रायपुर जिले को जानिए: आयरन और स्टील ने दी रायपुर को फौलादी मज़बूती तो नगरघड़ी ने सुमधुर धड़कन, जानिए रायपुर जिले के बारे में

Update: 2022-12-07 15:36 GMT

दिव्या सिंह

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर तेज़ी से विकसित होता शहर है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के मध्य में स्थित होने के कारण रायपुर जिले को छत्तीसगढ़ की स्वाभाविक राजधानी बनाया गया। 1 नवंबर 2000 में प्रदेश के अस्तित्व में आने और जिले के राजधानी बनने के बाद इसका विकास तेज़ रफ्तार से हुआ। महानगरीय सभ्यता के रंग में रंगता शहर लोगों की तासीर के लिहाज़ से अब भी शांत है। खारुन नदी के तट में बसा रायपुर खनिज संपदा से भरपूर है। यह देश मे स्टील एवं लोहे के बड़े बाजारों मे से एक है। रायपुर राज्य का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और व्यापारिक केन्द्र है और व्यापार के लिए देश के अच्छे शहरों में से एक है। रायपुर को स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 मे भारत का 6वां सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया। आइए जिले के बारे में विस्तार से जानते हैं।

जिले का इतिहास

यह ज़िला एक समय दक्षिण कोसल का हिस्सा था और इसे मौर्य साम्राज्य के अन्तर्गत माना जाता था। लंबे समय तक रायपुर शहर, हैहय वंशीय राजाओं की राजधानी थी। कहते हैं कि 9 वीं सदी से रायपुर शहर का अस्तित्व रहा है। शहर के पुराने स्थल और किलों के खंडहर शहर के दक्षिणी भाग में देखे जा सकते हैं। सातवाहन राजाओं ने दूसरी और तीसरी शताब्दी तक इस हिस्से पर शासन किया।

चौथी ईस्वी में राजा समुद्रगुप्त ने इस क्षेत्र पर विजय पा ली थी और पांचवीं-छठवीं शताब्दी ईस्वी तक अपने प्रभुत्व की स्थापना की थी, जब यह क्षेत्र शरभपुरी राजाओं के शासन के अधीन आया था। पांचवीं शताब्दी में कुछ अवधि के लिए, नल राजाओं ने इस क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित किया। बाद में सोमवंशी राजाओं ने इस क्षेत्र को नियंत्रण में लिया और राजधानी सिरपुर के माध्यम से यहां शासन किया।

तुम्माण के कलचुरी राजाओं ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर लंबे समय तक इस क्षेत्र में शासन किया। रतनपुर, राजिम और खल्लारी के पुराने शिलालेखों में कल्चुरी राजाओं के शासनकाल का उल्लेख है। ऐसा माना जाता है कि इस वंश के राजा रामचंद्र ने रायपुर शहर की स्थापना की और इसे अपने राज्य की राजधानी बनाया।

वर्तमान रायपुर ऐसा है - 1861 में रायपुर जिले का गठन किया गया। मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत वर्ष 1998 में जिला रायपुर 3 भागों में विभक्त हुआ , जिसके परिणामस्वरूप रायपुर से अलग होकर जिला महासमुंद एवं धमतरी का निर्माण किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2011 में रायपुर को पुनः विभक्त कर 2 नये जिले बलौदाबाजार-भाटापारा एवं गरियाबंद का निर्माण किया गया है।वर्तमान रायपुर जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 2891.98 वर्ग किमी है। रायपुर जिला मुख्यालय है और यह रायपुर संभाग के अंतर्गत आता है। इस संभाग के अंतर्गत चार अन्य जिले भी शामिल हैं।

जिले की प्रशासनिक जानकारी

रायपुर जिले के अंतर्गत 6 तहसील हैं - रायपुर, तिल्दा, आरंग, अभनपुर, खरोरा, गोबरा नवापारा ।

4 ब्लॉक हैं-धरसींवा, तिल्दा, आरंग और अभनपुर।

2 नगर निगम हैं रायपुर और बिरगांव।

3 नगर पालिका हैं - तिल्दा-नेवरा, गोबरा नवापारा और आरंग।

6 नगर पंचायत हैं - खरोरा, कुर्रा, माना, अभनपुर, चंदखुरी और मंदिर हसौद।

4 जनपद पंचायत हैं - धरसीवा, तिल्दा, आरंग और अभनपुर और

410 ग्राम पंचायत हैं।

रायपुर जिले की आबादी

छत्तीसगढ़ शासन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार रायपुर जिले की आबादी 2,160,876(जनगणना 2011 के अनुसार )है। इसमें ग्रामीण आबादी 884224 और शहरी आबादी 1276652 है। इनमें से 14, 95, 145 लोग साक्षर हैं। विकीपीडिया के अनुसार रायपुर की कुल आबादी में अनुसूचित जाति का हिस्सा 16.60% और अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 4.30% है।

जनगणना के अनुसार जिले में 93.13% हिंदू, 4.06% मुस्लिम, 0.85% ईसाई,

0.74% जैन, 0.73%सिख और 0.49%अन्य धर्मावलंबी हैं।

सबसे ज्यादा 61.77% आबादी छत्तीसगढ़ी भाषा बोलती है। हिंदी भाषा दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।

कृषि

रायपुर छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाके में आता है। मैदान में मुख्य रूप से धान, चना, गेहूं,सोयाबीन, अरहर, कोदो उड़द, मूंग, तिल, मक्का, सरसों , सूर्यमुखी, गन्ना आदि की खेती होती है।

उद्योग

छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक राइस मिलें रायपुर जिले में हैं। यहां 800 से अधिक राइस मिल प्लांट हैं। स्टील और लोहे के भी बहुत से कारखाने यहां हैं। रायपुर में लगभग 200 स्टील रोलिंग मिल, 195 स्पन्ज आयरन प्लांट, 6 स्टील प्लांट , 35 फेरो-अलॉय प्लांट हैं।

यहाँ 500 से अधिक कृषि आधारित उद्योग हैं। रायपुर में धान की भूसी से 'राइस ब्रान तेल' निकालने के संयंत्र स्थापित हैं। 'सोयाबीन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्लांट' भी हैं। देश के कुल उत्पादन का 60 प्रतिशत 'हर्रा' का उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है। इसका प्रयोग मुख्यतः चर्म उद्योग, औषधि उद्योग एवं रसायन उद्योग में किया जाता है। हर्रा उद्योग प्रदेश में मुख्य रूप से रायपुर में हैं।

इस तरह के उद्योगों के अतिरिक्त रसायन उद्योग, टैराकोटा, मार्बल ग्रेनाइट उद्योग तथा कुकिंग गैस बॉटलिंग प्लांट (मंदिर हसौद) भी रायपुर जिले में स्थापित हैं।

5 कृषि उपजमंडी रायपुर, आरंग, अभनपुर, नेवेरा, गोवरा नवापारा में हैं।

व्यापार के लिहाज से रायपुर देश के सबसे अच्छे शहरों में आती है। इसी उद्देश्य से रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर डॉ॰ खूबचंद बघेल ट्रांसपोर्ट नगर विकसित किया गया है। 98 एकड़ क्षेत्र में विकसित किए गया यह ट्रांसपोर्टनगर बहुत ही योजनाबध्द ढ़ग से विकसित किया गया है। यहां एक साथ 3000 ट्रकों की पार्किंग की जा सकती है। यही कारण है कि इसे देश के सर्वसुविधायुक्त ट्रांसपोर्टनगर के रूप में माना जा रहा है।रायपुर संपूर्ण छ्त्तीसगढ़ एवं उड़ीसा के लिये थोक की मंडी है।

पर्यटन

रायपुर में घूमने के लिए बहुत सी जगहें हैं। जहां परिवार के साथ जाकर आप वीकेंड इन्जाॅय कर सकते हैं। कुछ खास स्पाॅट ये हैं-

जंगल सफारी - नया रायपुर स्थित " नंदनवन जंगल सफारी" एशिया की पहली मानव निर्मित जंगल सफारी है। जंगल सफारी खंडवा ग्राम के नज़दीक नया रायपुर के बीच में स्थित है जो 800 एकड़ में फैला हुआ है। जंगल सफारी में आपको कई तरह के जानवर और हरियाली से परिपूर्ण वातावरण देखने को मिलेगा। साथ ही यहां 130 एकड़ में खंडवा जलाशय है जो सफ़ारी की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। यह कई सारे प्रवासियों पक्षियों को अपनी ओर खींचता है। इसमें आप बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं। जंगल सफारी में चार मुख्य बाड़े हैं, शाकाहारी वन्यप्राणी सफ़ारी, भालू सफ़ारी, टाइगर सफ़ारी और शेर सफ़ारी


पुरखौती मुक्तांगन – छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और राज्य में निवास करने वाली जनजातियों की समृद्ध कला व विरासत, रहन सहन की झलक देखना चाहते हैं तो आपको रायपुर में स्थित पुरखौती मुक्तांगन अवश्य जाना चाहिए। पुरखौती मुक्तांगन संग्रहालय खूबसूरत और शैक्षिक पर्यटन स्थल है जहाँ आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ जा सकते हैं।


महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय – रायपुर का यह संग्रहालय भारत के सबसे पुराने संग्रहालय में से एक है। इस संग्रहालय में प्राचीन मूर्तियां, शिलालेख, कपड़े, गहने हथियारों के नमूने, प्राचीन सिक्के और नक्काशी के नमूने आदि प्रदर्शित किए गए हैं।


माता कौशल्या मंदिर - रायपुर से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंद्रखुरी गांव में जलसेन तालाब के बीच माता कौशल्या का एक बेहद ही पुराना व एकमात्र मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान राम अपनी मां कौशल्या की गोद मे विराजित हैं।करीब 15 करोड़ की लागत से इसका जीर्णोद्धार करवाया गया है। यहां भगवान राम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा भी बनाई गई है। छत्तीसगढ़ सरकार के "रामवनगमन पथ प्रोजेक्ट" के तहत कौशल्या माता मंदिर का सौंदर्यीकरण किया गया। हालांकि, सौंदर्यीकरण के दौरान मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत् रखा गया है और मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए इसे भव्य रूप दिया गया है। अब यह बहुत ही सुंदर धार्मिक और दर्शनीय स्थल में तब्दील हो गया है।जिसे देखने के लिए लोग बड़े चाव से कौशल्या माता मंदिर जाते हैं।


दूधाधारी मंदिर-दूधाधारी मंदिर 17 वीं शताब्दी में निर्मित रायपुर में सबसे पुराना मंदिर है। वैष्णव धर्म से संबंधित, दुधाधारी मंदिर में रामायण काल की मूल मूर्तियां हैं। रामायण काल की कलाकृतियां बहुत ही दुर्लभ हैं, जो कि इस मंदिर को अपनी तरह से विशेष बनाती हैं। बताया जाता है कि मठ के संस्थापक बलभद्र दास महंत हनुमान जी के बड़े भक्त थे। एक पत्थर के टुकड़े को वे हनुमान जी मानकर श्रद्धा भाव से पूजा करने लगे। वे अपनी गाय सुरही के दूध से उस पत्थर को नहलाते और फिर उसी दूध का सेवन करते थे। इस तरह उन्होंने अन्न का त्याग कर दिया और जीवन पर्यन्त दूध का सेवन किया। इस तरह बलभद्र महंत दूध आहारी हो गए। इसी कारण बाद में उनके द्वारा स्थापित इस मंदिर को दूधाधारी ( दूध+आहारी) मठ के नाम से जाना गया।


बूढ़ा तालाब-बूढ़ा तालाब को स्वामी विवेकानंद सरोवर के नाम से भी जाना जाता है, इस तालाब के बीचोबीच एक छोटे से द्वीप पर उद्यान है। स्वामी विवेकानंद की विशाल मूर्ति दर्शनीय है।आप यहां बोटिंग का मज़ा भी ले सकते हैं।


राजीव गांधी ऊर्जा पार्क -यह एयरपोर्ट रोड पर रायपुर शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित है| हरियाली, रंगीन फूलों, आकर्षक म्यूज़िकल फाउंटेन और अनूठे झरने के साथ सुंदर उद्यान इसकी खासियत है। यहां सभी झूले सौर ऊर्जा से संचालित हैं। यहां टॉडलर्स के लिए, सौर संचालित खिलौना-कार हैं। एक और आकर्षण पार्क में विकसित कृत्रिम झील में सौर नाव हैं। पर्यटक झील में सौर और पैडल नावों का आनंद ले सकते हैं।


बंजारी माता मंदिर - बंजारी माता मंदिर जिले के रावांभाठा इलाके में स्थित है। मंदिर में स्थापित मूर्ति के बारे में यह बताया जाता है कि यहां हुई खुदाई के दौरान ही यह मूर्ति मिली थी। बंजर जमीन से खुदाई से मिली यह मूर्ति सुपारी के आकार में स्थापित हुई थी। जिसकी आकृति आज भी प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। यहां स्थापित मूर्ति बंजारा जाति के लोगों की कुलदेवी मानी जाती हैं, इसी कारण यहां स्थापित देवी को बंजारी देवी के नाम से जाना जाता है। यह भी बताया जाता है की यह मूर्ति लगभग 500 साल पुरानी है। बंजारी माता से लोगों की काफी गहरी आस्था जुड़ी हुई है। श्रद्धालु यहां अपनी मन्नत मुरादे लेकर आया करते हैं। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी हुई हर मुराद माता जरुर पूरी करती हैं ।


राम मंदिर- आधुनिक आर्किटेक्चर का अद्भुत नमूना है रायपुर की वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर। 2017 में इस मंदिर का निर्माण किया गया। मुख्य मंदिर में श्री राम,माता सीता व लक्ष्मण जी की मूर्ति रखी गयी है। मंदिर के चारों ओर दो पथ बनाए गए हैं। पहला रामजानकी पथ द्वारा गर्भगृह की परिक्रमा और नारायण पथ में संपूर्ण मंदिर की परिक्रमा की जा सकती है। मंदिर परिसर में माता कौशल्या गोशाला संचालित की जा रही है। यहां पर अनेक गायों का पालन किया जा रहा है। वहीं माता जानकी रसोई में मात्र 20 रुपये में भक्तों को भरपेट भोजन खिलाया जाता है। मंदिर के आसपास गार्डन व फाउंटेन बनाया गया है। रात के समय मंदिर में रंगीन लाइटों की सजावट इसकी खूबसूरती और बढ़ा देती है।


जैन कैवल्य धाम-रायपुर में खारून के नदी के तट पर स्थित कैवल्यधाम मंदिर पहली नजर में ही अपनी भव्यता का अहसास करवाता है और यह जाना जाता है पवित्र जैन धर्म के तीर्थ के रूप में। 24 तीर्थंकरों के दर्शन के लिए कैवल्यधाम में 24 मंदिर बनाए गए हैं। दर्शनार्थी एक बार में ही 24 तीर्थंकरों के दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं। पूरी तरह शानदार पत्थरों से बने मंदिर का भव्य प्रवेश द्वार और गुंबद वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण पेश करता है।जैन धर्म में दीक्षा का एक अलग स्थान है। ऐसे लोग जो परमात्मा की सेवा में लीन होना चाहते हैं, वे कैवल्यधाम मंदिर में आकर दीक्षा लेते हैं।


नगर घड़ी - 1995 में स्थापित की गई रायपुर नगर की नगरघड़ी में छत्तीसगढ़ की 24 लोकधुनों को संयोजित कर लोक संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में किया गया प्रयास शायद पूरे विश्व में एक अनूठा है। नगरघड़ी ग्लोबल एक्सेस पोजिशिन तकनीक से समय बताती है। नगरघड़ी में हर घंटे बजनेवाली लोकधुन पूरे छत्तीसगढ़ राज्य की लोक संस्कृति की अभिव्यक्ति है।


अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम, परसदा- 11 सितंबर 2008 को छत्तीसगढ़ के पहले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का शुभारंभ किया गया। 60 हजार की क्षमता वाला यह स्टेडियम कोलकात्ता ईडन गार्डन के बाद देश का दूसरा बड़ा स्टेडियम है। यह स्टेडियम रायपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम परसदा, मंदिरहसौद में है। इसकी लागत 100 करोड़ रुपये आंकी गई है।


नया रायपुर - छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर का प्रशासनिक केन्द्र 'नया रायपुर' भी दर्शनीय है। यह एक विश्व स्तरीय परियोजना है जिसमे कि वर्तमान रायपुर से 25 किमी दूर एक नए शहर का सृजन किया गया है। नया रायपुर का कुल क्षेत्रफल 80,000 हेक्टेयर है। नये रायपुर में 225 किमी पक्की सड़क है।


शिक्षा- रायपुर में बच्चों और युवाओं की शिक्षा के लिए भी अब उच्च स्तरीय संस्थान उपलब्ध हैं।

रायपुर के मुख्य विश्वविद्यालय ये हैं-

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय

इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय

हिदायतुल्ला विधि विश्वविद्यालय एवं

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय

आयुष एवं चिकित्सा विश्वविद्यालय

इंजीनियरिंग की शिक्षा के लिए NIT राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान सहित चार अभियांत्रिकी महाविद्यालय हैं -

शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय,

रायपुर इंस्टीट्यूट आफ़ टेक्नॉलाजी,

दिशा इंस्टीट्यूट आफ़ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेंट

नए चिकित्सा विश्वविद्यालय के अधीन रायपुर के चार चिकित्सा महाविद्यालय है:

जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय

शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय

होम्योपैथिक महाविद्यालय

शासकीय दंत चिकित्सा महविद्यालय

इसके अलावा विज्ञान, कला, वाणिज्य के अध्ययन हेतु कई महाविद्यालय है। शासकीय विज्ञान महाविद्यालय, शासकीय छ्त्तीसगढ महाविद्यालय है। भविष्य में इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट भी केन्द्र सरकार द्वारा प्रारंभ किया जाना है।

यहां एक शासकीय मुक्त विश्व विद्यालय भी है जिसे पंडित सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है।

स्कूल

रायपुर में कई अच्छे सरकारी हिंदी माध्यम स्कूल हैं। जैसे कि जेएन पांडेय स्कूल, दानी गर्ल्स स्कूल, मायाराम सुरजन स्कूल और माधवराव सप्रे स्कूल। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल भी अब जिले के विभिन्न क्षेत्रों में खोले जा चुके हैं। निजी क्षेत्र के भी अनेक उत्कृष्ट स्कूल जैसे राजकुमार काॅलेज, डीपीएस,होली क्राॅस,होली हार्ट्स, कृष्णा पब्लिक स्कूल, एन एच गोयल, ब्राइटन इंटरनेशनल, सारडा विद्या मंदिर भवन्स, कांगेर वैली आदि हैं।

स्वास्थ्य

जिले के चार प्रमुख सरकारी अस्पताल ये हैं-

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था (एम्स) , डॉ भीमराव अम्बेडकर मेमोरियल अस्पताल, श्री नारायण प्रसाद अवस्थी सरकार आयुर्वेद कॉलेज, गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज।

निजी अस्पताल

'रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल' और 'एम.एम.आई नारायण मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल' रायपुर के सर्वश्रेष्ठ मल्टीस्पेशलिटी निजी अस्पताल हैं। इनके अलावा भी बहुत से सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल हैं। नया रायपुर स्थित श्री सत्य साईं संजीवनी हॉस्पिटल दिल के मरीज बच्चों का मुफ्त में ईलाज करता है। 

यातायात

रायपुर रेलवे स्टेशन - यह भारत के उन चुनिंदा रेलवे स्टेशनों में से एक है, जिसे भारतीय रेलवे द्वारा ग्रेड 'ए -1' दिया गया है। और यह भारत में सबसे अधिक कमाई करने वाले रेलवे स्टेशनों में से एक है। हावड़ा-नागपुर-मुंबई रेलमार्ग पर स्थित रायपुर रेलवे स्टेशन, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है।


स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा-माना में स्थित यह हवाई अड्डा भारत का 26वां और छत्तीसगढ़ का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल मोंट्रियल कनाडा द्वारा 2022 में किए गए सर्वे के अनुसार रायपुर एयरपोर्ट को भारत का दूसरा सबसे बेहतर एयरपोर्ट का रैंक मिला है।


भाटागांव बस स्टैंड - पहले पंडरी रायपुर में स्थित अंतराज्यीय बस टर्मिनल अब भाटागांव से संचालित होने लगा है। यहाँ आटो व वाहनों की पार्किंग की बहुत अच्छी सुविधा दी गई है, खाने की भी जगह अलग से दी गई है। महिलाओं व पुरूषों के लिए शौचालय व आराम करने हेतु स्थान भी हैं।


बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए जिले में सरकारी गेस्ट हाउस, सर्किट हाउस के अलावा तमाम आलीशान और बजट फ्रैंडली निजी होटल उपलब्ध हैं। विभिन्न समाजों द्वारा संचालित बहुत सी धर्मशालायें भी हैं।

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