कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का सीरम: कांग्रेस नेता ने उठाये सवाल…भारतीय बायोटेक ने दी ये जानकारी…

Update: 2021-06-16 06:03 GMT

नयी दिल्ली 16 जून 2021। कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन को बनाने में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किए जाने के मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों की ओर से तीखे सवाल उठाए जाने पर भारत बायोटेक ने अपनी सफाई में कहा कि सेल्स विकसित करने में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन कोवैक्सिन वैक्सीन के फाइनल फॉर्मूले में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया।

कोवाक्सिन में गाय के नवजात बछड़े का सीरम इस्तेमाल किए जाने के मुद्दे पर विवाद बढ़ता देख भारत बायोटेक ने सफाई जारी की। भारत बायोटेक ने कहा कि बछड़े के सीरम का इस्तेमाल सेल्स विकसित करने के लिए किया गया, लेकिन कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन के निर्माण के फाइनल फॉर्मूले में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। कंपनी का कहा कि कोवैक्सिन में किसी तरह की अशुद्धि नहीं हैं।

कंपनी ने कहा कि नष्ट या निष्प्रभावी किए गए वायरस का इस्तेमाल अंतत: टीका बनाने के लिए किया जाता है। बयान के मुताबिक, अंतिम रूप से टीका बनाने के लिए बछड़े के सीरम का बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता। अत: अंतिम रूप से जो टीका (कोवैक्सीन) बनता है, उसमें नवजात बछड़े का सीरम कतई नहीं होता और यह अंतिम टीका उत्पाद के संघटकों में शामिल नहीं है।

कांग्रेस नेता ने किया यह दावा
कांग्रेस के नेशनल कॉर्डिनेटर गौरव पांधी ने बुधवार को कोवैक्सिन में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया था। पांधी ने एक आरटीआई के जवाब में मिले दस्तावेज को साझा किया, जिसमें कोवैक्सिन बनाने में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी उम्र 20 दिन से भी कम होती है। उन्होंने दावा किया कि यह जवाब विकास पाटनी नाम के व्यक्ति की आरटीआई पर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दिया है। इसके बाद से विपक्ष ने मोदी सरकार पर हमला बोला।

कौवैक्सीन में नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल होता है. इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इन पोस्टों में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक वायरस कल्चर करने की एक तकनीक है और पोलियो, रेबीज और इन्फ्लुएंजा के टीकों में दशकों से इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. फाइनली रूप से बन कर तैयार होने वाली कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम बिल्कुल नहीं होता है और ना ही ये सीरम वैक्सीन उत्पाद का इंग्रेडिएंट है.

पोलियो, रेबीज और इन्फ्लुएंजा के टीकों में होता है इस तकनीक का इस्तेमाल
नवजात बछड़ा सीरम का उपयोग केवल वेरो कोशिकाओं / सेल्स की तैयारी या वृद्धि के लिए किया जाता है. विभिन्न प्रकार के पशु का सीरम वेरो सेल ग्रोथ के लिए विश्व स्तर पर उपयोग किए जाने वाले स्टैंडर्ड एनरिचमेंट इंग्रेडिएंट्स हैं. वेरो सेल्स का उपयोग कोशिका जीवन को स्थापित करने के लिए किया जाता है जो टीकों के उत्पादन में मदद करते हैं. पोलियो, रेबीज और इन्फ्लुएंजा के टीकों में दशकों से इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन वेरो कोशिकाओं को वृद्धि के बाद, पानी से धोया जाता है. रसायनों से धोया जाता है जिसे तकनीकी रूप से बफर के रूप में भी जाना जाता है. इसके बाद ये वेरो सेल्स वायरल ग्रोथ के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाते हैं.

वायरल ग्रोथ की प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं. इसके बाद यह विकसित वायरस भी मर जाता है यानी निष्क्रिय और शुद्ध हो जाता है. इस किल्ड वायरस का उपयोग अंतिम टीका बनाने के लिए किया जाता है. वैक्सीन तैयार करने में कोई बछड़े के सीरम का उपयोग नहीं किया जाता है. इसलिए फाइनल बन कर तैयार वैक्सीन Covaxin में नवजात बछड़े का सीरम बिल्कुल नहीं होता है और ना ही ये सीरम वैक्सीन उत्पाद का इंग्रेडिएंट है.

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