Teacher News: युक्तियुक्तकरण! मध्यप्रदेश में शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण के बाद छत्तीसगढ़ के 13 हजार सरप्लस शिक्षकों में बढ़ी बेचैनी, जानिये अब क्या होगा

Teacher News: युक्तियुक्तकरण का ड्राफ्ट तैयार किया छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने और उसे लागू करने में बाजी मार ले गया मध्यप्रदेश। एमपी में लागू होने के बाद छत्तीसगढ़ के अतिशेष शिक्षकों पर तलवार लटक गई है।

Update: 2024-09-18 08:17 GMT

Teacher News रायपुर। स्कूलों में शिक्षकों की कमी के मामले में मध्यप्रदेश से कहीं अधिक छत्तीसगढ़ की स्थिति खराब है। छत्तीसगढ़ के 5500 स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे चल रहे हैं तो 300 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं। याने शिक्षक विहीन। इसका फौरी समाधान निकालने के लिए सरकार ने युक्तियुक्तकरण का ऐलान किया था। स्कूल शिक्षा विभाग के युक्तियुक्तकरण के ड्राफ्ट को कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई थी। अफसरों ने चरणबद्ध युक्तियुक्तकरण के लिए कार्यक्रम तैयार कर लिया था। 16 सितंबर तक स्कूलों का और 3 अक्टूबर तक शिक्षकों की लिस्ट तैयार की जानी थी। इसके बाद फिर पोस्टिंग की जाती। मगर इससे पहले ऐसा विरोध हुआ कि फिलहाल इससे स्थगित करना ही मुनासिब समझा गया। शिक्षकों ने युक्तियुक्तकरण के खिलाफ हड़ताल की चेतावनी दे दी थी।

नगरीय निकाय चुनाव से ब्रेक

दो महीने बाद चूकि नगरीय निकाय चुनाव है। सरकार को लगा कि कहीं शिक्षकों की नाराजगी चुनाव में कहीं भारी न पड़ जाए, इसको देखते स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्कण की प्रक्रिया पर ब्रेक लगा दिया। मगर इसका न कोई औपचारिक आदेश जारी हुआ और न ही किसी का अधिकारिक बयान आया। इसका मतलब यह है कि शिक्षक संगठनों के विरोध पर युक्तियुक्तकरण

फिलहाल रोक दिया गया है मगर प्रक्रिया नहीं रुकी है। समझा जाता है कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद इसे लागू किया जाए। क्योंकि, मुख्यमंत्री के पास इस समय स्कूल शिक्षा विभाग है और उन्होंने विधानसभा में इसका ऐलान किया था। उपर से पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश ने युक्तियुक्तकरण लागू कर दिया है।

अब विरोध की गुंजाइश नहीं

छत्तीसगढ़ ने युद्धस्तर पर काम करके युक्तियुक्तकरण का मसविदा तैयार किया और मध्यप्रदेश ने उसे एडॉप्ट कर अपने यहां लागू कर दिया। चूकि एमपी में ये लागू हो गया है, इसलिए छत्तीसगढ़ में इसे लागू करने में अब दिक्कत नहीं जाएगी। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षक संगठनों ने शुरूआती फेज में विरोध किया मगर उन पर पौने दो लाख शिक्षकों का भी प्रेशर है। आखिर 13 हजार सरप्सल शिक्षकों के लिए शिक्षक संगठन अपना सब कुछ दांव पर क्यों लगा देगा।

हजारों शिक्षक बस्तर और सरगुजा के दूरस्थ इलाकों में पोस्टेड र्हैं। मैदानी इलाकों में भी जिला मुख्यालयों से 100-100 किलोमीटर दूर शिक्षक मुस्तैदी से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। मगर उन बेचारों के लिए कोई बोलने वाला नहीं। वे सालों से सुबह जाते हैं और देर शाम तक घर लौट पाते हैं। और पैसा और पहुंच के मामले में रसूखदार 13 हजार शिक्षकों को बचाने के लिए शिक्षक संगठन सड़कों पर उतर आया। इसके संदेश अच्छे नहीं गए।

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