High Court News: NTPC के खिलाफ जनहित याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने लगाया 50 हजार का जुर्माना, यहां पढ़िए पूरी जानकारी

High Court News: हाई कोर्ट की डिविज़न बेंच ने एनटीपीसी सीपत के खिलाफ दायर क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा- निजी स्वार्थ के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग ठीक नहीं.

Update: 2025-08-23 14:04 GMT

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High Court News: बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिविज़न बेंच ने क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट वेल्फेयर एसोसिएशन सीपत की जनहित याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि “एक जनहित याचिका में, जब याचिकाकर्ता स्वयं विषय-वस्तु से संबंधित विवादों में एक पक्षकार हो, और उसी मुद्दे पर न्यायालय द्वारा पहले ही एक अन्य जनहित याचिका जिसमें स्वप्रेरणा से संज्ञान भी शामिल है, में विचार किया जा चुका हो, तो बाद की याचिका को एक वास्तविक जनहित याचिका नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने इस राशि को विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी (एसएए), गरियाबंद और विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी (एसएए), बालोद को प्रेषित करने कहा है।

क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट वेल्फेयर एसोसिएशन सीपत ने एनटीपीसी लिमिटेड सीपत के फ्लाई ऐश से भरे ओवरलोड ट्रक को नहीं छोड़े जाने, फ्लाई ऐश से भरे ट्रक पर तिरपाल से ढक कर परिवहन करने, ओवरलोड ट्रक को बिलासपुर-सीपत में चलने की अनुमति नहीं देने की मांग को लेकर जनहित याचिका पेश की थी। मामले में शासन व एनटीपीसी ने जवाब पेश कर कहा कि याचिका (जनहित याचिका) संख्या 37/2024 पहले से ही इस न्यायालय के समक्ष लंबित है जिसमें वर्तमान याचिका में उठाया गया मुद्दा सक्रिय रूप से विचाराधीन है।

प्रेरित मुकदमेबाजी के अलावा और कुछ नहीं

NTPC की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान भी लिया है। इसके बावजूद, याचिकाकर्ता ने वर्तमान जनहित याचिका दायर करने का विकल्प चुना है। इससे साफ है कि यह याचिका किसी वास्तविक सार्वजनिक उद्देश्य के लिए नहीं, बल्कि केवल अपने निजी लाभ के लिए दायर की गई है। ऐसा व्यवहार कानूनी प्रक्रिया का स्पष्ट दुरुपयोग है। एनटीपीसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वर्तमान रिट याचिका एक प्रेरित मुकदमेबाजी के अलावा और कुछ नहीं है। एनटीपीसी की ओर से यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता पेशे से एक ट्रांसपोर्टर है और उसका एनटीपीसी से परिवहन अनुबंध प्राप्त करने में प्रत्यक्ष व्यावसायिक हित है। यह निहित स्वार्थ प्रकट करता है कि वर्तमान याचिका किसी बड़े सार्वजनिक हित की पुष्टि के लिए दायर नहीं की गई है, बल्कि केवल याचिकाकर्ता के अपने व्यावसायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए दायर की गई है।

याचिकाकर्ता की साख की पुष्टि करनी चाहिए

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के रूप में शुरू से ही खारिज किया जा सकता है। न्यायालयों को, प्रथम दृष्टया, किसी जनहित याचिका पर विचार करने से पहले याचिकाकर्ता की साख की पुष्टि करनी चाहिए। न्यायालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनहित याचिका दायर करने के पीछे कोई व्यक्तिगत लाभ, निजी उद्देश्य या अप्रत्यक्ष उद्देश्य न हो। जनहित में अधिकार क्षेत्र निजी व्यक्तियों द्वारा अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए दुरुपयोग का स्रोत बन सकता है।









बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिविज़न बेंच ने क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट वेल्फेयर एसोसिएशन सीपत की जनहित याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि “एक जनहित याचिका में, जब याचिकाकर्ता स्वयं विषय-वस्तु से संबंधित विवादों में एक पक्षकार हो, और उसी मुद्दे पर न्यायालय द्वारा पहले ही एक अन्य जनहित याचिका जिसमें स्वप्रेरणा से संज्ञान भी शामिल है, में विचार किया जा चुका हो, तो बाद की याचिका को एक वास्तविक जनहित याचिका नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने इस राशि को विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी (एसएए), गरियाबंद और विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी (एसएए), बालोद को प्रेषित करने कहा है।



क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट वेल्फेयर एसोसिएशन सीपत ने एनटीपीसी लिमिटेड सीपत के फ्लाई ऐश से भरे ओवरलोड ट्रक को नहीं छोड़े जाने, फ्लाई ऐश से भरे ट्रक पर तिरपाल से ढक कर परिवहन करने, ओवरलोड ट्रक को बिलासपुर-सीपत में चलने की अनुमति नहीं देने की मांग को लेकर जनहित याचिका पेश की थी। मामले में शासन व एनटीपीसी ने जवाब पेश कर कहा कि याचिका (जनहित याचिका) संख्या 37/2024 पहले से ही इस न्यायालय के समक्ष लंबित है जिसमें वर्तमान याचिका में उठाया गया मुद्दा सक्रिय रूप से विचाराधीन है।



0 प्रेरित मुकदमेबाजी के अलावा और कुछ नहीं



NTPC की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान भी लिया है। इसके बावजूद, याचिकाकर्ता ने वर्तमान जनहित याचिका दायर करने का विकल्प चुना है। इससे साफ है कि यह याचिका किसी वास्तविक सार्वजनिक उद्देश्य के लिए नहीं, बल्कि केवल अपने निजी लाभ के लिए दायर की गई है। ऐसा व्यवहार कानूनी प्रक्रिया का स्पष्ट दुरुपयोग है। एनटीपीसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वर्तमान रिट याचिका एक प्रेरित मुकदमेबाजी के अलावा और कुछ नहीं है। एनटीपीसी की ओर से यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता पेशे से एक ट्रांसपोर्टर है और उसका एनटीपीसी से परिवहन अनुबंध प्राप्त करने में प्रत्यक्ष व्यावसायिक हित है। यह निहित स्वार्थ प्रकट करता है कि वर्तमान याचिका किसी बड़े सार्वजनिक हित की पुष्टि के लिए दायर नहीं की गई है, बल्कि केवल याचिकाकर्ता के अपने व्यावसायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए दायर की गई है।



O याचिकाकर्ता की साख की पुष्टि करनी चाहिए


चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के रूप में शुरू से ही खारिज किया जा सकता है। न्यायालयों को, प्रथम दृष्टया, किसी जनहित याचिका पर विचार करने से पहले याचिकाकर्ता की साख की पुष्टि करनी चाहिए। न्यायालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनहित याचिका दायर करने के पीछे कोई व्यक्तिगत लाभ, निजी उद्देश्य या अप्रत्यक्ष उद्देश्य न हो। जनहित में अधिकार क्षेत्र निजी व्यक्तियों द्वारा अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए दुरुपयोग का स्रोत बन सकता है।


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