NPG इम्पैक्टः गांजा तस्करी में शामिल GRP के चारों आरक्षक बर्खास्त, पुलिस के गांजा रैकेट को एनपीजी न्यूज ने किया था एक्सपोज

गांजे की तस्करी में शामिल जीआरपी के चार सिपाहियों को आज बर्खास्त कर दिया गया। एनपीजी न्यूज ने गांजा रैकेट को कल प्रमुखता से उजागर किया था। इसके बाद पीएचक्यू हरकत में आया। और जीआरपी के एसपी ने आज चारों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। बता दें, डीजीपी ने निःप़क्ष जांच के लिए बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह को केस सौंपा है।

Update: 2024-11-20 15:04 GMT

NPG Impact: रायपुर। गांजे का अंतरराज्यीय नेटवर्क चलाने वाले छत्तीसगढ़ रेलवे पुलिस के चार सिपाहियों को आज बर्खास्त कर दिया गया। इन चारों सिपाहियों को गिरफ्तार कर पहले ही जेल भेज दिया गया है। मगर अभी तक उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू नहीं हुई थी। मगर एनपीजी न्यूज द्वारा कल प्रमुखता से इसे एक्सपोज करने के बाद एक्शन मोड में आते हुए अफसरों ने चारों सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया।

बता दें, जीआरपी के जवान संगठित रूप से गांजे की तस्करी कर रहे हैं। खुफिया जांच में इसका खुलासा होने के बाद पुलिस ने चार कांस्टेबलों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। इस मामले में एक आईपीएस की संलिप्तता सामने आ रही है। तस्करी के लिए नाते-रिश्तेदारों के नाम पर 45 बैंक अकाउंट खोला गया था। इसमें करीब 15 करोड़ की लेनदेन का खुलासा हुआ है। सीएम विष्णुदेव साय ने अफसरों को आदेश दिया है कि इस मामले में कठोर कार्रवाई की जाए। डीजीपी ने निःपक्ष जांच के लिए बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह को केस सौंप दिया है। रजनेश ने एनपीजी न्यूज को बताया कि कोलकाता से एक बड़े ड्रग पैडलर को पुलिस ने पकड़ा है। इनके साथ मिलकर जीआरपी गांजा और ड्रग की तस्करी कर रही थी।

जीआरपी पिछले पांच साल से गांजे की आरगेनाईज ढंग से तस्करी कर रही थी। इसमें बड़े अधिकारियों की भूमिका बताई जा रही है। शीर्ष अफसरों की संलिप्तता को देखते डीजीपी अशोक जुनेजा ने मामले को बिलासपुर एसपी रजनेश को जांच के लिए सौंप दिया है। जांच में पता चला है कि पिछले पांच-सात साल में जीआरपी में रहे लगभग सभी सीनियर अफसरों ने बहती गंगा में जमकर डूबकी लगाई। करोड़ों रुपए इन अधिकारियों को हिस्से में मिला।

ऐसे हुआ खुलासा

छत्तीसगढ़ की खुफिया पुलिस को जीआरपी जवानों के रैकेट द्वारा गांजे की तस्करी करने की जानकारी मिली थी। इंटेलिजेंस चीफ अमित कुमार ने इसके लिए विभाग के सात अधिकारियों की एक टीम बनाकर जांच में लगाया। खुफिया टीम ने रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए तीन महीने में करीब हावड़ा-मुंबई लाईन पर नागपुर से लेकर झारसुगड़ा तक और वाल्टेयलर लाईन पर टिटलागढ़ तक सघन निगरानी रखी। गुप्तचरों ने इस दौरान करीब ढाई सौ ट्रेनों में खुद भी सफर किया। पुख्ता जानकारी बटोरने के बाद फिर खुफिया चीफ अमित कुमार को इसकी रिपोर्ट दी गई। इसके बाद जीआरपी के चार सिपाहियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

45 खातों में 15 करोड़ के ट्रांजेक्शन

खुफिया पुलिस ने जांच में जीआरपी जवानों के पास से 45 बेनामी खाते मिले। बेनामी मतलब पुलिस जवानों ने अपने नाते-रिश्तेदारों के नाम पर खाते खुलवा लिए थे मगर खुद करते थे ऑपरेट। इसमें 15 करोड़ की लेनदेन का पता चला, जो गांजा पैडलरों ने ट्रांसफर किए थे।

कई राज्यों में फैला नेटवर्क

जांच में पता चला है कि जीआरपी के जवान पहले ट्रेनों में गांजा जब्त करते थे, उसी को बेचकर पैसा कमाते थे। मगर 2018 के बाद उन्हें लगा कि धंधा अच्छा है सो अपना खुद का नेटवर्क बना लिया और उड़ीसा से गांजा खरीदकर लगे सप्लाई करने। उड़ीसा, कोलकाता, झारखंड और महाराष्ट्र तक जीआरपी का रैकेट गांजा सप्लाई कर रहा था। चूकि जीआरपी का काम ही अपने स्टेट के अंतगर्त स्टेशनों तक ट्रेनों के अपराधों की रोकथाम करना है। इसलिए, बर्दी की आड़ में वे अपने धंधे का चौरफा फैला लिया। उन्हें पकड़े जाने का डर भी नहीं था, सो गांजा पैडलरों को भी जीआरपी जवानों से गांजा खरीदने में सुविधा होती थी। आगे कहीं पकड़े भी गए तो जीआरपी वाले जोर-तोड़ करके छुड़वा देते थे।

सीनियर अफसरों को पैसा

जीआरपी के रैकेट को उपर के अधिकारियों का खुला संरक्षण मिला था। जांच में पता चला है कि गांजा तस्करी का पैसा उपर तक जाता था। इसमें एक आईपीएस की संलिप्तता भी बताई जा रही है। 2018 के बाद सारे सीनियर अधिकारियों को पैसा दिए जाने की जानकारी जांच खुफिया जांच में आई है। मामले की गंभीरता को देखते डीजीपी अशोक जुनेजा ने इस केस को बिलासपुर के एसपी रजनेश सिंह को सौंप दिया है।

छत्तीसगढ़ जीआरपी के एसपी ने ड्रग तस्करी में जेल काट लौटे सिपाही को अगले दिन ही न केवल बहाल कर दिया बल्कि रेलवे स्क्वाड में तैनात कर दिया। सीनियर अफसरों का संरक्षण मिलने के बाद जीआरपी के सिपाहियों ने अपना नेटवर्क विस्तार कर आसपास के कई राज्यों में फैला दिया। इसके लिए बैंकों में विभिन्न नामों से 45 खाते खोल लिया और गांजा खरीदकर ट्रेनों के जरिये दूसरे राज्यों को सप्लाई करने लगे।

रायपुर। खुफिया इनपुट्स के बाद पुलिस ने जीआरपी के चार सिपाहियों को गांजा तस्करी में गिरफ्तार करने के मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इनमें गांजा तस्करी का सरगना कांस्टेबल लक्ष्मण गाईन गांजा तस्करी के मार्फत छत्तीसगढ़ का करोड़पति सिपाही बन बैठा। उसके पास दुनिया की सबसे महंगी बाइक में से एक हार्ले डेडिसन मिला है। यहीं नही चार लग्जरी कारें और एक करोड़ से अधिक का मकान और उसके नाम पर कई प्लॉट हैं।

डेढ़ साल जेल काट लौटा

गांजा तस्करी का सरगना लक्ष्मण गाईन 2018 में ड्रग पैडलर के आरोप में गिरफ्तार हुआ था। पुलिस ने उसे अरेस्ट कर कोर्ट में पेश किया था, उसके बाद डेढ़ साल तक उसका जमानत नहीं हुआ। जमानत मिलने के बाद उसे अगले दिन ही एसपी ने निलंबन समाप्त कर नौकरी में बहाल कर दिया था। यही नहीं, ट्रेनों में स्क्वाड पार्टी में उसकी ड्यूटी लगा दी। ताकि, वह अपना धंधा फिर से प्रारंभ कर सके। और ऐसा ही हुआ सिपाही ने अफसरों का संरक्षण पा गांजा की तस्करी का महाराष्ट्र, यूपी, पश्चिम बंगाल, तेलांगना तक विस्तार कर दिया। जानकारों का कहना है कि पुलिस में गंभीर किस्म के मामलों में एसपी सिपाही को बर्खास्त कर देते हैं। मगर ताज्जुब है कि ड्रग पैडलर जैसे अपराध में जो जवान डेढ़ साल जेल काटकर लौटा, उसे बर्खास्तगी की कार्रवाई करने की बजाए बहाल कर दिया गया।

करोड़ों की दौलत

गांजा तस्करी मामले में गिरफ्तार जीआरपी का सिपाही लक्ष्मण गाईन की संपत्ति देखकर पुलिस के बड़े अधिकारी स्तब्ध हैं। 40 हजार वेतन प्राप्त करने वाला सिपाही ने गांजे की तस्करी से पिछले पांच साल में करोड़ों रुपए बनाया। उसके पास बिलासपुर के कंचन विहार में करोड़ रुपए से अधिक का मकान है। दुनिया का सबसे महंगा बाइक हार्ले डेविडसन रखता है। इसके अलावे हुंडई वरना, मारुति स्वीफ्ट और टाटा की हैरियर कार है। पुलिस की जांच में उसके पास कई प्लॉट का पता चला है।

गांजा रैकेट का सरगना

लक्ष्मण गाईन ड्रग तस्करी में 2018 में गिरफ्तार हुआ था। वह डेढ़ साल तक जेल में रहा। उसके बाद फिर इसी धंधे में लग गया। खुफिया पुलिस के सूत्रों ने बताया कि जीआरपी के गांजा रैकेट का लक्ष्मण सरगना था। सीनियर अफसरों के संरक्षण में गांजा की तस्करी कर उसने इतने पैसे कमा लिए हैं कि कानून के लंबे हाथ से बेखौफ हो गया है। गिरफ्तारी के समय भी वह निश्चिंत था कि जल्द ही वह छूट कर आ जाएगा। जीआरपी से लेकर पीएचक्यू तक के अफसरों का उसे संरक्षण मिला हुआ था।

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