Raipur-Vishakhapatanam Expressway Land Scam: मास्टरमाइंड तहसीलदार को प्रमोशन का तोहफा? केंद का 246 करोड़ अंदर करने वाले सेठ-साहूकारों और भूमाफियाओं का क्या होगा?...
Raipur-Vishakhapatanam Expressway Land Scam: अभनपुर के भारतमाला परियोजना के 324 करोड़ के मुआवजा घोटाले में रायपुर कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन तहसीलदार को मास्टरमाइंड बताया है। घोटाले को अंजाम देने वाले तहसीलदार को सरकार ने 2021 में प्रमोट कर डिप्टी कलेक्टर बना दिया। फिलवक्त, एक मंत्री के करीबी होने की वजह से राजस्व विभाग उन पर हाथ नहीं डाल रहा। उधर, उन सेठ-साहूकारों और भूमाफियाओं का क्या होगा, जिन्होंने इस जमीनों के बटांकन का खेल करते हुए 248 करोड़ अंदर कर लिया। राजस्व विभाग के अफसरों की बेपरवाही देखिए कि 326 करोड़ के स्कैम में अभी तक सामान्य सी रिपोर्ट भी थाने में दर्ज नहीं कराई गई है।
Raipur-Vishakhapatanam Expressway Land Scam: रायपुर। भारत सरकार के भारतमाला परियोजना में 324 करोड़ के घोटाले पर बवाल मचने पर सरकार ने तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू को कल सस्पेंड कर दिया। मगर जमीनों के खसरे का बटांकन का काम तहसीलदार करता है, उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
मुआवजा घोटाले के दौरान 2019 से लेकर 2021 तक शशिकांत अभनपुर के तहसीलदार रहे। बताते हैं, मुआवजा के खेल का शशिकांत सूत्रधार रहे। शशिकांत ने ही 32 खसरों को 247 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया ताकि लोगों को आठ गुना मुआवजा दिलाया जा सके।
रायपुर कलेक्टर ने राजस्व विभाग को जांच रिपोर्ट भेजी है, उसमें भी तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत की इस स्कैम में मुख्य भूमिका बताई गई है। जाहिर सी बात है कि एसडीएम बिना तहसीदार की मदद से इतना बड़ा स्कैम नहीं कर सकता। ये अवश्य है कि 3ए के प्रकाशन के बाद जमीनों के नक्शा, खसरा में परिवर्तन किया गया, इस पर आंख मूंदते हुए दोनों एसडीएम ने करोड़ों का मुआवजा बांट दिया।
तहसीलदार का प्रमोशन
मुआवजा घोटाले को अंजाम देने वाले तहसीलदार को 2021 में प्रमोट कर डिप्टी कलेक्टर बना दिया गया। इस समय वे कोरबा में पोस्टेड हैं। रायपुर कलेक्टर समेत राजस्व विभाग में सभी को मालूम है कि तत्कालीन तहसीलदार की इस घोटाले में अहम भूमिका रही। मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सूत्र बताते हैं, कि तत्कालीन तहसीलदार एक मंत्री के करीबी हैं। इस वजह से उनके खिलाफ अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ है। इस स्कैम में अभनपुर एसडीएम समेत गोबरा नवापारा के तहसीलदार और दो पटवारी सस्पेंड हो चुके हैं। जबकि, गोबरानवापारा के तहसीलदार के इलाके में उतना बड़ा खेला नहीं हुआ है। 80 प्रतिशत से अधिक मुआवजा शशिकांत के इलाके में बंटा। मगर उनके मामले में सिस्टम मौन है।
सेठ-साहूकारों और भूमाफियाओं का क्या होगा?
भारतमाला परियोजना में 326 करोड़ के मुआवजे के लिए सेठ-साहूकारों ने सिक्स लेन ग्रीन कारिडोर के लिए अधिग्रहण की जाने वाली जमीनों को प्रतिबंध लगने के बाद भी पत्नी, बेटे-बेटी, नौकर-चाकर के नाम बंटवारा कर दिया, ताकि आठ गुना मुआवजा हासिल की जा सकें।
खेल यहां तक हुआ कि किसानों से एग्रीमेंट कर जमीनों को पैसा दे दिया और अलग से खाता खुलवाकर उसमें पैसा ट्रांसफर कराया और बाद में अपने खाते में पैसे आहरण करा लिया।
खाता महासमुंद में
भारतमाला परियोजना में जिनकी जमीनें अधिग्रहित हुई, उसके किसानों की जमीनें लेकर उसका खाता महासमुंद के आईसीआईसी बैंक में खुलावाया गया। ताकि, किसानों से आसानी से पैसे अपने खाते में ट्रांसफर कराया जा सकें।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने जिस लिस्ट को कलेक्टर को भेजकर जांच करने कहा था, नियम विरूद्ध बंटवारे की कलेक्टर की जांच में पुष्टि हो गई है। लिस्ट में एक ही परिवार के नाम पर कई टुकड़े कर दिए गए। लिस्ट में कई जगह भारतमाला परियोजना लिखा है, इसका मतलब है कि उक्त टुकड़ा नेशनल हाईवे के नाम पर चढ़ गया है। कुछ नाम नौकर-चाकर और किसानों के हैं, जिनसे एग्रीमेंट कर जमीनें हथिया ली गई और उसे टुकड़ों में बांट मुआवजा ले लिया गया। 32 जमीनों को 247 टुकड़ों में विभक्त किए गए, उनकी कुछ सूची हम प्रकाशित कर रहे हैं, सवाल उठता है, प्रतिबंध के बाद भी राजस्व अधिकारियों से मिल छोटे टुकड़े करा करोड़ों रुपए का मुआवजा हथिया लेने वाले भूमाफियाओं और सेठ-साहूकारों के खिलाफ राजस्व विभाग कोई कार्रवाई करेगा?
326 करोड़ के स्कैम, एफआईआर नहीं
भारत सरकार की परियोजना में 326 करोड़ का वारा-न्यारा हो गया, मगर राजस्व विभाग ने अभी तक थाने में सामान्य रिपोर्ट भी दर्ज नहीं कराई है। जबकि, छोटे-छोट मामलों में पुलिस में कंप्लेन हो जाता है। स्कूल शिक्षा विभाग के फर्जी तबादला आदेश में कल ही स्कूल शिक्षा के अफसरों ने नया रायपुर के राखी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।