Bilaspur High Court News: मेडिकल पीजी में प्रवेश नियम को चुनौती: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब, पांच चिकित्सकों ने हाई कोर्ट में दायर की है याचिका

Bilaspur High Court News: मेडिकल पीजी में एडमिशन के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नए नियम को चुनौती देते हुए पांच चिकित्सकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने नए नियमों के तहत पीजी में प्रवेश को हाई कोर्ट के फैसले से बाधित रखा है। मतलब ये कि इस याचिका पर हाई कोर्ट का जो फैसला आएगा उसे नए एडमिशन प्रक्रिया में लागू किया जाएगा।

Update: 2025-12-10 09:04 GMT

Bilaspur High Court News: बिलासपुर। मेडिकल पीजी में एडमिशन के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नए नियम को चुनौती देते हुए पांच चिकित्सकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने नए नियमों के तहत पीजी में प्रवेश को हाई कोर्ट के फैसले से बाधित रखा है। मतलब ये कि इस याचिका पर हाई कोर्ट का जो फैसला आएगा उसे नए एडमिशन प्रक्रिया में लागू किया जाएगा।

मेडिकल पीजी में प्रवेश के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नए नियमों को चुनौती देते हुए प्रभाकर चंद्रवंशी व पांच अन्य चिकित्सकों ने अधिवक्ता सजल कुमार गुप्ता, मधुनिशा सिंह,आशीष गंगवानी, पंकज सिंह व अदिति जोशी के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता चिकित्सकों ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य सरकार ने मेडिकल पीजी में एडमिशन के लिए पूर्व में जारी नियमों में बदलाव कर छत्तीसगढ़ में अध्ययनरत मेडिकल छात्रों का अहित कर दिया है। पूर्व के नियमों का हवाला देते हुए याचिका में कहा है कि पूर्व में स्टेट और ऑल इंडिया कोटे में बराबर सीटें थी। 50-50 प्रतिशत सीटें ऑल इंडिया और स्टेट कोटे के लिए तय की गई थी। इसमें बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने ऑल इंडिया कोटे की सीटें 50 फीसदी से बढ़ाकर 75 फीसदी कर दिया है। स्टेट कोटे की सीटें घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। इससे छत्तीसगढ़ के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद पीजी में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को नुकसान होगा। याचिकाकर्ता चिकित्सकों ने राज्य शासन की शर्तों का जिक्र करते हुए कहा कि एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद दो वर्ष तक दूरस्थ इलाकों में सेवा देने की अनिवार्यता है। दो वर्ष तक दूरस्थ अंचलों में स्थिति अस्पतालों में सेवा देने के बाद ही पीजी में प्रवेश की पात्रता मिलती है। ऑल इंडिया कोटे की सीटें बढ़ा देने और छत्तीसगढ़ सरकार के कड़े शर्तों का पालन करने के बाद स्टेट कोटा की सीटें घटा देने से राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को मेडिकल पीजी में एडमिशन से वंचित होना पड़ेगा। याचिकाकर्ता चिकित्सकों ने पूर्व की तरह स्टेट और ऑल इंडिया कोटे के लिए बराबर सीटें आरक्षित रखने की मांग की है।

पीजी में हो रहे एडमिशन, हाई कोर्ट ने फैसले से रखा बाधित

मामलेे की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने मेडिकल पीजी में नए नियमों के तहत हो रहे एडमिशन को वर्तमान याचिका में होने वाले फैसले से बाधित रखा है।

राज्य सरकार को दो दिनों में देना होगा जवाब

डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अपने जवाब में ऑल इंडिया और स्टेट कोटे के सीटों के बंटवारे में हुई गलती को स्वीकार किया है। राज्य सरकार के इस मौखिक जवाब के बाद डिवीजन बेंच ने सरकार को जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। इसके लिए दो दिनों की मोहलत दी है। राज्य सरकार के अलावा डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को भी सीटों के बंटवारे के संबंध में जवाब पेश करना होगा।

हाई कोर्ट के फैसले के बाद सरकार को बदलना पड़ा था एडमिशन रूल्स

हाई कोर्ट के डीविजन बेंच के फैसले के बाद राज्य सरकार को छत्तीसगढ़ मेडिकल पीजी में एडमिशन को लेकर लागू डोमिसाइल आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव करना पड़ा था। डॉ समृद्धि दुबे ने राज्य में लागू डोमिसाइल आरक्षण व्यवस्था को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के ताजा निर्णय के बाद मेडिकल पीजी में प्रवेश नियमों में बदलाव करना पड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 29 जनवरी 2025 को डॉ. तन्वी बहल बनाम स्टेट ऑफ पंजाब मामले में पारित निर्णय में स्पष्ट रूप से यह घोषित किया गया कि पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में निवास-आधारित आरक्षण अस्वीकार्य है। राज्य कोटे की सीटों को, उचित संख्या में संस्थान-आधारित आरक्षण के अलावा, अखिल भारतीय परीक्षा में योग्यता के आधार पर सख्ती से भरा जाना होगा।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के परिपालन में छत्तीसगढ़ राज्य में छत्तीसगढ़ चिकित्सा स्नातकोत्तर प्रवेश नियम, 2021 के नियम-11 प्रवेश में वरियता के नियम (क) राज्य कोटे में उपलब्ध सीटों पर सर्वप्रथम उन अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जायेगा, जिन्होंने या तो छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित चिकित्सा महाविद्यालय से एमबीबीएस डिग्री प्राप्त की हो, अथवा जो सेवारत अभ्यर्थी हो। नियम (ख) उपरोक्त उपनियम (क) में उल्लेखित सभी पात्र अभ्यर्थियों को प्रवेश दिये जाने के उपरान्त यदि सीटें रिक्त रह जाती है तो, इन रिक्त सीटों पर, ऐसे अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जायेगा, जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के बाहर स्थित चिकित्सा महाविद्यालय से एमबीबीएस डिग्री की हो, परन्तु वे छत्तीसगढ़ राज्य के मूल निवासी हो, को संशोधित करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई।

याचिकाकर्ता चिकित्सकों ने इन नियमों को दी है चुनौती

बिलासपुर हाई कोर्ट के फैसले और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के परिपालन में राज्य शासन के चिकित्सा विभाग द्वारा 01 दिसम्बर 2025 को संशोधित नियम-11 अधिसूचित किया गया। जिसके अनुसार शासकीय एवं निजी चिकित्सा महाविद्यालयों की उपलब्ध सीटों को दो समान श्रेणियों- (1) 50 प्रतिशत संस्थागत, केवल उन अभ्यर्थियों हेतु जिन्होंने छत्तीसगढ़ के एनएमसी मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों से एमबीबीएस उत्तीर्ण किया है अथवा जो सेवारत है, तथा 50 प्रतिशत ओपन मेरिट के आधार पर सभी पात्र अभ्यर्थियों हेतु में विभाजित किया गया है।

मॉप-अप राउंड और ओपन मेरिट

राज्य शासन ने यह भी व्यवस्था की गई है कि यदि संस्थागत वर्ग की सीटें रिक्त रहती है, तो मॉप-अप राउंड में उन्हें ओपन मेरिट श्रेणी में अंतरण किया जाएगा। 06 दिसम्बर 2025 से प्रारंभ की गई काउंसलिंग प्रक्रिया उपरोक्त संशोधित नियमों, सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों तथा पूर्णतः मेरिट आधारित प्रणाली के अनुसार ही छत्तीसगढ़ राज्य के चिकित्सा स्नातकोत्तर MD/MS पाठ्यक्रम की काउंसलिंग प्रक्रिया संचालित की जा रही है।

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