही है। इसके लिए युक्तियुक्करण की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। उधर, शिक्षक संगठनों का विरोध भी शुरू हो गया है। 21 शिक्षक संगठनों ने साझा मंच बनाकर संदेश दिया है कि वे युक्तियुक्तकरण का प्रबल विरोध करेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षक संगठनों द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देकर समझाने का प्रयास किया है कि युक्तियुक्तकरण छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों के हित में है।

Update: 2025-05-21 15:09 GMT

CG Yuktiyuktkaran: रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग ने अतिशेष पर बनाए जा रहे परसेप्शन को भी क्लियर किया है। विभाग का कहना है कि एक स्कूल में अगर किसी विषय के छात्र नहीं हैं और शिक्षक हैं तो शिक्षक को अतिशेष मान जिन स्कूलों में उस विषय में छात्र होंगे, उन्हें वहां पोस्ट किया जाएगा। इसी तरह एक विषय में अगर एक लेक्चरर का पद है और एक ही लेक्चरर पोस्टेड हैं, तो वे अतिशेष की श्रेणी में नहीं आएंगे। अतिशेष का केस तब बनेगा, जब एक पद हो और उससे अधिक लेक्चरर पोस्टेड हों। पढ़िये सवाल-जवाब के शक्ल में भ्रांतियां पर स्कूल शिक्षा विभाग क्या कहता है...

1. युक्तियुक्तकरण में अतिशेष शिक्षकों की गणना 2008 के सेटअप के अनुसार नहीं की गई है।

तथ्य 2008 के सेटअप में 80 छात्रों पर एक प्रधान पाठक एवं दो सहायक शिक्षक का प्रावधान था। परन्तु शिक्षा का अधिकार अधिनियम आने के पश्चात् इसकी प्रासंगिकता समाप्त हो चुकी है।

वास्तविक तथ्य यह है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 पूरे देश में 01 अप्रैल 2010 से प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं के लिए लागू किया गया है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अनुसूची (विद्यालय के लिए मान एवं मानक) के अनुसार प्राथमिक शाला में 60 तक की दर्ज संख्या के लिए दो सहायक शिक्षकों का प्रावधान है तथा प्रत्येक 30 अतिरिक्त छात्र पर एक अतिरिक्त सहायक शिक्षक का प्रावधान है। जिन विद्यालयों की दर्ज संख्या 150 से अधिक है, वहाँ एक प्रधान पाठक का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ में 2008 के सेटअप से पूर्व से ही बहुत से विद्यालयों में प्रधान पाठक का पद स्वीकृत था, इसी कारण 2008 के सेटअप में एक प्रधान पाठक एवं दो सहायक शिक्षक का प्रावधान किया गया था।

01 अप्रैल 2010 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागु होने के पश्चात् इसे लागु करना प्रत्येक राज्य सरकार की अनिवार्यता थी। इसलिए शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अनुसूची को विद्यालयों में लागू किया गया। चूंकि छत्तीसगढ़ में प्रधान पाठक का पद स्वीकृत था, इसलिए इसे सहायक शिक्षक की गणना में लिया गया है।

2. पाँच कक्षाओं को केवल दो शिक्षक कैसे पढ़ायेंगे ?

तथ्य प्राथमिक विद्यालयों में औसतन दो कमरे निर्मित हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अनुसूची के अनुसार 60 तक दर्ज संख्या वाले विद्यालय में दो शिक्षक होने चाहिए तथा प्रत्येक शिक्षक हेतु एक अध्यापन कक्ष होना चाहिए, इस तरह औसतन 02 कक्ष ही प्राथमिक विद्यालयों में निर्मित हैं। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि शिक्षकों को बहु कक्षा शिक्षण के लिए प्रशिक्षित किया गया है। यहां यह तथ्य भी विचारणीय है कि 30700 प्राथमिक विद्यालयों में से 17000 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां 20 से कम विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का अनुपात है अर्थात् विद्यार्थियों की तुलना में शिक्षक ज्यादा है।

3. 60 से कम दर्ज संख्या वाली 20000 प्राथमिक शालाएं व्यवहारिक रूप से एक शिक्षकीय हो जायेंगी।

तथ्य अधिकतर सोशल मीडिया या अखबार में यह कहा जा रहा है कि प्रधान पाठक को छोड़कर केवल कार्यरत सहायक शिक्षक को ही गिनती में लिया है और यह आशंका व्यक्त की है कि 20000 प्राथमिक शालाएं व्यवहारिक रूप से एकल शिक्षकीय हो जायेंगी, जबकि वास्तविकता यह है कि इन शालाओं में सहायक शिक्षक एवं प्रधान पाठक सहित दो लोग कार्यरत रहेंगे। प्रधान पाठक एवं सहायक शिक्षक दोनों की गणना युक्तियुक्तकरण में की गई है।

4. 105 से कम दर्ज संख्या वाली 7000 पूर्व माध्यमिक शालाओं में एक शिक्षक कम करने जा रहे हैं, उनकी पदस्थापना सरकार कहां करेगी ?

तथ्य प्रदेश में संचालित कुल 13149 में से 3655 ऐसे पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं जहां 10 बच्चों की पीछे एक शिक्षक है तथा 4479 ऐसे पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं जहां 20 बच्चों के पीछे एक शिक्षक हैं। प्रदेश में 48 पूर्व माध्यमिक विद्यालय शिक्षक विहीन, 255 एकल शिक्षकीय, 1051 दो शिक्षकीय तथा 2477 तीन शिक्षकीय विद्यालय हैं। 4113 पूर्व माध्यमिक शालाएं ऐसी है जहां चार शिक्षक हैं। इस प्रकार कुल 7896 ऐसी शालाएं हैं, जहां से अतिशेष शिक्षक निकल ही नहीं सकते। इसके अलावा 3456 शालाएं पांच शिक्षकीय एवं 1065 शालाएं छः शिक्षकीय हैं, जिनमें दर्ज संख्या के अनुपात में बहुत कम शिक्षक अतिशेष निकलेंगे। इससे स्पष्ट है कि किसी भी विद्यालय से केवल और केवल अतिशेष शिक्षक ही निकलेंगे। इन अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षकीय शालाओं में प्राथमिकता से की जायेगी।

यहाँ यह स्पष्ट किया जाना उचित है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसूची के अनुसार प्रत्येक पूर्व माध्यमिक विद्यालय में जिनकी दर्ज संख्या 105 से कम है, वहाँ एक प्रधान पाठक एवं तीन शिक्षकों को रखा जाना अनिवार्य है तथा प्रत्येक अतिरिक्त 35 दर्ज संख्या पर एक अतिरिक्त शिक्षक दिया जाना होगा। अनुसूची के अनुसार दर्ज संख्या के अनुपात में गणना करने पर 1762 शिक्षक ही अतिशेष निकल रहे हैं। अतः यह तथ्य सही नहीं है कि 7000 पूर्व माध्यमिक शालाओं में एक शिक्षक कम करने जा रहे हैं। अतिशेष शिक्षकों को शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय, दो शिक्षकीय एवं तीन शिक्षकीय शालाओं में ही पदस्थापना की जायेगी।

5. 15000 प्राथमिक विद्यालयों में औसतन एक सहायक शिक्षक अतिशेष होंगे, उनकी पदस्थापना सरकार कहां करेगी ?

तथ्य - शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसूची के अनुसार प्राथमिक शाला में 60 तक की दर्ज संख्या के लिए दो सहायक शिक्षकों का प्रावधान है तथा प्रत्येक 30 अतिरिक्त छात्र पर एक अतिरिक्त सहायक शिक्षक का प्रावधान है। इसके अनुसार गणना करने पर लगभग 3608 सहायक शिक्षक ही अतिशेष निकल रहे हैं। 30700 प्राथमिक विद्यालयों में से 6872 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय हैं, 212 शालाएं शिक्षक विहीन है तथा 11750 प्राथमिक शालाएं दो शिक्षकीय है। इस प्रकार गणना अनुसार 18834 शालाओं से अतिशेष शिक्षक निकल ही नहीं सकते। 7612 प्राथमिक शालाएं तीन शिक्षकीय, 2330 प्राथमिक शालाएं चार शिक्षकीय है, जहां दर्ज संख्या के अनुपात में अतिशेष शिक्षकों की संख्या काफी कम है। अतः यह तथ्य सही नहीं है कि 15000 प्राथमिक विद्यालयों औसतन एक सहायक शिक्षक अतिशेष होंगे।

6. प्रदेश में 35000 शिक्षक एवं 20000 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय हो जायेंगी।

तथ्य - युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में अतिशेष शिक्षक की गणना दर्ज संख्या के अनुपात में की जा रही है, परन्तु शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अनुसूची को ध्यान में रखकर ही उन्हें अतिशेष माना जायेगा तथा युक्तियुक्तकरण से कोई भी विद्यालय एकल शिक्षकीय नहीं होगा, क्योंकि जहां प्रधान पाठक कार्यरत नहीं हैं एवं दो सहायक शिक्षक पदस्थ हैं, वहां से भी किसी को नहीं हटाया जायेगा। प्रारंभिक गणना अनुसार प्राथमिक विद्यालयों के केवल 3608 सहायक शिक्षक ही अतिशेष निकल रहे हैं।

7. विषय के बजाए कालखण्ड देखने पर 5000 व्याख्याता अतिशेष हो जायेंगे।

तथ्य हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी विद्यालयों में विषयमान के आधार पर सेटअप स्वीकृत है। हाईस्कूल में सामान्यतः हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, विज्ञान एवं कला विषय के पद स्वीकृत हैं। यहाँ पर प्रत्येक विषय के एक व्याख्याता के कार्यरत होने पर उन्हें अतिशेष नहीं माना जायेगा। कालखण्ड के अनुसार केवल उन्हीं विद्यालयों की गणना की जा रही है, जहाँ एक ही विषय के एक से ज्यादा व्याख्याता कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त उदाहरण स्वरूप यदि किसी हायर सेकेण्डरी विद्यालय में कामर्स के कोई भी विद्यार्थी अध्ययनरत नहीं हैं, तो वहां कार्यरत कामर्स के व्याख्याता को अतिशेष माना जायेगा। ऐसे व्याख्याताओं की पदस्थापना उन विद्यालयों में की जायेगी, जहां कामर्स के विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

8. प्रदेश के 4000 विद्यालय बंद हो जायेंगे, जिससे प्राइवेट विद्यालयों को बढ़ावा मिलेगा।

तथ्य - राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में क्लस्टर विद्यालयों का कांसेप्ट है, इसी दृष्टि से प्रशासनिक रूप से एक ही परिसर के विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। ताकि एक परिसर के विद्यालयों में भविष्य में सुविधाएं बढ़ायी जा सके। एक ही परिसर के विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण करने से कोई भी विद्यालय बंद नहीं होगा। उदाहरण स्वरूप यदि किसी परिसर में प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक एवं हायर सेकण्डरी विद्यालय है तो प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण हायर सेकण्डरी विद्यालय में किया जायेगा परन्तु न तो ये विद्यालय बंद होंगे और न ही प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक प्रधान पाठक के पद समाप्त होंगे। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश में एक ही परिसर के विद्यालयों का आपस में समायोजन किया जा रहा है, ना कि बन्द किया जा रहा है।

वर्तमान में बहुत से पूर्व माध्यमिक विद्यालय ऐसे हैं, जिनका प्रशासकीय नियंत्रण हायर सेकेण्डरी विद्यालय के प्राचार्य के अंतर्गत है, परन्तु ऐसे पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में प्रधान पाठक कार्यरत हैं और वे पूर्व माध्यमिक शाला का संचालन कर रहे हैं, इससे स्पष्ट है कि विद्यालयों को बंद नहीं किया जा रहा है।

9. प्रदेश की 30700 प्राथमिक शालाओं में सहायक शिक्षक का एक पद तथा 13149 पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षक का एक पद, इस तरह कुल 43849 पद एक झट्‌के में समाप्त हो जायेंग।

तथ्य युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में केवल अतिशेष सहायक शिक्षक एवं शिक्षकों का अन्य शाला में युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। प्राथमिक विद्यालयों में लगभग 3608 सहायक शिक्षक तथा पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में लगभग 1762 शिक्षक, इस तरह कुल 5370 शिक्षकों के अतिशेष होने की स्थिति है। किसी भी पद को समाप्त नहीं किया जायेगा, बल्कि सभी विद्यालयों के पद भविष्य में होने वाली दर्ज संख्या में वृद्धि के दृष्टि से जीवित रहेंगे।

युक्तियुक्तकरण संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :-

01. प्रदेश की 30,700 शासकीय प्राथमिक शालाओं में छात्र शिक्षक अनुपात 21.84 अनुपात 01 है तथा 13,149 पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षक अनुपात 26.2 अनुपात 01 है, जो राष्ट्रीय औसत से कही बेहतर है।

02. 212 प्राथमिक शालाएं शिक्षक विहीन है तथा 6872 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय है, इसी तरह 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं शिक्षकी विहीन है तथा 255 शालाएं एकल शिक्षकीय है।

03. प्रदेश में 362 ऐसे विद्यालय हैं, जहां शिक्षक की पदस्थापना तो है परन्तु छात्र संख्या शून्य है।

04. शहरी क्षेत्र में 527 ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र शिक्षक अनुपात 10 या 10 से कम हैं।

05. शहरी क्षेत्र में 1106 ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र शिक्षक अनुपात 11 से 20 के मध्य है।

06. शहरी क्षेत्र में 837 ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र शिक्षक अनुपात 21 से 30 के मध्य है।

07. शहरी क्षेत्र में 245 ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र शिक्षक अनुपात 40 या उससे उपर के है।

युक्तियुक्तकरण के फायदे :-

अतिरिक्त शिक्षक की उपलब्धता बढेगी

एकल शिक्षकीय एवं शिक्षक विहीन विद्यालयों में अतिशेष शिक्षकों से पूर्ति

स्थापना व्यय में कमी

एक ही परिसर के विद्यालयों में बढ़ोतरी से ड्रॉप में कमी

लगभग 89 प्रतिशत बच्चों को स्कूली शिक्षा में 3 बार प्रवेश प्रक्रिया (प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक एवं हाई / हॉयर सेकण्डरी) से कुक्ति

बच्चों के ठहराव दर में वृद्धि

अच्छी अधोसंरचना प्रदाय किया जाना सुविधाजनक

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