Vishnudeo Cabinet Reshuffle: छत्तीसगढ़ में नए मंत्रियों के लिए इन पांच विधायकों के नामों की अटकलें तेज, पढ़िये कब होगा नए मंत्रियों का शपथ
Vishnudeo Cabinet Reshuffle: छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल के विस्तार पर इन दिनों खूब चर्चाएं हो रही हैं। कल मुख्यमंत्री के राज्यपाल से मिलने राजभवन जाने के बाद अटकलें और तेज हो गई। जाहिर है, विष्णुदेव मंत्रिमंडल में दो मंत्रियों की जगह खाली है। और जल्द ही इन्हें भरा जाएगा।
Vishnudeo Cabinet Reshuffle: रायपुर। छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2023 में बीजेपी की सरकार बनी थी और विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण किए थे। सरकार गठन के छह महीने के भीतर मंत्रिमंडल विस्तार की जरूरतें इसलिए महसूस की जाने लगी है कि पहले से एक पद खाली था ही, बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अब दो मंत्रियों का स्थान रिक्त हो गया है। जाहिर है, छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेश, जहां 15 परसेंट कोटे के हिसाब से सिर्फ 12 मंत्री बन सकते हैं, उनमें से दो कम हो जाए तो समझा जा सकता है कि सरकार के कामकाज में दिक्कतें हो रही होंगी। तभी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज हो गई है। सरकार में बैठे लोग भी मान रहे हैं कि बेहद जल्द दो मंत्रियों की नियुक्ति हो जाएगी।
अनुभवी या नए को मौका?
बहरहाल, छत्तीसगढ़ में इस समय सबसे बड़ा सवाल है कि विष्णुदेव कैबिनेट में कौन दो नए मंत्री शामिल होंगे...पुराने और अनुभवी विधायकों को मिलेगा मौका या फिर पार्टी नए विधायकों पर दांव लगाएगी। मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के रायपुर लोकसभा से सांसद चुने जाने के बाद यह सवाल और गहरा गया है। क्योंकि, उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन और संसदीय कार्य मुख्यमंत्री खुद संभाल रहे हैं।
जुलाई प्रथम सप्ताह में शपथ
छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय मंत्रिपरिषद में इस समय दो पद रिक्त हो गए हैं। 12 मंत्रियां के कोटा वाले राज्य में अगर दो मंत्री कम हो तो निश्चित तौर पर कामकाज प्रभावित होगा। मगर खबर है कि जल्द ही दो नए मंत्रियों को शपथ दिलाया जाएगा। जुलाई फर्स्ट वीक तक किसी भी सूरत में दो मंत्रियों की नियुक्ति हो जाएगी। मगर राजनीतिक पंडितों का भी मानना है कि छत्तीसगढ़ के जातीय समीकरण की दृष्टि से दो मंत्रियों का चयन इतना आसान नहीं होगा। खासकर, लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद।
जातीय गुणा भाग
छत्तीसगढ़ के मंत्रिपरिषद में इस समय छह मंत्री ओबीसी से हैं। इनके अलावा दो ट्राईबल से और सामान्य तथा दलित वर्ग से एक-एक। ओबीसी से अरुण साव, ओपी चौधरी, लखनलाल देवांगन, श्यामबिहारी जायसवाल, लक्ष्मी राजवाड़े और टंकराम वर्मा विष्णुदेव कैबिनेट में मंत्री हैं। इसी तरह आदिवासी वर्ग से रामविचार नेताम, केदार कश्यप और सामान्य में विजय शर्मा तथा अनुसूचित जाति से दयालदास बघेल। वैसे, सामान्य से बृजमोहन अग्रवाल भी पिछले हफ्ते तक मंत्री थे, मगर उनके त्याग पत्र के बाद इस वर्ग से सिर्फ विजय शर्मा की नुमाइंदगी बच गई है।
ओबीसी का पलड़ा भारी
विष्णुदेव मंत्रिमंडल में ओबीसी का पलड़ा भारी है। अगर दो रिक्त पदों में से किसी एक पर ओबीसी विधायक को मंत्री बनाना होगा तो छह में से एक मंत्री से सरकार को इस्तीफा लेना होगा। क्योंकि 12 में सात मंत्री ओबीसी से तो कतई संभव नहीं। फिर बस्तर से हमेशा दो मंत्री रहे हैं। छत्तीसगढ़ में यह पहला मौका कि सरगुजा से रामविचार नेताम, श्यामबिहारी जायसवाल और लक्ष्मी राजवाड़े याने तीन मंत्री और बस्तर से सिर्फ एक...केदार कश्यप। ऐसे में, लता उसेंडी की संभावना बढ़ रही है। लता को सरकार अगर मंत्री बनाती हैं तो वे आदिवासी के साथ महिला वर्ग का प्रतिनिधित्व करेंगी। लिहाजा सरकार को उनके मंत्री बनाने से दो फायदे होंगे। लता रमन सिंह मंत्रिमंडल में 10 साल मंत्री रह चुकी हैं।
सामान्य वर्ग से सबसे कम मंत्री
अब सामान्य वर्ग की बात....अजीत जोगी सरकार में सामान्य वर्ग से पांच मंत्री रहे। उस समय विधानसभा अध्यक्ष भी इसी वर्ग से रहे। राजेंद्र शुक्ला को अजीत जोगी ने स्पीकर बनाया था। उनके अलावा रविंद्र चौबे, सत्यनारायण शर्मा, अमितेष शुक्ल, विधान मिश्रा और गीता देवी सिंह। उसके बाद रमन सिंह की सरकार 15 साल रही। उसमें भी तीन मंत्री इस वर्ग से रहे। मगर इस समय बृजमोहन के इस्तीफे के बाद सिर्फ एक मंत्री सामान्य वर्ग से बच गए हैं। जाहिर सी बात है कि सरकार सामान्य वर्ग से एक मंत्री तो लेगी ही। इनमें राजेश मूणत से लेकर अमर अग्रवाल, भावना बोहरा जैसे कोई भी एक नाम हो सकता है। अब देखना है, सरकार इनमें से किन दो विधायकों को शपथ ग्रहण के लिए राजभवन बुलाती है।
इन छह के नामों की चर्चाएं
विष्णुदेव मंत्रिमंडल के दो पदों के लिए आधा दर्जन नामों की चर्चा बड़ी तेज है। इनमें रायपुर से राजेश मूणत, कुरुद के अजय चंद्राकर, बिलासपुर से अमर अग्रवाल, दुर्ग से गजेंद्र यादव और कोंडागांव से लता उसेंडी के नामों की चर्चाएं हो रही हैं। सियासी पंडितों का कहना है कि इन छह में किन्हीं दो पर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व मुहर लगा सकता है।