CG Shikshak Morcha: शिक्षक मोर्चा ने कहा, युक्तियुक्तकरण से शिक्षा कर्मी जैसी संघर्ष की स्थिति, 55 लाख पालको को किया आगाह...
CG Shikshak Morcha: 2008 विभागीय सेटअप से छेड़छाड़ कर शिक्षकों को जबरदस्ती अतिशेष बनाना तथा स्कूलों को बंद व मर्ज करने का एकतरफा निर्णय प्रशासनिक तानाशाही की पराकाष्ठा : विभागीय हठधर्मिता पर मुख्यमंत्री लें संज्ञान- छग शिक्षक संघर्ष मोर्चा
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षाकर्मी व्यवस्था की समाप्ति तथा उनके संविलियन के बाद उम्मीद जगी थी कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सतत् सुधार व गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी जिसका लाभ राज्य के लगभग 55 लाख स्कूली बच्चों को मिलेगा तथा उनका भविष्य संवरेगा और कर्मचारियों का भी संघर्ष समाप्त हो जाएगा और वे राज्य के विकास में सहभागी बनेंगे किंतु वर्तमान में युक्तियुक्तकरण को लेकर संघर्ष की स्थिति निर्मित हो गई है।
शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय संचालक वीरेंद्र दुबे ने बताया कि विगत लगभग 5 वर्षों से छ.ग. में स्कूल शिक्षा विभाग के अदूरदर्शितापूर्ण निर्णयों और अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार लोगों की उत्तरदायित्वविहीन व तानाशाही प्रवृत्ति ने शिक्षा सत्र के मध्य में विसंगतिपूर्ण व विरोधाभासी युक्तियुक्तकरण के निर्देश जारी कर उसे तानाशाही पूर्वक लागू करने के प्रयास ने राज्य के न केवल शिक्षक संवर्ग के लगभग 2 लाख कर्मचारियों को संघर्ष के लिए मजबूर कर दिया है, बल्कि लाखों पालकों को भी बच्चों की पढ़ाई व उनके भविष्य को लेकर चिंता में डाल दिया है।
शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय संचालक वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत, मनीष मिश्रा, संजय शर्मा ने बताया कि युक्तियुक्तकरण निर्देश जारी होते ही उसकी विसंगतियों, अव्यवहारिकता व उसके दुष्प्रभाव को अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है किन्तु सर्वसम्मत सार्थक समाधान के स्थान पर विभाग तानाशाहीपूर्ण प्रशासनिक कार्यवाही के रूप में इसे लागू करने पर तुला हुआ है। हजारों शिक्षकों ने 22 अगस्त को मुख्यमंत्री महोदय के नाम पर सभी जिलों में ज्ञापन सौंपकर मुख्यमंत्री को मामले पर संज्ञान लेकर अविलंब युक्तियुक्तकरण को स्थगित करने की गुहार लगाई है।
शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा,कार्यकारी अध्यक्ष चन्द्रशेखर तिवारी,व प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने बताया कि युक्तियुक्तकरण की वर्तमान प्रक्रिया व निर्देश स्वयं में विरोधाभासी, विभागीय सेट-अप, भर्ती पदोन्नति नियम, शिक्षा के अधिकार अधिनियम व नई शिक्षा नीति के मानदंडों के विपरीत है। विभाग की प्रशासनिक तानाशाही का आलम यह है पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था, लाखों बच्चों के भविष्य, हजारों शिक्षकों व विद्यालय को प्रभावित करने वाली इस प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है।किसी भी स्तर पर दावा-आपत्ति व निराकरण की कोई प्रक्रिया नहीं हो रही है।शाला प्रबंधन समितियों, स्थानीय निकाय व पालकों की न कोई राय ली जा रही है न ही कोई सुनवाई की जा रही है, बल्कि अव्यवस्था के लिए विभागीय प्रशासनिक मशीनरी को ही स्वेच्छाचारिता का पुनः अवसर दे दिया गया है, जो कि अन्यायपूर्ण और आपत्तिजनक है।
छग शिक्षक संघर्ष मोर्चा में सम्मलित प्रमुख संगठन शालेय शिक्षक संघ कहा है कि पिछले वर्षों में भर्ती,पदोन्नति, पदस्थापना, स्थानांतरण व संशोधन आदि में अनियमितता ही अव्यवस्था का कारण है, जिसके लिए विभागीय प्रशासनिक अमला ही जिम्मेदार है न कि पालक,बालक व शिक्षक, जबकि युक्तियुक्तकरण की पूरी प्रक्रिया में पालक, बालक और शिक्षक ही प्रताड़ित होने जा रहे हैं।
शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय व जिला पदाधिकारी सुनील सिंह,विष्णु शर्मा,डॉ सांत्वना ठाकुर, जितेन्द्र शर्मा ,सत्येंद्र सिंह,विवेक शर्मा,गजराज सिंह,अतुल अवस्थी,राजेश शर्मा,शैलेन्द्र सिंह,प्रह्लाद जैन,सन्तोष मिश्रा,सन्तोष शुक्ला,शिवेंद्र चंद्रवंशी,दीपक वेंताल,यादवेंद्र दुबे,सर्वजीत पाठक,मंटू खैरवार,पवन दुबे,भोजराम पटेल,विनय सिंह,आशुतोष सिंह,भानु डहरिया,रवि मिश्रा,जितेंद्र गजेंद्र,अजय वर्मा,कृष्णराज पांडेय,घनश्याम पटेल,बुध्दहेश्वर शर्मा,प्रदीप पांडेय,कैलाश रामटेके, देवव्रत शर्मा,अब्दुल आसिफ खान,अमित सिन्हा, विक्रम राजपूत,द्वारिका भारद्वाज,सुशील शर्मा, शशि कठोलिया,विजय बेलचंदन, अशोक देशमुख,तिलक सेन आदि ने सरकार से युक्तियुक्तकरण स्थगित करने की मांग की है तथा राज्य के समस्त शिक्षकों से शिक्षक संघर्ष मोर्चा के समस्त गतिविधियों में सहभागिता सुनिश्चित करने की अपील की है।