बाथरूम से 100 करोड़ की ठगी: STF ने दबोचा शातिर गैंग, नोट बदलने के खेल को ऐसे देते थे अंजाम

नोएडा एसटीएफ ने गाजियाबाद के गौर सिद्धार्थम सोसाइटी में छापेमारी कर ऑनलाइन ठगी के एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है।

Update: 2025-09-12 09:39 GMT

NPG file photo

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नोएडा एसटीएफ यूनिट ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है। एसटीएफ ने गाजियाबाद में एक बड़े ऑनलाइन ठगी रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसने '10 लाख के बदले 15 लाख' देने का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी की थी। इस ऑपरेशन में एसटीएफ ने बिहार के एक गैंग के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह गैंग इतना शातिर था कि इन्होंने अब तक 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी को अंजाम दिया है।

यह सनसनीखेज खुलासा तब हुआ जब एसटीएफ को इस गैंग के बारे में खुफिया जानकारी मिली। नोएडा एसटीएफ यूनिट के एडिशनल एसपी राजकुमार मिश्रा के नेतृत्व में एक टीम ने गाजियाबाद के गौर सिद्धार्थम सोसाइटी में छापा मारा। इस दौरान, टीम ने गैंग के छह सदस्यों को धर दबोचा। इनकी गिरफ्तारी के बाद जो जानकारी सामने आई, वह बेहद चौंकाने वाली थी।

बाथरूम से नोट बदलने का खेल

यह गैंग बड़े ही अनोखे और शातिर तरीके से ठगी को अंजाम देता था। ये लोग खास तौर पर ऐसे लोगों को निशाना बनाते थे जिनके पास मोटी रकम (कम से कम 10 लाख रुपये) होती थी। ये उन्हें 10 लाख रुपये के बदले 15 लाख रुपये देने का लालच देते थे, वो भी छोटे नोटों में। जब कोई ग्राहक इनके झांसे में आ जाता था, तो वे उसे एक किराए के फ्लैट पर बुलाते थे।

इस गैंग का मास्टरमाइंड 12वीं पास शुभम राज है, जो बिहार का रहने वाला है। वह हर बड़ी डील के लिए अलग-अलग ब्रोकर की मदद से नया फ्लैट किराए पर लेता था। इतना ही नहीं, ये लोग फ्लैट के बाथरूम में कुछ बदलाव करवाकर वहां एक गुप्त रास्ता बना देते थे। ठगी की पूरी प्लानिंग इसी गुप्त रास्ते के इर्द-गिर्द घूमती थी।

ग्राहक जब पैसे लेकर आते थे, तो गैंग के सदस्य उनके सामने ही 200-100 रुपये के असली नोट नोट गिनने की मशीन से गिनते थे। इस दौरान वे ग्राहक को बातों में उलझाए रखते थे। इसी बीच, एक दूसरा सदस्य बाथरूम में बने सीक्रेट रास्ते से असली नोटों से भरे बैग को नकली नोटों या कागज की गड्डियों से बदल देता था।

फिर, ये लोग ग्राहक के बैग में ऊपर और नीचे कुछ असली नोट रखते थे और बीच में भारी मात्रा में नकली नोट या सिर्फ कागज की गड्डियां भर देते थे। ग्राहक को शक न हो, इसलिए वे बैग को तुरंत पैक करके उसे बाहर जाने के लिए कह देते थे। जैसे ही ग्राहक बाहर निकलता था, ये लोग तुरंत वह फ्लैट छोड़कर फरार हो जाते थे। ये गैंग दिल्ली-एनसीआर और बिहार में कई महीनों से सक्रिय था।

बरामद सामान और गैंग के अन्य धंधे

गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने गैंग के पास से 25.60 लाख रुपये नकद, नोट गिनने की मशीन और 100 से ज्यादा म्यूल अकाउंट्स बरामद किए हैं। ये म्यूल अकाउंट्स उन बैंक खातों को कहते हैं जिनका इस्तेमाल ठगी के पैसे को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था। ये फर्जी खाते कमीशन पर दो बैंक मैनेजरों की मदद से बनाए गए थे, जिनकी तलाश अभी जारी है।

एसटीएफ की जांच में यह भी सामने आया है कि, यह गैंग सिर्फ 10 लाख के 15 लाख वाली ठगी ही नहीं करता था, बल्कि ये तीन और तरीकों से लोगों को लूटते थे।

गेमिंग ऐप्स से ठगी: ये गेमिंग ऐप्स से आने वाले पैसों को अपने फर्जी बैंक खातों में लेकर कमाते थे।

क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड: ये क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर भी लोगों से पैसे ठगते थे।

ऑनलाइन गेमिंग अकाउंट्स: ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स के लिए बैंक खाते और क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन में भी इन्होंने करोड़ों की ठगी की है।

गैंग के सदस्य इतने चालाक थे कि, हर हफ्ते अपना किराए का फ्लैट बदल लेते थे ताकि पुलिस उन्हें पकड़ न सके। फिलहाल, इस मामले में किराए पर कमरा दिलाने वाले ब्रोकर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गैंग 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी को अंजाम दे चुका है।

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