CG Liquor Scam:– प्रदेश का बहुचर्चित शराब घोटाला: ED ने 31 आबकारी अधिकारियों की 38.21 करोड़ रुपए की संपत्ति की अटैच

CG Liquor Scam:–शराब घोटाले में संलिप्त 31 आबकारी अधिकारियों की 38.21 करोड़ रुपए की संपत्ति ईडी ने जप्त की है। इसमें 21.64 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति और 16.56 करोड़ रुपए की चल संपत्ति शामिल हैं। चल संपत्तियों में फिक्स्ड डिपॉजिट,विभिन्न बैंक खातों में जमा राशि,बीमा पॉलिसियां,शेयर और म्यूचुअल फंड शामिल हैं।

Update: 2025-12-31 04:08 GMT

Abkari Adhikari Ki Samptti Attached: रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 31 आबकारी अधिकारियों की करीब 38.21 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई है। ईडी की इस कार्रवाई में तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास (IAS) भी जांच के दायरे में हैं और उनकी भी अवैध आय की ईडी जांच कर थी हैं।

ईडी की जांच में सामने आया है कि इस संगठित शराब घोटाले से छत्तीसगढ़ सरकार को 3200 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ। ईडी की जांच के अनुसार, आबकारी विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त प्रभावशाली लोगों ने मिलकर पूरे सिस्टम पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था और एक समानांतर अवैध शराब तंत्र संचालित किया जा रहा था।

कुर्क की गई संपत्तियों में 21.64 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति शामिल है, जिसमें कुल 78 संपत्तियां हैं। इनमें लग्जरी बंगले, महंगे फ्लैट, कमर्शियल दुकानें और कृषि भूमि शामिल बताई गई हैं। वहीं, 16.56 करोड़ रुपये की चल संपत्ति भी कुर्क की गई है, जो 197 मदों में फैली हुई है। इनमें फिक्स्ड डिपॉजिट, विभिन्न बैंक खातों में जमा राशि, बीमा पॉलिसियां, शेयर और म्यूचुअल फंड शामिल हैं।

ईडी की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास और छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी ने मिलकर एक ‘पार्ट-बी’ योजना के तहत अवैध शराब कारोबार को अंजाम दिया। इस योजना के जरिए सरकारी शराब दुकानों का उपयोग कर बिना हिसाब-किताब के देशी शराब की बिक्री की जाती थी। अवैध कारोबार को वैध दिखाने के लिए डुप्लीकेट होलोग्राम का इस्तेमाल किया गया।

जांच में यह भी सामने आया है कि शराब की बोतलें और पूरी खेप सरकारी रिकॉर्ड से बाहर रखी जाती थीं। शराब को सीधे डिस्टिलरी से दुकानों तक पहुंचाया जाता था, जिससे सरकारी गोदामों को पूरी तरह बायपास किया गया।

ईडी के मुताबिक, इस अवैध नेटवर्क में शामिल आबकारी अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में पार्ट-बी शराब बिकवाने के बदले प्रति केस 140 रुपये का कमीशन दिया जाता था। एजेंसी का दावा है कि तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास ने अकेले 18 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की और उन्हें हर महीने करीब 50 लाख रुपये की रिश्वत मिलती थी। कुल मिलाकर 31 आबकारी अधिकारियों ने 89.56 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की, जिसे ईडी ने प्रोसीड्स ऑफ क्राइम के रूप में चिन्हित किया है।

ईडी की इस कार्रवाई के बाद राजनैतिक के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों के बीच भी हड़कंप मच गया है। माना जा रहा है कि जांच का दायरा बढ़ने पर और भी अधिकारी और राजनीतिक दलों के अलावा शराब कारोबारी भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।

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