Raipur Assembly By-Election: रायपुर शहर विधानसभा में होगा उपचुनाव...! नगरीय निकाय चुनाव के दौरान हो सकता है चुनाव

Raipur Assembly By-Election:

Update: 2024-06-04 11:39 GMT

Raipur Assembly By-Election रायपुर। छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में तीन विधायक चुनाव मैदान में थे। बृजमोहन अग्रवाल, भूपेश बघेल और कवासी लखमा। लेकिन जीत सिर्फ रायपुर शहर के विधायक रहते हुए चुनाव लड़ने वाले बृजमोहन अग्रवाल की तय हो गई है। वे अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के विकास उपाध्याय से उन्हें मिले टोटल वोट से ज्यादा का अंतर हासिल कर चुके हैं। यानी अब सिर्फ नतीजे का ऐलान और जीत-हार के अंतर का पता चलना ही बाकी है। संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल करीब साढ़े तीन लाख वोटों की लीड ले चुके हैं। इसके साथ ही ये भी तय हो गया कि रायपुर शहर विधानसभा की इस इकलौती सीट पर उपचुनाव होंगे। ये उपचुनाव इसी साल होने वाले नगर निकाय चुनाव के साथ हो सकते हैं। छत्तीसगढ़ की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का दिग्गज चेहरा बृजमोहन अग्रवाल पिछले 35 सालों से लगातार विधायक हैं। बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का लगातार आठवीं बार प्रतिनिधत्व कर रहे थे। वे पहली बार सांसद बनने जा रहे हैं।

बृजमोहन का सियासी सफरनामा

बृजमोहन अग्रवाल ने अपने राजनीति करियर की शुरुआत एबीवीपी से छात्र नेता के रूप में किया था। जिसके बाद साल 1990 में अविभाजित मध्यप्रदेश के समय पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1993, 1998 में भी अविभाजित मध्य प्रदेश में रायपुर से विधायक रहे. छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद लगातार पांच बार 2003, 2008, 2013, 2018 और 2023 में बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। अब बीजेपी ने बड़ा दांव खेलते हुए साय सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था। बीजेपी का गढ़ माने जाने वाली रायपुर लोकसभा सीट से बृजमोहन नए रिकॉर्ड के साथ जीत की ओर अग्रसर हैं।

तीन दशक से सीट पर बीजेपी का कब्जा

रायपुर लोकसभा सीट वीआईपी सीट है। 1952 से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। लेकिन 1989 के बाद से अब तक ये सीट बीजेपी के कब्जे में रही है। सिर्फ 1991 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल ने ये सीट जीती थी। लेकिन फिर इसके बाद कभी इस सीट पर बीजेपी के अलावा कोई दूसरा दल इस सीट को नहीं जीत पाया। 1996 से 2014 तक बीजेपी के रमेश बैस लगातार सांसद रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में सुनील कुमार सोनी ने जीत दर्ज की। 2024 में बीजेपी ने बृजमोहन अग्रवाल को यहां से बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया। करीब तीन दशक से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है।

ये है उपचुनाव की चुनावी प्रक्रिया

जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के सेक्सन-151 ए के अंतर्गत इसके चुनाव इस तारीख के 6 महिने के अन्दर कराने का प्रावधान है। लेकिन इस प्रावधान में दो परंतु लगते हैं। जिनके कारण उपचुनाव टाले जा सकते हैं। पहला यदि खाली हुई सीट की बकाया अवधि 1 वर्ष से कम समय की है। दूसरा यदि केंद्र सरकार की मंत्रणा से चुनाव आयोग यह सर्टीफाई करता है कि इस अवधि में चुनाव कराना मुश्किल है; तो इन दो कारणों से चुनाव टल जाएगा। उपचुनाव के लिए अधिसूचना जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के सेक्सन-150 के अंतर्गत जारी होती है, और सामान्य चुनावों की तरह ही इसके लिये भी-7 दिन नौमिनेशन के लिये, 1 दिन स्क्रुटिनी के लिये, 2 दिन नौमिनेशन वापस लेने के लिये, तथा नौमिनेशन-स्क्रुटिनी, स्क्रुटिनी-नौमिनेशन वापस व नौमिनेशन वापस-14 दिन चुनाव प्रचार के बीच छुटियां जो होगी वो, 1 दिन रिपोल यदि कोई होगा, 1 दिन मतगणना तथा घोषणा; इतना चुनाव नोटिफिकेशन से चुनाव पूरा होने के लिये लगभग 35-40 दिन की आवश्यकता होती है। उपचुनाव की अधिसूचना अन्य राज्यों के उपचुनावों, यदि कोई है, के साथ भी हो सकती है। आयोग चुनाव-कार्यक्रम की घोषणा से पहले, कानून व्यवस्था के अतिरिक्त, विभिन्न पहलुओं पर विचार करता है। यदि, केंद्रिय सरकार से विचार-विमर्श के बाद, उपचुनाव कराने में कोई बाधा आती है तो चुनाव आयोग उस परिस्थिति को प्रमाणित करके उपचुनाव को इस अवधि के बाद के लिऐ टाल सकता है।

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