History of Chhattisgarh State Formation: छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास, जानिए प्राचीन काल से अब तक की पूरी कहानी

History of Chhattisgarh State Formation: भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में छत्तीसगढ़ का नाम विशेष महत्व रखता है। यह भूमि सदियों से अपनी परंपराओं, संस्कृति और प्राकृतिक संपदाओं के लिए जानी जाती रही है। आधुनिक दौर में छत्तीसगढ़ एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित हुआ, लेकिन इसका सफर आसान नहीं था। यह कहानी केवल एक राज्य निर्माण की नहीं, बल्कि लोगों की पहचान, संघर्ष और संकल्प की कहानी है।

Update: 2025-09-07 13:09 GMT

History of Chhattisgarh State Formation: भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में छत्तीसगढ़ का नाम विशेष महत्व रखता है। यह भूमि सदियों से अपनी परंपराओं, संस्कृति और प्राकृतिक संपदाओं के लिए जानी जाती रही है। आधुनिक दौर में छत्तीसगढ़ एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित हुआ, लेकिन इसका सफर आसान नहीं था। यह कहानी केवल एक राज्य निर्माण की नहीं, बल्कि लोगों की पहचान, संघर्ष और संकल्प की कहानी है।

प्राचीन पृष्ठभूमि

छत्तीसगढ़ क्षेत्र को प्राचीन काल में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह श्रीराम का ननिहाल माना जाता है और रामायण काल से इसका उल्लेख मिलता है। समय के साथ इस क्षेत्र का महत्व बढ़ता गया और इसकी अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान बनी। "छत्तीसगढ़" नाम का उल्लेख मराठा शासनकाल में मिलता है, जब 1795 में इसे आधिकारिक रूप से दस्तावेजों में दर्ज किया गया। माना जाता है कि इस नाम की उत्पत्ति यहां के छत्तीस किलों से हुई, हालांकि इसके पीछे कई लोककथाएं भी प्रचलित हैं।

औपनिवेशिक काल और विलय

18वीं शताब्दी में यह क्षेत्र मराठाओं के अधीन रहा। बाद में अंग्रेजों ने इस पर अधिकार कर 1903 में इसे Central Provinces and Berar का हिस्सा बना दिया। स्वतंत्रता के बाद 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के समय यह मध्यप्रदेश में शामिल कर दिया गया। अगले 44 वर्षों तक छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश का हिस्सा बना रहा, लेकिन यहां की जनता अपनी अलग पहचान और संस्कृति के कारण लगातार एक स्वतंत्र राज्य की मांग करती रही।

अलग राज्य की मांग

छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने की मांग कोई अचानक उठी हुई आवाज़ नहीं थी। 1920 के दशक में ही यह विषय राजनीतिक मंचों पर आने लगा था। 1924 में रायपुर कांग्रेस समिति और त्रिपुरी कांग्रेस में इस पर चर्चा की गई। हालांकि, 1954 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया। इसके बावजूद यह विचार धीरे-धीरे लोगों के बीच मजबूत होता गया।

1990 के समय में आंदोलन का तेज होना

1990 के दशक में छत्तीसगढ़ राज्य की मांग ने एक बड़े जनांदोलन का रूप ले लिया। "छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण मंच" के नेतृत्व में रैलियां, धरने और विरोध प्रदर्शनों का आयोजन हुआ। इस आंदोलन को सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया। 1994 में मध्यप्रदेश विधानसभा ने सर्वसम्मति से अलग राज्य के प्रस्ताव को पारित किया। यह घटना राज्य निर्माण की दिशा में निर्णायक मानी जाती है।

आंदोलन के प्रमुख नेता और कर्ता

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन में अनेक नेताओं और समाजसेवकों की अहम भूमिका रही। इनमें से कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

  • सुंदरलाल शर्मा – जिन्हें छत्तीसगढ़ का गांधी कहा जाता है। उन्होंने 1918 में छत्तीसगढ़ का पहला मानचित्र बनाकर स्वतंत्र पहचान की नींव रखी।
  • ठाकुर प्यारेलाल सिंह – स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजसेवी, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की सामाजिक-राजनीतिक चेतना को मजबूत किया।
  • पं. रविशंकर शुक्ल – मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री, जिन्होंने अलग छत्तीसगढ़ की अवधारणा का समर्थन किया।
  • वीरनारायण सिंह – 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायक, जिन्हें छत्तीसगढ़ की अस्मिता का प्रतीक माना जाता है।
  • दाऊ रामचंद्र देशमुख – क्षेत्रीय आंदोलनों के जरिए लोगों की आवाज़ को राजनीति तक पहुंचाया।
  • चंदूलाल चंद्राकर – 1990 के दशक में आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने में अहम भूमिका निभाई।
  • शंकर गुहा नियोगी – इन्होंने छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा और छत्तीसगढ़ महिला मुक्ति मोर्चा की स्थापना की थी।
  • मनोहर लाल पटवा और विद्यासागर जी जैसे नेताओं ने भी छत्तीसगढ़ की अलग पहचान के पक्ष में आवाज़ उठाई। इनके साथ-साथ असंख्य आम नागरिक, छात्र और सामाजिक संगठन भी इस आंदोलन में सक्रिय रहे। 

राजनीतिक समर्थन और राष्ट्रीय पहचान

राज्य निर्माण की मांग राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंची जब 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनावी मंच से इसका समर्थन किया। उनका प्रसिद्ध नारा—“आप मुझे छत्तीसगढ़ की 11 सीट दीजिए, मैं आपको छत्तीसगढ़ दूंगा”—लोगों के बीच उत्साह का कारण बना। इसने आंदोलन को नई ऊर्जा दी और दिल्ली की सत्ता तक इसे गंभीरता से लिया जाने लगा।

कानूनी प्रक्रिया और गठन

25 अगस्त 2000 को संसद द्वारा मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 पारित किया गया, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिली। इसके अनुसार 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ आधिकारिक रूप से मध्यप्रदेश से अलग होकर भारत का 26वां राज्य बना। रायपुर को राजधानी घोषित किया गया और इस ऐतिहासिक दिन ने करोड़ों लोगों के सपनों को साकार किया।

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव

राज्य की स्थापना के बाद से हर वर्ष 1 नवंबर को "छत्तीसगढ़ राज्योत्सव" के रूप में मनाया जाता है। राजधानी रायपुर में आयोजित होने वाला यह उत्सव अब पांच दिनों तक चलता है और इसमें प्रदेश की संस्कृति, कला और परंपराओं का भव्य प्रदर्शन होता है। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि राज्य की पहचान और गर्व का प्रतीक है।

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