Bilaspur High Court: हाई कोर्ट का यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत से कम नहीं, पढ़ें कोर्ट ने क्या फैसला दिया...
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट का यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत के समान है। एक राजस्व निरीक्षककी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा है कि सेवाकाल के दौरान किसी भी शासकीय अधिकारी व कर्मचारी से अधिक वेतन भुगतान को कारण बताते हुए रिकवरी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कलेक्टर बालोद के आदेश को निरस्त कर दिया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने एक राजस्व निरीक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए कलेक्टर बालोद के आदेश को निरस्तर कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी शासकीय कर्मचारी या अधिकारी से सेवाकाल के दौरान अधिक वेतन भुगतान को कारण बताते हुए रिकवरी नहीं की जा सकती। हाई कोर्ट ने कलेक्टर बालोद को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता से वसूली गई रकम का तत्काल भुगतान करें। याचिकाकर्ता ने कलेक्टर के आदेश को चुनौती देते हुए अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वातिरानी सराफ के माध्यम से हाई कोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की थी।
सत्य नारायण सोनेश्वर तहसील-डौण्डी, जिला-बालोद में राजस्व विभाग में राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ हैं। सेवाकाल के दौरान कलेक्टर, बालोद द्वारा इस आधार पर की उनकी सेवा पुस्तिका संभागीय संयुक्त संचालक, कोष-लेखा एवं पेंशन कार्यालय, दुर्ग में जांच के लिये भेजा गया था एवं सेवाकाल के दौरान अधिक वेतन भुगतान के आधार पर कलेक्टर, बालोद द्वारा सत्य नारायण सोनेश्वर के विरूद्ध वसूली का आदेश जारी कर दिया गया। उक्त वसूली आदेश को चुनौती देते हुए आरआई सत्य नारायण सोनेश्वर ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वातिरानी सराफ के माध्यम से हाई कोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की थी। दायर याचिका में वसूली आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।
मामले की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वातिरानी सराफ कहा कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ पंजाब विरूद्ध रफीक मसीह के वाद में वर्ष 2015, सुप्रीम कोर्ट द्वारा थॉमस डेनियल विरूद्ध स्टेट ऑफ केरला, हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा छत्तीसगढ़ शासन एवं अन्य विरूद्ध एलआर. ध्रुव के मामले में आदेश पारित किया गया है कि किसी भी तृतीय श्रेणी शासकीय अधिकारी / कर्मचारी से वसूली आदेश जारी किये जाने के दिनांक से पूर्व के पांच वर्षों में शासकीय अधिकारी/कर्मचारी को वेतनवृद्धि गलत तरीके से जुड़ जाने के कारण उसे अधिक वेतन भुगतान का हवाला देकर किसी भी प्रकार की अधिक भुगतान की राशि की वसूली नहीं की जा सकती है।
मामले की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता राजस्व निरीक्षक के विरूद्ध जारी वसूली आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कलेक्टर बालोद को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता से वसूल की गई राशि का तत्काल भुगतान करें।