छत्तीसगढ़ में पीएम जनमन आवास योजना से संवर रहे हैं सपने, सास-बहू को मिला अपना पक्का घर...

PM Janman Awas Yojana:

Update: 2024-09-09 08:31 GMT

बलौदाबाजार भाटापारा। बलौदाबाजार भाटापारा जिले के कसडोल विकासखंड अंतर्गत अंतिम छोर में स्थित वनांचल ग्राम बल्दाकछार की निवासी 76 वर्षीय चंदा बाई कमार और उनके पति मंगल सिंह कमार (80 वर्ष) का जीवन आर्थिक रूप से काफी संघर्षमय रहा। लिहाजा पक्का मकान उनके लिए एक सपने की तरह था लेकिन पीएम जनमन आवास योजना से आज उनका खुद का पक्का मकान हो गया है। वे कहते है कि उनके संघर्षपूर्ण जीवन का अंत एवं दो पीढ़ियों का सपना आज पीएम जनमन आवास योजना से पूरा हुआ है।

जिंदगी भर मजदूरी करके जैसे-तैसे अपनी जिंदगी का गुज़ारा करने वाले इस दंपति के पास इतने साधन नहीं थे कि वे खुद का पक्का मकान बना सकें। बरसों से झोपड़ी में रहते हुए उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे,लेकिन एक सपना हमेशा उनके दिल में जिंदा था-अपने पक्के मकान का सपना। हालांकि वक्त ने एक नया मोड़ तब लिया जब पीएम जनमन आवास योजना के तहत उन्हें अपना पक्का मकान बनाने का मौका मिला। चंदा बाई और उनके पति के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं थी। अब वे एक सुरक्षित और पक्के घर में रहने का सपना पूरा होते देख पा रहे हैं। चंदा बाई कहती हैं-‘हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इस उम्र में हम अपना खुद का मकान देख सकेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हमारा सपना सच कर दिखाया है।’

बहु का परिवार भी हुआ लाभांवित

चंदा बाई कमार की बहु बुधार बाई कमार ने दो साल पहले किशुन लाल से शादी की थी। हालांकि कुछ समय बाद वे अलग होकर अपने परिवार के साथ रहने लगीं। बुधार बाई और उनके पति बांस से झाडू,टुकना, सूपा आदि बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं। उनके दो बच्चे हैं बेटी बबली जो कक्षा 7वीं में पढ़ रही है और बेटा शिवम जो अभी सिर्फ एक साल का है। बुधार बाई का परिवार भी पीएम जनमन आवास योजना से लाभांवित हुआ है। इस योजना के तहत उन्हें भी पक्का मकान मिला। जिससे उनका जीवन अब और अधिक खुशहाल हो गया। अब बुधार बाई अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित और सुंदर घर में रहती हैं। वह कहती हैं ष्इस योजना ने हमें न सिर्फ छत दी बल्कि हमारे जीवन में स्थिरता और सम्मान भी दिया।

दो पीढ़ियों का सपना हुआ पूरा

चंदा बाई और बुधार बाई,दोनों की कहानी यह साबित करती है कि पीएम जनमन आवास योजना ने केवल मकान ही नहीं बल्कि उनके जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और सम्मान भी लाया है। सास और बहु दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके सपनों को हकीकत में बदलने में यह योजना मील का पत्थर साबित हुई है। चंदा बाई ने गर्व के साथ कहा, ष्इस उम्र में अपने खुद के घर में रहना हमारे लिए किसी सपने के सच होने जैसा है, हमे दो पीढ़ी बाद पक्का घर मिला।वहीं बुधार बाई ने कहा यह योजना हमारे बच्चों के भविष्य के लिए भी एक मजबूत नींव है।

आवास योजना से ममता कमार की जिंदगी में आई नई खुशहाली

बलौदाबाजार भाटापारा जिला के वनांचल ग्राम बल्दाकछार की निवासी ममता कमार और उनके पति पंच राम कमार को अब संघर्षों का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना ने ममता कमार और उनके परिवार की जिंदगी में नई रोशनी ला दी है। इस योजना के तहत उन्हें पक्का मकान मिल गया है,जिससे अब उनके जीवन में स्थिरता और सुरक्षा की भावना पैदा हो गई है। अब, ममता और उनका परिवार एक सुरक्षित और मजबूत घर में रह रहा है, जहाँ वो और उनकी तीन बेटियाँ बिना किसी चिंता के अपने भविष्य की ओर बढ़ सकती हैं। कमार ने इस योजना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस पक्के मकान ने उनके परिवार के जीवन को एक नई दिशा दी है और उनकी बेटियों के भविष्य के प्रति उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया है।


वनांचल ग्राम बल्दाकछार का यह कमार परिवार का जीवन-यापन बांस के कार्य पर निर्भर है,जो एक पारंपरिक और श्रमसाध्य कार्य है। इस मेहनत के बावजूद, परिवार के लिए एक स्थायी और सुरक्षित छत का सपना अधूरा था। पहले वे एक कच्चे मकान में रहते थे,जहाँ मौसम की मार से बचना हमेशा एक चुनौती रहती थी। ममता और पंचराम की तीन बेटियाँ हैं नंदनी कमार 10 साल की है जो चौथी कक्षा, निधि 7 साल है जो पहली कक्षा में पढ़ती है और उनकी सबसे छोटी बेटी लवली अभी 3 साल की ही है।

ममता ने बताया कि वह परंपरागत रूप से बांस शिल्प की कला कृति बनाकर एवं कृषि के समय कृषक मजदूरी का कार्य करके जीवकोपार्जन करती है। पहले वह आर्थिक तंगी के कारण बांस शिल्प बनाने के लिए बांस नहीं खरीद पाती थी पर अब उन्हें महतारी वंदन योजना से प्रतिमाह 1 हजार रूपये मिलते है, जिसका उपयोग वह बांस खरीदने में करती है। वह झेंझरी, सुपा, पर्रा, टुकनी सहित अन्य सजावटी वस्तुएं अधिक संख्या में बना पाती है, जिसे बेचकर उन्हें अच्छी खासी आमदनी मिल रही है, जिसमें बचत कर वो अपनी बेटियों को शिक्षित कर रही हैं।


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