High Court News: शिक्षा का अधिकार के तहत गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा अच्छे स्कूलों में दाखिला! हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका
प्रदेश में शिक्षा के अधिकार RTE कानून का उड़ाए जा रहे माखौल को लेकर EWS और BPL बच्चों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने और पढ़ाई की मांग की है। याचिका में शिकायत की है कि उनका हक मारा जा रहा है। केंद्र सरकार के कानून के बाद भी निजी स्कूल प्रबंधन एडमिशन नहीं दे रहे हैं।
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बिलासपुर। प्रदेश में शिक्षा के अधिकार RTE के तहत EWS और BPL वर्ग के बच्चों का निजी स्कूलों में एडमिशन ना होने को लेकर याचिका दायर की गई है। बच्चों की ओर से दायर याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार के कानून के बाद भी इस वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में अच्छी शिक्षा के लिए वंचित किया जा रहा है। इसमें शिक्षा अधिकारी से लेकर निजी स्कूल प्रबंधन की मिलीभगत भी उजागर हो रही है। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता कार्यालय के लॉ अफसरों ने कोर्ट को बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोर्ट में बताया कि 2025 में 591 शिकायतें मिली हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दुर्ग जिले के 74 बच्चों के एडमिशन गलत तरीके से हुए हैं। जिसमें BPL और अंत्योदय कार्ड का गलत तरीके से उपयोग किया गया है। वहीं ये भी बताया कि वेबसाइट को हैक भी किया गया था।
74 मामलों में से 4 अलग-अलग बच्चों ने याचिकाकर्ता के रूप में कोर्ट में रिट याचिका लगाई है। अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कोर्ट के सामने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि वर्ष 2024-25 में 31 शिकायत थी। जिनकी जांच कर समाधान किया गया है। इसी याचिका से जुड़े मामले में अधिवक्ता संदीप दुबे ने हस्तक्षेप याचिका दायर की है। जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई में जवाब पेश करने कहाहै। अगली सुनवाई 11 जुलाई को रखी गई है।
बता दें कि भिलाई के वरिष्ठ समाज सेवी सीवी भगवंत राव ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की है। अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से दायर इस याचिका में पूर्व में चार दर्जन निजी स्कूलों को पक्षकार बनाया गया था। पहले हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने सभी स्कूलों को नोटिस जारी किया था। आरटीई के तहत शिक्षा के अधिकार की यह कानूनी लड़ाई 2012 से जारी है। 2016 में हाई कोर्ट ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया था। मगर, निजी स्कूलों ने इन्हें सही ढंग से लागू नहीं किया।
निजी स्कूलों की लापरवाही और अनियमितता को देखते हुए फिर से याचिका दायर की गई है। हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा प्रदेश में राइट टू एजुकेशन को लेकर काफी शिकायत हैं। पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बैंच ने आदेश में कहा कि अगली सुनवाई में आरटीई अधिनियम के तहत छात्रों के प्रवेश के संबंध में उनके द्वारा की गई शिकायतों के लिए उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जाए, जो विशेष रूप से दुर्ग जिले में नुकसानदेह स्थिति में हैं.
याचिकाकर्ता द्वारा की गई शिकायतों की संख्या 48 है और 31 शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है, 31 शिकायतों के निपटारे का रिकॉर्ड राज्य द्वारा अगली सुनवाई की तिथि तक न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा, शैक्षणिक वर्ष 2025 के लिए प्राप्त शिकायतों और संबंधित अधिकारी द्वारा उनका किस प्रकार निपटारा किया गया है, यह भी अगली सुनवाई की तारीख तक बताया जाएगा।
सचिव स्कूल शिक्षा ने शपथ पत्र में दी जानकारी-
जनहित याचिका में 5 मार्च 2025 के आदेश के अनुपालन में सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, स्कूल शिक्षा विभाग, रायपुर ने अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर किया था। जिसमें प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितताओं के संबंध में की गई शिकायतों और जिलों के संबंधित अधिकारियों के समक्ष लंबित शिकायतों के बारे में बताया।
शिकायतों का पेश किया लेखा जोखा-
6 मई 2025 को राज्य स्तर पर प्रवेश के संबंध में कुल 1626 शिकायतें, आरटीई के अंतर्गत 20 शिकायतें प्राप्त हुईं. जिनमें से 1585 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है तथा 41 मामले विचाराधीन हैं। राज्य स्तरीय कार्यालय में 751 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 734 मामलों का निपटारा कर दिया गया है तथा 17 मामले विचाराधीन हैं। जिला स्तर पर आरटीई के अंतर्गत प्रवेश के संबंध में कुल 60 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 41 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है तथा 19 (जिला दुर्ग में 17 तथा बिलासपुर में 02) शिकायतें विचाराधीन हैं। अन्य मुद्दे पर केवल एक शिकायत बिलासपुर जिले में प्राप्त हुई तथा वह भी विचाराधीन है।