Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के CS को दो महीने के भीतर भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण बनाने दिया निर्देश, कार्रवाई की चेतावनी भी

Supreme Court News: छत्तीसगढ़ के एक किसान की SLP स्पेशल लीव पिटिशन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री को नोटिस जारी कर छत्तीसगढ़ में दो महीने के भीतर भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण के गठन का आदेश जारी किया है। डिवीजन बेंच ने यह भी चेतावनी दी है कि तय समयावधि में प्राधिकरण का गठन ना किए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

Update: 2025-07-20 06:56 GMT

बिलासपुर। सारंगढ़ बिलाईगढ़ के किसान बाबूलाल ने अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका SLP दायर कर छत्तीसगढ़ में भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण के गठन की मांग की है। याचिकाकर्ता किसान ने अपनी याचिका में बताया है कि प्राधिकरण का गठन ना होने से किसानों को भूअर्जन सहित अन्य प्रक्रियाओं और दावों के लिए भटकना पड़ता है।

चीफ सिकरेट्री को नोटिस जारी

मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की डिवीजन बेंच में हुई। प्रकरण की गंभीरता और किसानों की हितों को ध्यान में रखते हुए डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री को नोटिस जारी कर दो महीने के भीतर प्राधिकरण का गठन करने का निर्देश दिया है। तय समयावधि में गठन ना होने की स्थिति में कार्रवाई की चेतावनी भी डिवीजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री को दी है।

नहीं हो पाया भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण का गठन: किसान

सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में किसान ने बताया है कि छत्तीसगढ़ में भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण का आजतलक गठन नहीं हो पाया है। प्राधिकरण ना होने के कारण भूमि अधिग्रहण और भूअर्जन प्रक्रिया के दौरान दावा आपत्ति का निराकरण नहीं हो पाता है। इसके कारण मुआवजा के अलावा ब्याज से जुड़ी आवेदनों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। पेंडेंसी के कारण किसानों और भूमि स्वामियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रक्रिया नहीं हो पाई पूरी

सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच के समक्ष राज्य शासन की ओर से पैरवरी कर रहे विधि अधिकारियों ने बताया कि प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया शुरू की गई है। गठन प्रक्रियाधीन है। विधि अधिकारी के जवाब के बाद जब डिवीजन बेंच ने प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया के संबंध में दस्तावेज देखे तब पता चला कि यह तो वर्षों से लंबित पड़ा हुआ है।

प्राधिकरण का गठन जरुरी, सुप्रीम कोर्ट ने तय की डेडलाइन

प्राधिकरण के गठन को अनिवार्य मानते हुए डिवीजन बेंच ने इसके लिए डेडलाइन तय करते हुए दो महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री को चेतावनी भी दी है कि कोर्ट के निर्देशों को गंभीरता से नहीं लेने और तय समय पर परिपालन ना होने पर कार्रवाई भी की जाएगी।

विवादों का एक साल के भीतर निपटारा करना है जरुरी

याचिकाकर्ता किसान की ओर से डिवीजन बेंच में पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव नए 2018 में लागू किए गए नए भूमि अधिग्रहण के तहत अधिनियम के अनुच्छेद-5 (a) में प्रावधान है कि भूमि अधिग्रहण के संबंध में अधिसूचना जारी होने के बाद कोई भी व्यक्ति अधिसूचना में प्रस्तावित किए गए भूमि पर मुआवजा और अन्य विवाद के संबंध में दावा आपत्ति कर सकेगा। अधिवक्ता ने बताया कि प्रावधान में यह भी साफतौर पर लिखा हुआ है कि दावा आपत्ति का निराकरण हर हाल में एक साल के भीतर करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो संबंधित व्यक्ति भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण के समक्ष दावा आपत्ति दर्ज करा सकता है। प्राधिकरण ना होने के कारण किसानों और भूमि स्वामियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

15 सितंबर को होगी अगली सुनवाई, तब तक राज्य सरकार को करना होगा गठन

डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तिथि तय कर दी है। तब तक राज्य सरकार को जारी डेडलाइन भी पूरी हो जाएगी। लिहाजा राज्य सरकार को सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच के समक्ष कंप्लायंस रिपोर्ट भी पेश करनी होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने से पहले किसान ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। तब किसान ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रूख किया।

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